उदयपुर में 2 युवाओं द्वारा एक दर्जी की खुलेआम, दिनदहाड़े हत्या कर देना और फिर हत्या का वीडियो सोशल मीडिया पर डाल देना यह साबित करता है कि धर्म इस तरह पागल बना देता है कि लोग न आगापीछा देखते हैं, न परिणामों की चिंता करते हैं.

नूपुर शर्मा के बयानों का समर्थन करने वाले इस दर्जी को मार डालने के लिए ये 2 युवा किसी बड़ी संस्था द्वारा भेजे गए हों, कोईर् बड़ी योजना बनाई गई हो, ऐसा भी नहीं है. दर्जी का काम करने वाले इस कट्टरपंथी ने नूपुर शर्मा का समर्थन किया तो हिंदू धर्म के बहकावे में और जवाब में उस की हत्या कर दी गई तो वह दूसरे इसलाम धर्म के बहकावे की वजह से.

घरों, शहरों और देशों को उजाड़ने में, समाज को तोड़ने में, लोगों के बीच बेबात की दुश्मनी खड़ी करने में जो भूमिका धर्म की है वह जर, जमीन, जोरू की भी नहीं. लोग स्वभाववश एकदूसरे का सहयोग चाहते हैं और एकदूसरे को सहयोग करते भी हैं. लेकिन यह धर्म ही है जो कहता है कि अपने धर्म वाला हो या विधर्मी, दुश्मन हो सकता है.

हर धर्म कहता है कि पूजा करो, दान दो, कुरबानी करो. जो यह नहीं करता वह दुश्मन है. इस दर्जी ने कट्टर कथावाचकों की मुरीद नूपुर शर्मा का समर्थन किया क्यों? क्योंकि उसे सिखाया गया है कि दूसरे धर्म का हर जना दुश्मन है.

यह सोचने की बात है कि आखिर दाढ़ी बढ़ाए ये 2 युवक जब दर्जी की दुकान में घुसे तो उन्होंने कहा, कपड़े सिलाने हैं और दर्जी ने सुन ली. उन के विधर्मी होने पर कोई एतराज नहीं किया क्योंकि वे ग्राहक थे. जब तक संबंध ग्राहक और दुकानदार का था, ठीक रहा, लेकिन बीच में दोनों के दो धर्म घुस गए जिन्होंने एक तरफ दर्जी का दिमाग खराब कर रखा था तो दूसरी तरफ इन 2 युवकों का.

इस हत्या के लिए जिम्मेदार दोनों धर्म हैं और दोनों धर्मों के वे हजारों प्रचारक जो ऊंचे मंदिरोंमसजिदों में बैठ कर प्रवचन करते हैं, अपनेअपने धर्मभक्तों को उकसाते हैं कि जो धर्म का आदेश न माने, मार डालो चाहे वह शंबूक हो, एकलव्य हो या उदयपुर का कन्हैयालाल तेली हो.

ओसामा बिन लादेन ने पहले अफगानिस्तान की गुफाओं में छिप कर अमेरिका पर हमला कराया, फिर पाकिस्तान में छिप कर रहने लगा. उस में इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह सामने रह कर जिसे दुश्मन मान रहा है, उस से लड़ सके. उस ने लाखों घरों को बरबाद करा दिया, अफगानिस्तान को तहसनहस करा दिया. उस ने जो बीज बोए उस से सीरिया से लाखों शरणार्थी मारेमारे फिर रहे हैं पर उस का धर्म वहीं का वहीं है.

भारत में धर्म के शीरे में सत्ता की गरमागरम जलेबी मिलती रहे, इसलिए शीरे के नीचे आग को सुलगाए रखा जा रहा है.

नूपुर शर्मा भी, कन्हैयालाल तेली भी और ये 2 युवक भी जो हत्या की मात्र आग और लकडि़यां हैं, खुद को जला कर धर्म के शीरे को खौला कर रखती हैं.

पकती जलेबी का रसपान कर धर्मों के पंडे, पादरी, मुल्ला, ग्रंथी मौज मनाते हैं, पीढ़ी दर पीढ़ी. इन लकडि़यों से मकान बन सकते हैं, घरों के चूल्हे जल सकते हैं, दवाएं बन सकती हैं मगर धर्म के नाम पर सब स्वाह हो रहा है. आज नूपुर शर्मा जैसी ने हिंदूमुसलिम विवाद को उस मोड़ पर ला खड़ा किया है जिस का अंत भीषण वैमनस्य में हो सकता है.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...