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वह कई दशक पहले प्रयागराज में चोरीछिपे अनैतिक काम करता था. किंतु पुलिस के बढ़ते दबाव के कारण उस ने वहां से लखनऊ आ कर शरण ली थी. तब से वह खुद को उत्तर प्रदेश का मूल निवासी बताने लगा था.
लखनऊ में इस ने ठहरने के कई अड्डे बना रखे थे. पुलिस की सख्ती होने पर वह जगह बदलबदल कर गैरकानूनी गतिविधियां संचालित करता था. इन दोनों किशोरियों के द्वारा भीख मांगने को इनकार करने पर वह इन से जिस्मफरोशी का धंधा करने को मजबूर करता था.
पुलिस को पता चला कि विजय बद्री के चंगुल में एक दरजन से अधिक नाबालिग बच्चे थे, जो इस के बताए हुए अलगअलग जगहों पर भीख मांगने का धंधा किया करते थे.
इस से पहले गाजीपुर थानाप्रभारी राजदेव मिश्रा ने एक शिकायत के आधार पर विजय बद्री को 26 जुलाई, 2019 को गाजीपुर थाना क्षेत्र से पकड़ा था किंतु जमानत पर रिहा हो कर वह फिर से अपराध में मशगूल हो गया था.
पता चला कि वह युवतियों को बुरी तरह प्रताडि़त भी करता था और भीख मांगने के लिए विवश करने के लिए वह उन्हें भूखा रखता था तथा सिगरेट आदि से जलाता था.
अपने गैंग में शामिल करने के लिए वह बच्चों को खोजता रहता था. बच्चे खोजने के लिए वह खुद भी भीख मांगतेमांगते असम और बिहार तक चला जाता था. वहां कुछ दिन रुक कर कुछ सस्ते दामों में भोलीभाली गरीब बच्चियों को अपने अड्डे पर ले आता था.
वह किशोरियों से भीख ही नहीं मंगवाता था बल्कि उन से जिस्मफरोशी का धंधा भी करवाता था. वह उन्हें होटलों में भेजता था. इस से उसे अच्छी कमाई हो जाती थी. बताया जाता है कि उस के पास 30 किशोरियां थीं.
विजय बद्री के गैंग में जो भी लड़कियां आती थीं, सब से पहले वह उन्हें नशे की लत लगाता था. वह उन्हें अफीम, गांजा, भांग व दारू के नशे की आदत डालता था. जब वे नशे की आदी हो जाती थीं तो वह उन्हें जिस्मफरोशी के दलदल में ढकेल देता था.
मना करने पर रात को बेहोशी में सोने के दौरान नशे के इंजेक्शन दे कर उन्हें नशेड़ी बनाता. इतना ही नहीं ब्लेड से उन किशोरियों के शरीर पर गहरा चीरा लगा कर खून निकालता फिर उस खून से पट्टियां भिगो कर अपने कटे हुए दिव्यांग अंगों पर बांध लेता जिस से लोगों को लगे कि उस के जख्मों से खून निकल रहा है. इस से उसे भीख में ज्यादा पैसे मिलते थे.
विजय बद्री दाहिने पैर से विकलांग था. उस का घुटनों से ऊपर पैर कटा हुआ था और सुबह को यह खून से भीगी पट्टी पैर के कटे हुए भाग पर बांध कर नाटक बनाने के बाद भीख मांगने के लिए खुद भी ट्रेन में निकल जाता था.
भीख मांगते समय बद्री मौका मिलते ही यात्रियों का मोबाइल आदि भी चोरी कर लिया करता था. वह विकलांग जरूर था लेकिन दिमाग से बहुत शातिर था.
गुंजा व मंजुला ने बताया कि उन्होंने कई बार मुंशी पुलिया पुलिस चौकी पर जा कर मदद की गुहार लगाई थी, किंतु पुलिस ने उन्हें हर बार डपट कर भगा दिया था. विजय बद्री ने पुलिस को बताया कि नाबालिग किशोरियां जल्दी बड़ी दिखने लगें, इस के लिए वह उन्हें रात में हारमोंस के इंजेक्शन लगाता था.
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गाजीपुर पुलिस के द्वारा विजय बद्री द्वारा बताए स्थानों की सघन तलाशी कराई गई तो पुलिस को पता चला कि आरोपी विजय बद्री तो गैंग का एक मामूली मोहरा था. उस के पीछे जिस्मफरोशी का रैकेट चलाने वाले सफेदपोश लोगों का हाथ था.
गैंग को संचालित करने वाले 3 लोगों के नाम सामने आए, जिस में एक शर्मीला नाम की औरत बताई जाती है. उस महिला ने पुलिस को बताया कि वह केवल विजय बद्री के यहां रोटीपानी के लिए काम करती थी. ये सफेदपोश लोग बाहर से युवतियां खरीद कर विजय बद्री के हाथ अड्डे पर बेच जाया करते थे. उस के बदले उन्हें बद्री मोटी रकम दिया करता था.
गाजीपुर पुलिस को छानबीन में पता चला कि विजय बद्री उर्फ बंगाली ने अब तक अपने जीवन में 30 लड़कियों को जिस्मफरोशी के लिए चारबाग रेलवे स्टेशन के बाहर 10 हजार से ले कर 40 हजार रुपए तक में बेचा था.
इस काले धंधे को पूर्ण अंजाम तक पहुंचाने के लिए सीतापुर रोड के कल्याणपुर निवासी सुमेर नाम के व्यक्ति का पूरा सहयोग रहता था. गाजीपुर पुलिस ने सुमेर को पकड़ कर 18 सितंबर, 2019 को जेल भेजा था. सुमेर ने पुलिस की गिरफ्त में आने के बाद शमीम नामक व्यक्ति के संपर्क में आ कर इस मानव तस्करी में लिप्त रहने की बात कबूली थी.
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सुमेर व विजय बद्री को न्यायालय में पेश किया गया जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया. वहीं दोनों युवतियां गुंजा व मंजुला खातून को मोहान रोड स्थित महिला सुधार गृह और दोनों बालकों को बाल सुधार गृह में दाखिल करा दिया गया.
5 अक्तूबर, 2019 को जांच पूरी करने के बाद थानाप्रभारी राजदेव मिश्रा आरोपियों के खिलाफ शीघ्र ही आरोप पत्र दाखिल करने की तैयारी में थे.
— कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित