अंधविश्वास, नफरत और गुस्सा उसके दिल-दिमाग पर इसकदर हावी हो चुका था कि उसने अपनी पत्नी समेत अपने पूरे ससुराल का सफाया करने का मास्टर प्लान बना डाला. अपने प्लान को अंजाम देने के लिए उसने ना किसी हत्यारे को सुपारी दी और ना खुद पिस्तौल या चाक़ू का इस्तेमाल किया, बल्कि उसने तो पूरे परिवार को ख़त्म करने के लिए इराकी राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन की तरह रासायनिक हथियार का इस्तेमाल किया. उसके शातिर दिमाग ने अपने ससुरालियों को धीमी गति से मौत देने का फैसला किया और एक कंपनी से कूरियर द्वारा थैलियम नामक जहर मंगा कर बड़े ही नाटकीय ढंग से अपनी पत्नी और उसके पूरे परिवार के हलक से नीचे उतार दिया.

आरोपी -वरुण अरोड़ा 

ये सनसनीखेज़ घटना है दिल्ली के इंदरपुरी इलाके की, जहाँ एक पॉश कॉलोनी की आलिशान चार मंज़िला कोठी में रहने वाले करोड़पति बिज़नेसमैन देवेंद्र मोहन शर्मा का पूरा परिवार उनके दामाद वरुण अरोड़ा के शैतानी दिमाग में उपजे खूनी खेल की भेंट चढ़ गया.

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एक के बाद एक मौतें

15 फरवरी को देवेंद्र मोहन शर्मा की छोटी बेटी प्रियंका शर्मा एक अनजान बीमारी का शिकार हो कर मौत के मुँह में समा गयी. वह कमजोरी और बदन दर्द की शिकायत करती रही. अपने शरीर और मस्तिष्क पर उसका कोई कंट्रोल नहीं रहा. करीब पंद्रह दिन चले इलाज के दौरान वह निढाल होती गयी. अंत तक डॉक्टर नहीं समझ पाए कि उसको रोग क्या था. वह जीबी सिंड्रोम (गिलैन-बारे सिंड्रोम) समझ कर उसका इलाज करते रहे. यानी ऐसी विकृति जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली तंत्रिका तंत्र के कुछ हिस्सों पर हमला करती है. इससे कमजोरी या पैरों में झुनझुनी होती है जो हाथों और शरीर के ऊपरी हिस्सों में फैलती जाती है. इन लक्षणों की तीव्रता बढ़ने पर व्यक्ति अपनी पेशियों पर कंट्रोल खो देता है और उसे फालिज मार जाता है. चिकित्सकीय दृष्टि से यह गंभीर हालत है और मरीज को सांस लेने के लिए वेन्टीलेटर पर रखा जाता है. अधिकतर लोग गंभीर से गंभीर गिलैन- बारे संलक्षण से उबर जाते हैं, मगर प्रियंका के केस में ऐसा नहीं हुआ. वह दर्द से तड़पती हुई मौत की गोद में समा गयी.

मृतक प्रियंका शर्मा (साली) 

21 मार्च को देवेंद्र शर्मा की पत्नी अनिता शर्मा की मौत हो गयी. अनीता शर्मा में भी वैसे ही लक्षण उभरे जैसे कि प्रियंका में दिखे थे. मात्र चार लोगों के छोटे से परिवार में दो सदस्यों का अंतिम संस्कार करने वाले देवेंद्र शर्मा का दुःख अपनी पराकाष्ठा पर जा पहुंचा जब उनकी बड़ी बेटी और आरोपी की पत्नी दिव्या अरोड़ा वैसे ही लक्षणों के चलते कोमा में चली गयी. खुद देवेंद्र शर्मा अपने शरीर में भर गए जहर को निकालने के लिए इलाज करवा रहे थे. फ़िलहाल जहर के असर से उनके सिर के बाल झड़ चुके हैं और उनके पैरों में तेज़ दर्द की शिकायत है. देवेंद्र शर्मा के घर में काम करने वाली मेड भी इन्हीं लक्षणों से ग्रस्त है और उसका भी राम मनोहर लोहिया अस्पताल में इलाज चल रहा है.

