किसानों के नाम पर आर्गेनिक खेती की बातें की गई हैं सिर्फ जो अमीरों का नया चोंचला है जिसमें 4 गुना कम पर बेची जा रही ......रैप सब्जी लपकी जाती है क्योंकि प्रति एकड़ उस का उत्पादन बहुत कम हो जाता है. सारा देश अगर इस और्गेनिक खेती को करने के लिए नहीं तो अकाल पड़ जाएगा जैसा पिछले वर्ष श्रीलंका में हुआ जहां किसी खप्ती नेता ने खेती में पेस्टी साइड बैन कर दिए और खाने के लाले पड़ गए.

मेट्रो और रैपिड रेलों को 19,130 करोड़ दिए जाएंगे पर कोई भी देख ले, इन में फटेहाल लोग नहीं चलते. वे तो खटाराओं पर चलते है जिन में डीजल पंप के सहारे चलने चाहिए और फट्टों पर लगे होते है पुलिस का डंडा और मजबूत हो इस के लिए केवल दिल्ली में 10,355 करोड़ रुपए दिए जाएंगे. अमीरों को शानबान से अपना विलासिता का सामान बेचने की जगह मिले इस के लिए दिल्ली के प्रगति मैदान को 468 करोड़ इस साल फिर दिए जाएंगे.

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वैसे तो कहा जाता है कि घरघर शौचालय बन चुके हैं पर इस बजट में एक लाइन में 3.8 करोड़ और घरों को नल का पानी पहुंचाने का पैसा नियत कर के मान लिया गया कि अभी करोड़ों घरों में पीने का पानी नहीं पहुंच रहा, वहां शौचालय कैसे बनेगा क्योंकि वहां सीवर भी नहीं होगा. गरीब पिछड़ा व दलित अपना शौच अपने घर की जमीन में बनाए और उसी जमीन से पानी निकाल कर पीए. 7 सालों में सरकार हर घरको पानी तक न दे पाए, यह कैसे संभव है. हर घर को पाखंड का व्यापार करने का पंडा तो अवश्य दे दिया गया है.

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