सौजन्या- मनोहर कहानियां
बेटे की शादी में दहेज न मिलने की जो कील कमल राय के मन में चुभी थी, उसे निकालने के लिए उसे 3 साल इंतजार करना पड़ा. उस ने अपनी संतुष्टि के लिए कील तो निकाल दी, लेकिन… बिहार के मधुबनी जिले की गौरीगंज तालुका के गांव लालापुर के रहने वाले 50 वर्षीय सुधीर ठाकुर करीब 22-23 साल पहले मुंबई के उपनगर अंधेरी में आ बसे थे. उन्होंने यहीं कामधंधा शुरू कर दिया था. परिवार गांव में रहता था, जिस में उन की पत्नी के अलावा एक जवान बेटी नंदिनी और 2 बेटे थे.
अपनी कमाई का ज्यादातर हिस्सा वह गांव परिवार भेज दिया करते थे. परिवार खुशहाल था. गांव में मानसम्मान की कमी नहीं थी. उन के मानसम्मान को धक्का तब लगा जब उन की बेटी नंदिनी ने गांव के ही एक अलग बिरादरी के लड़के से लव मैरिज कर ली और मुंबई आ कर रहने लगी. घरपरिवार की इज्जत के मद्देनजर उन्होंने अपना पूरा परिवार मुंबई बुला लिया था.
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यह सच है कि वक्त बड़े से बड़ा घाव भर देता है. विवाह भले ही अंतरजातीय हो, अगर बेटी सुखी हो तो परिवार उस का बड़े से बड़ा गुनाह माफ कर देता है. नंदिनी के साथ भी यही हुआ. परिवार ने उसे माफ कर गले लगा लिया. जबतब उस से फोन पर बात होने लगी.
यह सिलसिला 2 सालों से चलता आ रहा था. लेकिन फिर अचानक नंदिनी का फोन आना बंद हो गया. 7 दिनों तक लगातार फोन करने के बाद भी जब नंदिनी से उन का संपर्क नहीं हो पाया तो पूरा परिवार किसी अनहोनी के डर से परेशान हो उठा.
नंदिनी ने अपने ससुराल वालों के विरुद्ध जा कर पंकज राय से अंतरजातीय विवाह किया था. जिस की वजह से वह अपने ससुर के दिल में जगह नहीं बना पाई थी. यह बात पूरे परिवार को मालूम थी. नंदिनी के ससुर कमल राय उसी गांव के रहने वाले थे, जिस गांव की नंदिनी थी. वह अपने पूरे परिवार के साथ मुंबई में कांदिवली (पूर्व) के भाजीपाड़ा मार्केट पोयसर में रहते थे और कांदिवली (पश्चिम) से डोखरा खरीद कर मुंबई के कई इलाकों की दुकानों में सप्लाई करते थे.
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बेटा पंकज राय कांदिवली की ही ड्राईफ्रूट्स की एक दुकान पर सेल्समैन था. कुल मिला कर परिवार की आर्थिक स्थिति ठीकठाक थी. 11 दिसंबर, 2020 को करीब 10 बजे सुधीर ठाकुर ने कांदिवली, समतानगर पुलिस थाने आ कर थानाप्रभारी राजू कसबे से मुलाकात की. उन्होंने उन्हें अपनी बेटी नंदिनी के बारे में सारी बातें बता कर उस की गुमशुदगी की शिकायत दर्ज करवा दी. उन्होंने नंदिनी के ससुराल वालों पर संदेह जाहिर किया.
सुधीर ने बताया कि उन की बेटी नंदिनी का 4 दिसंबर, 2020 से फोन बंद है. तब से वह उस से लगातार संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन उन्हें उस के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल रही है. जब मैं नंदिनी की ससुराल गया तो पता चला उस की ससुराल के सभी लोग गांव गए हैं. घर में ताला लटक रहा है.
जब आसपास के लोगों से पूछताछ की तो उन्हें नंदिनी के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. बेटी कहां है, किस स्थिति में है, आप उस का पता लगा कर मेरी मदद करें.
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नंदिनी की संदिग्ध गुमशुदगी का मामला दर्ज होते ही राजू कसबे ने इस की जानकारी थानाप्रभारी अपने वरिष्ठ अधिकारियों डीसीपी डा. स्वामी, एसीपी जाधव को देने के बाद जांच की जिम्मेदारी इंसपेक्टर रविंद्र पडवल को सौंप दी. साथ ही उन के सहयोग के लिए असिस्टैंट इंसपेक्टर सीधाराम मेहेत्रे, विजय ससकर, एसआई खर्डे, कांस्टेबल किरन सालुके और पाटने की एक टीम भी बना दी.