मृतक अनीता शर्मा (सास)  

देवेंद्र शर्मा की 27 वर्षीय बेटी प्रियंका शर्मा को जब खराब हालत के कारण 1 फरवरी को अस्पताल में दाखिल करवाया गया था, तब ना तो परिवार वालों को और ना ही डॉक्टरों को इस बात का ज़रा भी अंदेशा हुआ कि उसे जहर दिया गया है. राजेंद्र प्लेस स्थित बीएलके सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में 15 दिन तक वह दर्द के मारे छटपटाती रही. डॉक्टरों ने उसके सारे टेस्ट कर डाले मगर उसकी बीमारी नहीं पकड़ पाए.

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एक खुशमिजाज़ और पढ़ाकू और बेहद खूबसूरत लड़की, जिसने दिल्ली के नामी जीसस एंड मैरी कॉलेज से बी.कॉम कर लंदन से ना सिर्फ मास्टर्स डिग्री ली थी, बल्कि वहां टॉप भी किया था और जो पिता के दवा निर्माण के बड़े कारोबार में हाथ बंटा रही थी, जिसके सामने उसका खूबसूरत भविष्य खड़ा था और जिसकी शादी के लिए देवेंद्र शर्मा एक होनहार काबिल दामाद ढूंढ रहे थे, वह अचानक दुनिया से चली गयी. उसकी मौत का कारण पता नहीं चला और देवेंद्र शर्मा ने अपनी बेटी का दाह संस्कार कर दिया.

प्रियंका की मौत के दो दिन पहले यानी 13 फरवरी को प्रियंका की बड़ी बहन दिव्या भी अपने ससुराल में बीमार पड़ गयी. उसके पूरे बदन में तेज़ दर्द उठने लगा और सिर के बाल बुरी तरह  झड़ने लगे. देवेंद्र शर्मा को पता चला तो वे बड़ी बेटी के ससुराल उसको देखने पहुंचे. दिव्या की हालत नाज़ुक थी. उनके दामाद वरुण ने उन्हें बताया कि उसका इलाज चल रहा है.

देवेंद्र मोहन शर्मा   

देवेंद्र शर्मा पर तो आफत का पहाड़ टूट पड़ा. इधर 15 फरवरी को छोटी बेटी प्रियंका की मौत हुई और 24 फरवरी को उनकी पत्नी अनीता के शरीर पर भी वैसे ही लक्षण दिखने लगे, जैसे प्रियंका और दिव्या के शरीर पर थे. 4 मार्च को देवेंद्र शर्मा ने अपने दामाद वरुण के साथ पहले दिव्या को सर गंगाराम हॉस्पिटल में भर्ती करवाया और उसके बाद 6 मार्च को उन्होंने अपनी पत्नी अनीता को भी इसी अस्पताल में एडमिट करवा दिया.

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दिव्या की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ और वह धीरे-धीरे कोमा में चली गयी. इधर अनिता शर्मा के सिर के बाल ऐसे उड़ गए जैसा कैंसर के मरीज में कीमो थैरपी के बाद गंजापन दिखाई देता है. यही नहीं, सिर पर घने बाल रखने वाले देवेंद्र शर्मा को भी अपने बाल झड़ने का अहसास होना शुरू हो गया था. साथ ही उनके पैरों में तेज़ दर्द उठने लगा. अपने दर्द को सहते हुए देवेंद्र शर्मा हॉस्पिटल में भर्ती अपनी पत्नी और बेटी के लिए दौड़भाग करते रहे.

हॉस्पिटल में अनिता शर्मा की तबियत लगातार गिरती जा रही थी. 13 मार्च को जब वह आईसीयू में चली गयीं तब सर गंगाराम के डॉक्टर्स ने उनके शरीर में पाइजन टेस्ट (जहर होने के शक में) करवाया.

देवेंद्र शर्मा कहते हैं, ‘जब मेरी पत्नी में किसी रोग के बारे में पता नहीं चला तब डॉक्टर ने टॉक्सिकोलॉजिस्ट से सलाह करके पाइजन टेस्ट करवाया, जिसमे 16 प्रकार के जहर की जांच होती है. इस टेस्ट में उनके खून में थैलियम की भारी मात्रा पायी गयी. मेरा और मेरी बड़ी बेटी जो कोमा में है, उसका भी यह टेस्ट हुआ और उसके शरीर में भी थैलियम की बहुत ज़्यादा मात्रा पायी गयी. मेरी पत्नी के शरीर में थैलियम की मात्रा 4000, बेटी के खून में 7800 और मेरे मेरे खून में 800 के करीब पाया गया.’

