बात इसी साल के 24 जनवरी की है. सर्दी का मौसम था. 3 दिनों से रुकरुक कर बारिश हो रही थी. तापमान काफी नीचे गिर गया था. बर्फीली हवाएं चल रही थीं. सुबहसुबह प्रदीप पाल जल्द घर लौट आया था. घर पर मातम पसरा हुआ था. उस की पत्नी सीमा सिर झुकाए सिसक रही थी. 2-3 पड़ोसी उसे चुप करवा रहे थे. पिता कमरे में बेजान से बैड पर बैठे हुए थे. पास के दूसरे बैड पर उस की मां मृत पड़ी थीं.

प्रदीप को सीमा ने ही फोन कर जल्द घर आने को कहा. उस ने फोन पर बताया, ‘‘लगता है मांजी को रात में दिल का दौर पड़ा है... वह उठ नहीं रही हैं. तुम जल्दी आ जाओ.’’

कुछ समय में आसपड़ोस के कुछ और लोग आ गए थे. उन्होंने भी कहा, ‘‘लगता है, उन को रात में हार्ट अटैक आया. अकसर अधिक सर्दी के मौसम में बूढ़ों को हार्ट अटैक पड़ जाता है.’’

सीमा ने भी रोरो कर मोहल्ले के लोगों को बताया, ‘‘मांजी को हार्ट अटैक आया और मुझे कुछ पता ही नहीं चल पाया. वह अंतिम बार बात भी नहीं कर पाईं.’’

प्रदीप पाल ने जल्दी से मां के अंतिम क्रियाकर्म की तैयारी शुरू की और बिना किसी डाक्टरी परीक्षण के उसी रोज मां का दाह संस्कार भी कर दिया गया. कोरोना के कारण लगी कुछ पाबंदियों की वजह से प्रदीप मां की अंतिम शव यात्रा के लिए अधिक लोगों को बुला नहीं पाया था.

मां की मौत को एक महीना भी पूरा नहीं हुआ था कि सीमा के परिवार में एक और बड़ा हादसा हो गया. वह हादसा उस के पति प्रदीप पाल के साथ ही हुआ था. प्रदीप 21 फरवरी, 2022 की सुबह बाइक से गौशाला जाने के लिए निकला था. रोहिणी इलाके के सेक्टर 24 के आगे हेलीपैड रोड पर पहुंचा ही था कि उसे कुछ लोगों ने गोली मार दी.

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