सीमेंट कारोबारी संदीप गुप्ता अपने 2 सुरक्षा गार्डां के साथ डीआईजी से मिल कर लौट रहे थे, तभी शहर के व्यस्ततम चौराहे पर अज्ञात लोगों ने उन्हें भून दिया.

बात 27 दिसंबर, 2021 की है. एटा जिले के अलीगंज निवासी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अल्ट्राटेक व श्री सीमेंट के सप्लायर व नामचीन लौजिस्टिक कारोबारी संदीप गुप्ता उर्फ संजीव लाला अपनी फौरच्युनर कार से सुबह के समय अलीगढ़ के लिए निकले थे.

राजनैतिक पहुंच रखने वाले संदीप गुप्ता एक बड़े व्यापारी थे, इसलिए उन्हें सुरक्षा के लिए सरकारी गनर हैडकांस्टेबल संदीप पाल मिला हुआ था. प्रदेश में विधानसभा चुनाव की तैयारियां चल रही थीं. चूंकि चुनावी सरगर्मियों के बीच सुरक्षा समितियां निर्णय लेती रहती हैं. इस कारण संदीप गुप्ता सुरक्षा गनर के मामले में डीआईजी से मिलने उन के कैंप कार्यालय आए थे. वह अपनी सुरक्षा के लिए भविष्य में भी सरकारी गनर को रखना चाहते थे.

शाम को लगभग साढ़े 7 बजे वह इस सिलसिले में डीआईजी रेंज दीपक कुमार से मिलने सरकारी गनर संदीप पाल और अपने निजी गनर श्रीनिवास मिश्रा के साथ गए थे. उन से मिलने के बाद वह महाजन होटल के सामने कावेरी एनक्लेव स्थित अपने औफिस पहुंचे. कुछ देर रुकने के बाद वहां मौजूद अल्ट्राटेक कंपनी के अधिकारी शशांक निगम को साथ ले कर उन के ग्रीन पार्क स्थित घर छोड़ने जा रहे थे. उस वक्त संदीप गुप्ता की सिक्योरिटी के लोग दूसरी कार में थे.

कारोबारी संदीप गुप्ता की फौरच्युनर कार अतिव्यस्त रामघाट स्थित गांधी तिराहा मोड़ पर एक पान की दुकान के पास पहुंची. संदीप ने अपनी कार के ड्राइवर रनवीर से कार रोक कर पान की दुकान से पान मसाला लाने को कहा.

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उस समय रात के सवा 8 बजे का समय था. ड्राइवर रनवीर कार से उतर कर पान की दुकान की ओर गया. इसी बीच एक नीले रंग की बलेनो कार संदीप की कार के बराबर में आ कर रुकी. उस कार से 2 युवक तेजी से उतरे. उन दोनों युवकों ने ड्राइवर की बगल वाली सीट पर बैठे संदीप गुप्ता को निशाना बना कर ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी.

पहली गोली चलते ही कार की पीछे की सीट पर बैठे कंपनी के अधिकारी जान बचाने को सीट के नीचे छिप गए. ड्राइवर की सीट की बगल में बैठे संदीप गुप्ता को फायरिंग में 3 गोलियां लगीं. वह कार में ही ढेर हो गए.

इस हत्याकांड को हमलावरों ने मात्र 30 सैकेंड में अंजाम दिया और अपनी बलेनो में ही सवार हो कर फरार हो गए. बलेनो को उन का तीसरा साथी चला रहा था.

आननफानन में कारोबारी के साथी व सुरक्षाकर्मियों द्वारा संदीप को क्वार्सी के ट्रामा सेंटर ले जाया गया. जहां डाक्टरों ने चैकअप के बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया.

अति व्यस्तम क्षेत्र में नामचीन कारोबारी की सनसनीखेज हत्या से वहां अफरातफरी मच गई. भयभीत दुकानदार और ठेले वाले अपनीअपनी दुकानें बंद कर भागने लगे.

घटना की जानकारी होते ही क्वार्सी व सिविललाइंस पुलिस घटनास्थल पर पहुंच गई. घटना की जानकारी उच्चाधिकारियों को दी गई. डीआईजी दीपक कुमार, एसएसपी कलानिधि नैथानी, एसपी (सिटी) कुलदीप, सीओ (तृतीय) श्वेताभ भी घटनास्थल पर पहुंच गए.

प्रत्यक्षदर्शियों व अन्य साथियों ने अधिकारियों को पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी. घटना के समय सिक्योरिटी गनर वाली कार कारोबारी की कार से कुछ आगे निकल गई थी. संदीप अपनी लाइसैंसी माउजर को अपनी कमर में लगाए हुए थे, लेकिन उन्हें अपने बचाव का मौका ही नहीं मिला.

हत्यारे मास्क लगाए थे और एक के सिर पर कैप था. इस बीच पुलिस ने फोरैंसिक टीम को भी बुला लिया गया. मौके से साक्ष्य जुटाए गए. ट्रामा सेंटर में पहुंच कर पुलिस अधिकारियों ने ड्राइवर, कंपनी अधिकारी, सरकारी व निजी गनर के साथ ही परिवार के सदस्यों से बंद कमरे में पूछताछ कर क्लू तलाशने की कोशिश की.