अनिता शर्मा के शरीर में जहर की पुष्टि तो हो गयी मगर तब तक बहुत देर हो चुकी थी. डॉक्टर उनको बचा नहीं पाए और 21 मार्च को अनिता शर्मा की मौत हो गयी.

जब ससुर को हुआ दामाद पर शक  

देवेंद्र शर्मा कहते हैं, ‘हम तीनों के खून में थैलियम नामक जहर मिलने से यह तो साफ़ हो गया कि हमारे परिवार को ख़त्म करने के लिए किसी ने हम सबको जहर दिया था. मेरे एक मित्र जो डॉक्टर हैं और अमेरिका में रहते हैं उन्होंने हमारी रिपोर्ट मंगवाई और देखने के बाद कहा कि थैलियम नामक जहर सब्ज़ी-दाल या पानी के माध्यम से शरीर में नहीं पहुँचता बल्कि इतनी बड़ी मात्रा में ये जहर हमारे शरीर में डाले गए हैं. तब मैंने पिछली घटनाओं के बारे में सोचना शुरू किया तो मुझे याद आया की 31 जनवरी को मेरा दामाद वरुण अरोड़ा ग्रेटर कैलाश के एम ब्लॉक कॉलोनी स्थित अपने घर से हम सबके लिए मछली बना कर लाया था. तब मेरी बड़ी बेटी दिव्या और उसके दोनों बच्चे हमारे घर पर ही थे. वरुण ने उसको फ़ोन करके कहा कि वह एक स्पेशल फिश करी बना रहा है और पैक करके सबके लिए ला रहा है. वह दोपहर में आया और अपने साथ लाई फिश करी उसने हम सबको खिलायी. मैंने, मेरी पत्नी ने, दिव्या ने वह फिश करी खाई थी. मगर तब वरुण ने अपने जबड़े में दर्द का बहाना बना करके खुद वह फिश करी नहीं खाई थी और अपने दोनों बच्चों को भी नहीं दी थी. मेरी छोटी बेटी प्रियंका उस वक़्त बाहर गयी हुई थी. वरुण ने उसके लिए फिश करी बचा कर रखी थी और जब वह शाम को पांच बजे लौटी, तब उसने बड़ा आग्रह करके उसको वह फिश करी खिलाई. मेरे घर में काम करने वाली मेड भी हमारे यहां ही खाना खाती है, कुछ फिश करी उसने भी खाई थी. यानी जिसने जिसने भी वरुण की लाई फिश करी खाई सब बीमार हो गए थे. मुझे वरुण पर शक हुआ. क्योंकि वरुण की मेरी बेटी और मेरी पत्नी के साथ अक्सर खटपट होती थी. वह मेरी पत्नी को पसंद नहीं करता था, मगर उस रोज़ वह बड़े खुशमिजाज़ मूड में हमारे घर आया था. उस दिन के उसके व्यवहार को याद करके मेरा दिमाग खटका कि हो सकता है उसने ही फिश करी में जहर मिला कर हम सबको मारने की कोशिश की है.

मैंने अपना शक डॉक्टर से जाहिर किया. इस बीच मेरी पत्नी की हालत बहुत ज़्यादा बिगड़ गयी और उसको बचांया नहीं जा सकता. उसकी मौत के बाद गंगाराम के स्टाफ ने इसे पुलिस केस बता कर इंदरपुरी थाना इंचार्ज को मामला सौंपा.’

अपनी बीमार सास और पत्नी को देखने लगातार हॉस्पिटल आ रहे वरुण अरोड़ा को यह गुमान भी नहीं था कि उसके ससुर को उसके फुल प्रूफ प्लान पर शक हो जाएगा और उनका पुलिस को दिया एक स्टेटमेंट वरुण को लम्बे समय के लिए जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा देगा.

देवेंद्र शर्मा कहते हैं, ‘हम सब बहुत खुश थे कि चलो आयेदिन मेरी बेटी से लड़ने झगड़ने वाला दामाद आज इतने प्यार से खुद सबके लिए कोई डिश बना कर ला रहा है. हम उसके व्यवहार में आये बदलाव पर खुश थे, पर हमें क्या पता था कि वह खाने के बहाने हमारी मौत का सामान ले कर आया था. और उसने मेरे पूरे परिवार को खत्म कर दिया.’

