छत्तीसगढ़ में बेमेतरा जिला मुख्यालय से महज 3 किलोमीटर दूर बीजाभाट गांव की रहने वाली माधुरी सरकारी स्कूल में टीचर थी. बात साल 2019 की है. कोरोना के चलते स्कूल बंद था. मार्च महीने से ही घर में पड़ीपड़ी ऊब गई थी. बच्चों की औनलाइन क्लासेज लेने के सिलसिले में वह स्मार्टफोन और इंटरनेट फ्रैंडली हो गई थी.

खाली समय में मोबाइल पर ही औनलाइन शौपिंग, फैशनेबल कपड़े, खानेपीने की रेसिपी या दूसरे वायरल वीडियो देख कर मन बहला लिया करती थी. इस दौरान जब भी मेट्रोमोनियल साइटों के विज्ञापन आते तो उस का ध्यान उन की ओर चला जाता था.

32 साल की उम्र हो चुकी थी. वह अविवाहित थी. इस की चिंता जितनी उस के बेहद बुजुर्ग हो चुके मातापिता और भाईभाभी को सता रही थी, उस से अधिक अपने जीवनसाथी के लिए वह खुद चिंतित थी. उस ने टीचर बन कर अपना करियर तो बना लिया था, लेकिन ब्याह नहीं हो पाया था और उम्र काफी तेजी से निकलती जा रही.

घरपरिवार और गांव के लोग अकसर टोक देते थे, ‘‘अरे माधुरी, कुछ अपनी जिंदगी के बारे में भी सोच लिया करो. बच्चों के भविष्य की चिंता करती हो, अपने भविष्य पर भी ध्यान दो.’’

कई लोग तो मातापिता और परिवार को ले कर ऐसा कमेंट कर देते थे कि माधुरी का मनमिजाज कड़वा हो जाता था. इसी बीच साथ काम करने वाली कुछ दोस्तों ने सलाह दी, ‘‘अगर पैरेंट्स उस के लिए योग्य वर नहीं तलाश पा रहे हैं, तो इस के लिए उसे खुद कोशिश करनी चाहिए. मेट्रोमोनियल साइटों पर अपनी पसंद का जीवनसाथी तलाश कर शादी कर लेनी चाहिए.’’

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