विजय बद्री बेशक दिव्यांग था लेकिन वह था बहुत शातिर. कम उम्र की लड़कियों से वह न सिर्फ भीख मंगवाता था, बल्कि जवान दिखने के लिए वह उन्हें हारमोंस के इंजेक्शन भी लगाता था ताकि उन से जिस्मफरोशी करा कर मोटी कमाई हो सके. लेकिन पुलिस ने...   गोरखपुर पूर्वोत्तर रेलवे मंडल के मंडल सुरक्षा आयुक्त अमित कुमार मिश्रा के निर्देश पर मंडल के सभी रेलवे स्टेशनों एवं ट्रेनों में सघन जांच का अभियान चलाया जा रहा था. दरअसल, अमित कुमार मिश्रा को सूचना मिली थी कि कुछ ऐसे गैंग सक्रिय हैं, जो कम उम्र की लड़कियों को अपने जाल में फांस कर जिस्मफरोशी का धंधा कराते हैं. उन के निर्देश पर बादशाह नगर रेलवे सुरक्षा बल के एसआई वंशबहादुर यादव 25 सितंबर, 2019 की सुबह आनेजाने वाली ट्रेनों की जांच कर रहे थे. ट्रेनों की जांच करने के बाद उन की नजर प्लेटफार्म नंबर-1 पर बैठे बालकों पर पड़ी.

एक पेड़ के निकट रुक कर वह उन को निहारने लगे. वहां 2 किशोरों के साथ 2 किशोरियां थीं. उन्हें देख कर पहले उन्होंने सोचा कि शायद ये ट्रेन में भीख मांग कर गुजारा करने वाले खानाबदोश या बंगलादेशियों के बच्चे होंगे और सामान एकत्रित कर के अपने गंतव्य स्थान पर कुछ देर में चले जाएंगे, किंतु पेड़ की आड़ में छिप कर देखने के बाद उन्हें उन की गतिविधियां कुछ संदिग्ध लगीं.

तब उन के नजदीक जा कर उन्होंने उन से पूछा, ‘‘तुम लोग कौन हो? सुबहसुबह यहां प्लेटफार्म पर क्या कर रहे हो?’’

पुलिस वाले को अपने पास देख कर वे चारों सहम गए और सुबकने लगे. उन चारों को सुबकते देख एसआई वंशबहादुर यादव को मामला कुछ संदिग्ध लगा. उन्होंने सहानुभूति दिखाते हुए उन चारों को चाय पिला कर ढांढस बंधाते हुए पूछा, ‘‘आखिर बात क्या है, बताओ. तुम इस तरह रो क्यों रहे हो? कुछ तो बताओ, तभी तो मैं तुम्हारे लिए कुछ करूंगा.’’

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