  इंस्पेक्टर सुरेंद्र सिंह (इंदरपुरी थानाइंचार्ज

इस मामले के जांच अधिकारी और इंदरपुरी थानाइंचार्ज सुरेंद्र सिंह कहते हैं, ‘ इंदरपुरी पुलिस स्टेशन में 21 मार्च 2021 को सर गंगाराम अस्पताल से फ़ोन आया कि वहां कई दिनों से भर्ती एक मरीज अनीता शर्मा की मौत हो गयी है और डॉक्टरों को शक है कि उन्हें जहर दिया गया है. मैंने सबइंस्पेक्टर पंकज पराशर को तुरंत अस्पताल भेजा. डॉक्टर्स से बातचीत हुई. अनिता शर्मा का पोस्टमार्टम करवाया गया था और इसके साथ ही देवेंद्र शर्मा की बड़ी बेटी दिव्या जो कोमा में है उसका भी ब्लड टेस्ट हुआ था. साथ ही देवेंद्र शर्मा और उनके घर में कामवाली बाई का भी टेस्ट करवाया गया था. सबके शरीर में थैलियम की मात्रा बहुत ज़्यादा थी. ऐसा लगता था कि जैसे सबको जहर के इंजेक्शन दिए गए हैं.’

क्यों खेला मौत का खेल

वरुण और दिव्या   

वरुण और दिव्या की शादी 2009 में हुई थी. दोनों ही परिवारों में पैसों की कोई कमी नहीं है. दिल्ली के पॉश इलाकों में दोनों परिवारों की आलिशान कोठियां हैं. देवेंद्र शर्मा होमियोपैथी मेडिसिन के बड़े निर्माता हैं. बढ़िया कारोबार है. करोड़ों के मालिक हैं. इंदरपुरी ईसी-3 में उनकी चारमंजिला लखदख कोठी है. चारों तरफ से पूरी तरह किले के माफिक सुरक्षित कोठी के बड़े से गेट पर गार्ड तैनात रहते हैं. कोठी के भीतर की भव्यता, तड़क-भड़क और सजावट बताती है कि इस परिवार में पैसे की रेलमपेल है. वहीँ ग्रेटर कैलाश के सबसे पॉश इलाके एम ब्लॉक 64 नंबर की पांच सौ गज़ में बनी चार मंज़िला भव्य कोठी वरुण अरोड़ा की है. अपने माता पिता का इकलौता मगर गोद लिया वरुण इस कोठी में अपनी पत्नी दिव्या और साढ़े चार साल के दो मासूम जुड़वां बच्चों के साथ रह रहा था. वरुण के पिता का रियल स्टेट का बिज़नेस था और उस कारोबार में वरुण भी अपने पिता के साथ काम करता था. पैसे की कोई कमी यहां भी नहीं थी. मगर वरुण और दिव्या शादी के बाद बच्चे का मुँह देखने को तरस रहे थे. शादी के आठ साल बाद अंततः आईवीएफ तकनीक से दोनों को जुड़वां संतान प्राप्त हुई. एक बेटा और एक बेटी. ये परिवार अपने दोनों बच्चों को पा कर खुश था.

इसी बीच 28 फरवरी 2020 को वरुण के पिता का हार्ट अटैक के चलते निधन हो गया और उसके कुछ दिनों बाद दिव्या प्राकृतिक रूप से एक बार फिर गर्भवती हो गयी.

वरुण ने पुलिस को जो बयान दिया है, उसके मुताबिक़, ‘मैं उस बच्चे को चाहता था. मेरे मृत पिता ने मुझे सपने में आकर दर्शन दिए थे और कहा था कि वह वापस आ रहे हैं, मेरी संतान के रूप में. मगर दिव्या ने अपनी माँ के कहने में आकर गर्भपात करवा लिया. उसने मेरे पिता को मार डाला. उसकी माँ मेरे घर में कलह का कारण थी. वह हमारे बीच लड़ाइयां करवाती थी. दिव्या बस अपनी माँ के कहने पर ही चलती थी, मेरी भावना या मेरे फैसलों की उसने कभी परवाह नहीं की. ‘