चूंकि मामला संदेहपूर्ण था, इसलिए इंसपेक्टर रविंद्र पडवल ने अपने सहायकों के साथ तेजी से जांच शुरू कर दी. उन्होंने नंदिनी के ससुराल वालों को बिहार से बुला कर पूछताछ शुरू की. नंदिनी के ससुर कमल राय ने नंदिनी की गुमशुदगी के बारे में अनभिज्ञता जाहिर करते हुए कहा कि वह तो नंदिनी को सकुशल घर पर छोड़ कर गांव गए थे.
वह कहां चली गई, इस बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है. वैसे भी वह एक कैरेक्टरलैस लड़की थी, उस का चालचलन ठीक नहीं था. अपने किसी यार के साथ भाग गई होगी.
हालांकि नंदिनी का ससुर कमल राय अपने आप को नंदिनी के विषय में पाकसाफ बता रहा था, लेकिन इंसपेक्टर रविंद्र पडवल और उन के सहायकों को उस के कथन पर विश्वास नहीं था. नंदिनी के मामले की जांच की कोई और रूपरेखा तैयार कर के वह उस की तह में जाने की कोशिश करते, उस के पहले ही उन्हें जो जानकारी मिली उस से उन की सोच बदल गई.
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24 दिसंबर, 2020 को लगभग 8 बजे पुलिस कंट्रोलरूम से जो खबर प्रसारित हुई, उसे समतानगर पुलिस थाना पुलिस ने भी सुना. मुंबई उपनगर मलाड मालोनी थाने की पुलिस को मलाड अक्सा बीच समुद्र के किनारे एक युवती की लाश मिली थी, जिसे एक सफेद चादर में लपेटने के बाद बोरी में भर कर किसी नाले में फेंका गया था, जो बह कर समुद्र के किनारे पहुंच गई थी.
शव बुरी तरह से सड़ गया था. उम्र और हुलिया कुछ वैसा ही था, जैसा कि नंदिनी की शिकायत में दर्ज था. मलाड अक्सा बीच पिकनिक पौइंट है. वहां सुबहसुबह घूमने गए किसी व्यक्ति ने इस मामले की जानकारी मलाड मलोनी पुलिस थाने को दे दी थी, जिस समय मलोनी पुलिस टीम घटनास्थल पर पहुंची, तब तक वहां काफी लोगों की भीड़ एकत्र हो गई थी. पुलिस ने उन्हें हटा कर जांच शुरू कर दी.
शव की स्थिति देख कर पुलिस जांच टीम और वरिष्ठ अधिकारियों को यकीन हो गया था कि उस महिला का शव कई दिनों से पानी में पड़े होने की वजह से बुरी तरह विकृत हो गया है, जिस की शिनाख्त करना मुश्किल था. शव कहीं दूर से बह कर आया था.
मलाड मलोनी पुलिस ने आवश्यक काररवाई करने के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए बोरीवली के भगवती अस्पताल भेज दिया. शव के पास कोई ऐसी चीज नहीं मिली थी, जिस से उस की शिनाख्त हो पाती और जांच को कोई दिशा मिलती.
पुलिस के पास इस मामले को सुलझाने का एक ही रास्ता था, जिसे पुलिस हमेशा अपनाती है, उन्होंने भी वही किया. यह खबर पुलिस कंट्रोलरूम से वायरलैस द्वारा शहर के सभी थानों में प्रसारित करा दी और यह जानने की कोशिश की कि पिछले हफ्ते मृतका की किसी पुलिस थाने में गुमशुदगी तो दर्ज नहीं हुई है.
इस से मलाड़ मलोनी पुलिस की समस्याओं का हल तो निकला ही नंदिनी की गुमशुदगी का रहस्य भी खुल गया. सूचना मिलते ही समता नगर पुलिस थाने की जांच टीम मलाड़ मलोनी पुलिस थाने के अधिकारियों से संपर्क कर नंदिनी के पिता को शव की पहचान के लिए मलाड़ मलोनी पुलिस थाने ले गए, जहां से उन्हें बोरीवली के भगवती अस्पताल ले जाया गया.
अस्पताल में नंदिनी के पिता शव को देख कर अपनी छाती पीटपीट कर रोने लगे. साथ गई पुलिस टीम ने राहत की सांस ली और मामले की जांच तेजी से शुरू कर दी. अभी तक जहां नंदिनी का ससुर कमल राय सिर्फ संदेह के घेरे में था, अब जांच के रडार पर आ गया. इसलिए बिना किसी विलंब के समतानगर पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया.
पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने दोनों पुलिस थानों के अधिकारियों को इस मामले की जांच समानांतर रूप से करने का आदेश दिया. दहेजलोभी ससुर की करतूत अब तक नंदिनी की हत्या से अनजान बने उस के ससुर कमल राय पर जब पुलिस का शिकंजा कसा तो उस ने घुटने टेक दिए. पुलिस के सवालों की बौछार के आगे बचने का कोई रास्ता न पा कर उस ने अपना गुनाह स्वीकार करते हुए नंदिनी हत्याकांड और उस में शामिल अपने दोनों साथियों के नाम बता दिए.
55 वर्षीय कमल राय का अपने गांव और अपने समाज में अहम स्थान था, काफी इज्जत और मानसम्मान था. उस के परिवार में पत्नी के अलावा बेटा पंकज राय था. पंकज राय उन की एकलौती संतान था, जिसे उन का पूरा परिवार प्यार करता था.
क्योंकि बिहार में अच्छे घरों के लड़कों की शादी के लिए अच्छी मांग होती है. शादी में उन्हें लड़की वालों की तरफ से काफी मानसम्मान और लाखों रुपए का दानदहेज भी दिया जाता है. मगर कमल राय का यह सपना पूरा नहीं हुआ. उन के बेटे पंकज राय ने नंदिनी ठाकुर से लवमैरिज कर कमल राय के सारे सपने तोड़ दिए.
22 वर्षीय नंदिनी ठाकुर देखने में स्वस्थ और सुंदर थी, सौम्य स्वभाव की. उस का परिवार उसी गांव में रहता था, जिस गांव में कमल राय का परिवार रहता था. ब्राह्मण होने के नाते उस के परिवार की भी गांव में खूब इज्जत थी.
23 वर्षीय पंकज राय भरीपूरी कदकाठी का युवक होने के साथसाथ तेजतर्रार और महत्त्वाकांक्षी युवक था. नंदिनी और पंकज की दोस्ती उस समय शुरू हुई थी, जब दोनों पढ़ते थे, स्कूल साथसाथ जाते और आते थे. मौका मिलने पर दोनों साथ खेलतेकूदते थे.
पढ़ाई में एक साल सीनियर होने के नाते पंकज नंदिनी की मदद किया करता था. कभी पंकज तो कभी नंदिनी अपनी पढ़ाई को ले कर एकदूसरे के घर भी आयाजाया करते थे. दोनों कम उम्र थे, इसलिए उन के घर आनेजाने पर कोई रोकटोक नहीं थी और न इस पर किसी को कोई ऐतराज था.
लेकिन जैसेजैसे उन की उम्र बढ़ी, वैसेवैसे उन की सोच में बदलाव आने लगा था. उन का मन पढ़ाईलिखाई में कम प्यारमोहब्बत की तरफ अधिक खिंचने लगा. नतीजा यह हुआ कि यह बात कमल राय तक पहुंच गई. उस ने बेटे को मुंबई बुला कर नौकरी पर लगा दिया.
पंकज के मुंबई जाने के बाद नंदिनी भी पढ़ाई छोड़ कर घर बैठ गई और घर के कामों में मां का हाथ बंटाने लगा. लेकिन इस के बावजूद पंकज और नंदिनी के दिलों की नजदीकियां कम नहीं हुईं.
दोनों का इश्क मोबाइल के जरिए फलताफूलता और जवान होता रहा. दोनों एकदूसरे के दिल में कुछ इस तरह उतर गए थे कि एकदूसरे को अपना जीवनसाथी बनाने का फैसला कर लिया था.
जब यह बात उन के परिवार वालों तक पहुंची तो उन्होंने इस पर ऐतराज जताया.
मगर इस का उन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा. जैसेजैसे समय बीतता रहा, वैसेवैसे उन का प्यार और परिपक्व होता रहा. मौका देख कर कमल राय ने जब पंकज को समझाया तो उस ने बिना किसी डर के अपने मन की बात पिता से कह दी कि वह नंदिनी से प्यार करता है और उसी से शादी करेगा.
‘‘लेकिन यह संभव नहीं है.’’ पिता कमल राय ने गंभीर हो कर कहा.
‘‘क्यों पापा, आखिरी नंदिनी में क्या बुराई है. अच्छीखासी होने के साथसाथ सुंदर है. वह भी मुझे उतना ही प्यार करती है जितना कि मैं. अगर मेरी शादी उस से नहीं हुई तो मैं किसी और से शादी नहीं करूंगा.’’
पंकज अटल रहा अपने फैसले पर पंकज के इस फैसले से कमल राय को लाखों के दहेज का ख्वाब टूटता नजर आया. उस ने बेटे को आड़े हाथों लेते हुए कहा, ‘‘प्यार तो तुम्हें वह लड़की भी करेगी जिसे मैं ने पसंद किया है. लड़की भी सुंदर सभ्य है. उस से शादी करोगे तो मानसम्मान तो बढ़ेगा ही, साथ में अच्छाखासा दानदहेज भी मिलेगा. समझे.’’
‘‘कुछ भी हो, मुझे नंदिनी पसंद है. मैं उसी से शादी करूंगा.’’ पंकज ने साफसाफ पिता का विरोध किया.
उस की बात सुन कर कमल राय गुस्से में बोले, ‘‘यह ठीक नहीं है. वह हमारे गांव के ब्राह्मण की बेटी है. उस से तुम शादी करोगे तो हमारी और उस की समाज में क्या इज्जत रहेगी? बदनामी होगी अलग से. इसलिए तुम्हें उस लड़की को भूलना होगा.’’
यही बात नंदिनी के परिवार वालों ने भी उस से कही और उसे समझाया. लेकिन उस पर कोई असर नहीं हुआ. और अपने परिवार वालों के खिलाफ जा कर दोनों ने 2017 में लवमैरिज कर ली. अब नंदिनी पंकज राय बन कर पंकज के परिवार में शामिल हो गई. शादी के बाद पंकज नंदिनी को मुंबई ले आया था.
समय के साथ नंदिनी के परिवार वालों ने उसे माफ कर के अपना लिया. पंकज ने भी अपने परिवार वालों को मना लिया था. मगर पंकज के पिता कमल ने उन्हें माफ नहीं किया था. उस के मन में प्रतिष्ठा को लेकर जो कील चुभी थी, वह उसे निकाल फेंकने का मौका खोज रहा था.
और यह मौका उसे 3 साल बाद मिला. लौकडाउन में जब पंकज अपनी मां को ले कर छठ पूजा में बिहार गया तो चाहते हुए भी वह नंदिनी को अपने साथ नहीं ले जा सका. उस ने नंदिनी को अपने पिता के पास छोड़ दिया, ताकि उसे खाने वगैरह की परेशानी न हो.
खुद को घर में अकेला देख कमल राय ने नंदिनी के प्रति एक खतरनाक फैसला ले लिया. इस फैसले में उस ने अपने दोस्तों कृष्णा सिंह और प्रदीप गुप्ता को डेढ़ लाख रुपए का
लालच दे कर अपनी योजना में शामिल कर लिया. कृष्णा और प्रदीप पेशे से आटो ड्राइवर थे औरउस के दोस्त.
कृष्णा सिंह और प्रदीप गुप्ता उसी बस्ती में रहते थे, जिस में कमल राय रहता था. कमल राय उन के आटो से अकसर अपना माल कस्टमरों तक पहुंचाता था. दोनों को अपनी योजना में शामिल करने के लिए कमल ने कृष्णा सिंह को 68 हजार रुपए काम होने के पहले दे दिए. बाकी काम होने पर देने का वादा किया.
4 दिसंबर, 2020 की रात कमल राय ने मौका देख कर पहले से ही उस रूम का लौक खराब कर दिया, जिस में नंदिनी सोती थी. उस के बाद कमल राय ने अपने दोनों दोस्तों के साथ रात 12 बजे तकिए से नंदिनी का मुंह दबा कर उस की हत्या कर दी और बोरी व चादर में लपेट कर उस के शव को आटो से ले जा कर भाजी वाड़व के नाले में फेंक आए. नंदिनी के शव को ठिकाने लगाने के बाद कमल और प्रदीप गुप्ता अपनेअपने गांव चले गए.
कमल राय के बयान और निशानदेही पर प्रदीप गुप्ता को उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले से तो कृष्णा सिंह को उस के घर पोयसर मुंबई से गिरफ्तार कर लिया गया.
उन से विस्तार से पूछताछ करने केबाद उन का अपराध भादंवि की धारा 302, 201, 34, 120बी के अंतर्गत दर्ज कर किया गया. आगे की जांच के लिए उन्हें मलाड़ मलोनी पुलिस थाने के अधिकारियों को सौंप दिया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.