उधर दिव्या के पिता का कहना है कि – ‘जिस आईवीएफ सेंटर में दिव्या को जुड़वां बच्चे हुए थे, नयी प्रेगनेंसी के बाद वहां डॉक्टर से मिलने पर उन्होंने दिव्या को गर्भपात करवाने की सलाह दी थी, क्योंकि इस गर्भ के कारण दिव्या के जीवन को बड़ा ख़तरा था. फिर उनके पास पहले ही दो बच्चे थे, इसलिए दिव्या ने तीसरा बच्चा गिरवा दिया था. हम बच्चे के कारण अपनी बेटी की जिंदगी दांव पर नहीं लगा सकते थे. इस बात को लेकर वरुण ने मेरी पत्नी अनीता से भी बड़ी बहस की थी. और इस घटना के बाद से मेरी बेटी दामाद के बीच झगडे बढ़ गए थे. वह रात में डेढ़-डेढ़ बजे तक अपनी माँ से गप्पे मारता था, मेरी बेटी के पास भी नहीं आता था. वह दिव्या के साथ गाली-गलौच भी करने लगा था. वरुण और उसकी माँ आरोप लगाते थे कि दिव्या अपनी माँ अनीता के इशारे पर चलती है.’

पुलिस कहती है कि वरुण ने पूछताछ में यह बताया है कि दिव्या की माँ अक्सर उसको ताने देती थी. उसको नीचा दिखाती थी. अपमानित करती थी. उसने कहा कि – ‘दिव्या ने मेरे फैसले के खिलाफ जाकर गर्भपात करवाया था, जिसको लेकर मेरी सास के साथ मेरी काफी बहस हुई थी.’

तय कर लिया कि ससुराल का सफाया करना है

मामले के जांच अधिकारी इंस्पेक्टर सुरेंद्र सिंह कहते हैं, ‘वरुण ने पुलिस के सामने अपना जुर्म कबूल कर लिया है. उसके ससुर देवेंद्र शर्मा की शिकायत पर दर्ज एफआईआर के बाद हमने वरुण अरोड़ा के घर पर छापा मारा. उसका लैपटॉप और मोबाइल फोन जब्त किया. जिसमे ऑनलाइन सर्च हिस्ट्री में जाने पर पता चला कि वरुण ने थैलियम के सम्बन्ध में काफी खोजबीन की थी. वह कुछ ऐसा जहर ढूंढ रहा था जिससे व्यक्ति को पहले बीमार किया जाए और फिर धीमे धीमे मौत की ओर धकेला जाए.

पुलिस कहती है, ‘आरोपी ने थैलियम के इस्तेमाल से पहले मर्करी पर भी विचार किया था. लेकिन, इससे तुरंत मौत होने पर पुलिस को शक हो जाता इसलिए आरोपी ने मीठे जहर के रूप में प्रसिद्ध थैलियम का प्रयोग किया था. वरुण ने पुलिस को बताया कि उसने मर्करी के बारे में पहले से सुना हुआ था. लेकिन, इसके इस्तेमाल की उसके पास जानकारी नहीं थी. उसने इंटरनेट पर मर्करी के बारे में पढ़ा तो पता चला कि इसके इस्तेमाल से तुरंत मौत हो जाएगी. इसके अलावा यदि वह मर्करी से लोगों की हत्या करता है तो उसके असर से शरीर के रंग में बदलाव आने की संभावना भी बनी रहती है. ऐसे में सभी मृतकों की मौत एक साथ होने पर पुलिस का शक उस पर जाता. इसलिए, उसने मर्करी का इस्तेमाल नहीं करने का फैसला लिया और फिर थैलियम के बारे में जानकारी जुटाई.

वरुण ने बताया कि जब उसकी साली प्रियंका की मौत फरवरी में हो गई और बिना किसी शक के उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया, तब उसे लगा कि वह बच गया है और अब पुलिस उसे कभी नहीं पकड़ पाएगी. लेकिन, 22 मार्च को जब उसकी सास अनिता की मौत हुई और डॉक्टरों ने पुलिस को फोन कर दिया तो सारा मामला खुल गया.

पुलिस केस बनता देख वरुण डर गया और उसने 23 मार्च की रात को खुद भी थैलियम की कुछ मात्रा का सेवन किया. उसे लगा कि अगर पुलिस उस तक पहुंचती है तो मृतकों की बीमारी के लक्षण उसमे भी मिलेंगे. इससे पुलिस को लगेगा कि वह भी पीड़ित है.

मगर वरुण की यह चालाकी पुलिस के सामने नहीं चली और उसके लैपटॉप एवं मोबाइल फ़ोन ने उसकी सारी पोलपट्टी खोल कर रख दी. लैपटॉप खंगालने पर पुलिस को ब्राउजिंग हिस्ट्री में थैलियम से संबंधित कई वेब पेज खोले जाने की जानकारी मिली. ग्रेटर कैलाश में उसके घर से थैलियम जहर की शीशी भी पुलिस को मिली है. जिस जगह से उसने थैलियम की खेप मंगाई थी उसका खुलासा अभी पुलिस ने नहीं किया है. थैलियम का इस्तेमाल तानाशाह सद्दाम हुसैन ने अपने  राजनीतिक विरोधियों को खत्म करने के लिए किया था. इसी के साथ सद्दाम हुसैन से संबंधित किताब भी पुलिस ने वरुण के घर से बरामद की है. पुलिस का कहना है कि आरोपी ने सद्दाम हुसैन से प्रेरित होकर थैलियम जहर से पत्नी और ससुराल वालों को मारने की साजिश रची.

थैलियम से क्या होता है?

थैलियम एक अत्यधिक जहरीला धातु रासायनिक तत्व है जिसे खराब धातुओं में वर्गीकृत किया जाता है. विषाक्तता के बावजूद थैलियम में कई वाणिज्यिक और औद्योगिक उपयोग हैं. उपभोक्ता सीधे इसे बाजार जाकर नहीं खरीद सकते हैं. थैलियम का उपयोग कीट और चूहे के जहर के रूप में किया जाता था. हालांकि, बाद में इसके उपयोग पर रोक लगा दी गयी.

थैलियम को स्लो पॉइजन कहा जाता है, जो धीरे-धीरे जिंदगी को खत्म करता है. थैलियम के संपर्क में आने के शुरुआती 48 घंटों में उल्टी, डायरिया, चक्कर आना जैसे लक्षण महसूस होते हैं. कुछ दिन में यह नर्वस सिस्‍टम को डैमेज करना शुरू कर देता है. धीरे-धीरे मांसपेशियां बेकार हो जाती हैं, याद्दाश्‍त चली जाती है और आखिर में इंसान कोमा में चला जाता है. थैलियम के जहर से मौत होने में तीन से चार हफ्तों का वक्‍त लग सकता है.

अदूरदर्शिता और अज्ञानता का शिकार हुए दो परिवार

वरुण के पारिवारिक फैसलों पर अपनी राय थोपने के कारण जहाँ वरुण को अपनी सास अनीता शर्मा दुश्मन नज़र आने लगी थी, वहीँ ग्रेजुएट होने, भरपूर पैसा और शानोशौकत होने के बावजूद उसका मानसिक स्तर कितना निम्न दर्जे का है, इसका पता इस बात से लगता है कि वह पुनर्जन्म और सपनों के सच होने जैसी दकियानूसी बातों पर विश्वास करता था. यही नहीं वैवाहिक जीवन के इतने साल गुज़र जाने के बाद भी पत्नी के साथ उसका रिश्ता कभी आत्मीय नहीं बन सका था. वे दोनों इस रिश्ते को ढो रहे थे. दोनों के बीच तल्खियां बढ़ रही थीं जिसका अंजाम बहुत भयानक रूप में सामने आया.

शर्मा परिवार में देवेंद्र शर्मा अब अकेले बचे हैं. अपने दामाद द्वारा खिलाये गए जहर के असर से निकलने के लिए अपना इलाज करवा रहे हैं. उनकी बड़ी बेटी दिव्या अस्पताल के आईसीयू वॉर्ड में कोमा में पड़ी है. वह जीवित बचेगी या नहीं, इस बारे में डॉक्टर कुछ नहीं बता पा रहे हैं.  वहीँ वरुण को न्यायिक हिरासत में तिहाड़ भेज दिया गया है. उस पर भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (ह्त्या), 307 , 328, 498 और 34 के तहत मामला दर्ज हुआ है. जिसमें आरोपी को आसानी से जमानत नहीं मिलती है. वरुण के परिवार में उसकी बूढी माँ उसके साढ़े चार साल के दो बच्चों को अकेले संभालती हुई घर में बिलकुल बंद हो गयी है. वह गहरे सदमे में हैं और मीडिया से बात तक नहीं करना चाहतीं.

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