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संदीप को 2015 से सरकारी गनर मिला हुआ है. पुलिस के सामने अब प्रश्न यह था कि सरकारी गनर कारोबारी संदीप गुप्ता के साथ न हो कर दूसरी कार में क्यों था? दूसरी कार भी संदीप की कार से आगे निकल गई थी.

घटना की जानकारी जैसे ही अलीगंज में संदीप के घर वालों को मिली, तो घर में कोहराम मच गया. घर वाले अलीगढ़ के लिए उसी समय रवाना हो गए. देर रात हत्या का मुकदमा थाना सिविललाइंस में मृतक के छोटे भाई सुजीत गुप्ता ने अज्ञात हत्यारों के खिलाफ दर्ज कराया.

पुलिस ने हत्या व धमकी देने की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया. जरूरी काररवाई निपटा कर शव को पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भिजवा दिया.

हत्या के बाद व्यापारियों में फैला आक्रोश

अलीगंज के प्रतिष्ठित सीमेंट कारोबारी और ट्रांसपोर्टर संदीप गुप्ता की अलीगढ़ में सनसनीखेज हत्या की खबर जंगल की आग की तरह फैली. पूरे मंडल में खलबली मच गई. एटा, अलीगंज, जैथरा, राजा का रामपुर के क्षेत्रीय लोगों और व्यापारियों में गम के साथ ही आक्रोश फैल गया.

घटना के बाद से ही पुलिस ने शहर में नाकाबंदी कर के हमलावरों की खोज शुरू कर दी थी. वाहनों की सघन चैकिंग शुरू कर दी गई. हत्यारों का पता लगाने के लिए पुलिस की 5 टीमें बनाई गईं.

घटनास्थल के आसपास के सीसीटीवी कैमरे चैक किए गए. एक सीसीटीवी कैमरे में कार व बदमाश कैद पाए गए. घटना के समय कार में ड्राइविंग सीट पर एक बदमाश बैठा रहा था, जबकि 2 ने घटना को अंजाम दिया था. पुलिस इसी आधार पर उसी दिशा में आगे बढ़ी.

कारोबारी की हत्या के बाद पुलिस अलीगंज से ले कर राजस्थान तक सुराग तलाशने में जुट गई.

उन की हत्या की खबर अलीगढ़ के साथ ही अलीगंज के व्यापारियों को भी मिल गई. इस से उन में आक्रोश फैल गया. हर कोई यह जानना चाहता था कि कारोबारी संदीप गुप्ता की हत्या किस ने और क्यों की?

आइए, संदीप गुप्ता के बारे में जानते हैं. संदीप के व्यापारिक साम्राज्य की बात करें तो उन का अलीगंज में पुश्तैनी संदीप साड़ी संसार के नाम से अपना व्यापार है. 4 भाइयों में दूसरे नंबर के थे संदीप.

उन के दादा बांकेलाल गुप्ता का कपड़े का व्यापार था, जिसे पिता रामप्रकाश गुप्ता ने भी आगे बढ़ाया. संदीप ने 1990 में स्थानीय तौर पर सीमेंट एजेंसी ली. एजेंसी से डीलर और स्टाकिस्ट बन कर अन्य लोगों को सीमेंट की सप्लाई करने लगे.

करीब 2 दशक पहले ट्रांसपोर्ट कारोबार में प्रवेश किया और उस ट्रांसपोर्ट कारोबार के जरिए वह क्ंिलकर व सीमेंट सप्लाई के किंग बनते चले गए. 80 से अधिक ट्रक उन के पास थे. करीबी व जानकार बताते हैं वे पश्चिमी यूपी की सभी सीमेंट फैक्ट्रियों को राजस्थान व अन्य जगहों से आने वाली मालगाड़ी रैक के जरिए क्ंिलकर की सप्लाई देते थे. इस के बाद उन सीमेंट फैक्ट्रियों से तैयार होने वाले सीमेंट के सप्लायर भी बन गए.

अलीगढ़ उन के व्यापार का बेस कैंप था, जबकि गाजियाबाद, मेरठ, बरेली में भी उन की फर्म के औफिस थे. व्यापार में उन के साथ उन का बेटा यश, भतीजा लवेश व परिवार के अन्य लोग हाथ बंटाते थे. वह बालू खनन, रीयल स्टेट, बिल्डिंग निर्माण, राजकीय ठेकेदारी से जुड़े कारोबारों में भी शामिल थे.

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पूर्व जिला पंचायत सदस्य महेंद्र प्रताप उर्फ पिंका ठाकुर से भी संदीप की करीबियां थीं. दोनों कारोबारी पार्टनर थे.

कुछ दिन पहले गोली कांड में घायल पिंका को देखने संदीप गुप्ता गुरुग्राम गए थे. जानकारी मिलते ही पिंका के घर वाले भी अस्पताल पहुंच गए. पिंका पर हमले के कुछ दिन बाद ही संदीप की हत्या किए जाने को ले कर भी तरहतरह के कयास लगाए जाने लगे.

22 दिसंबर, 2021 को भाजपा नेता लालजी वर्मा और पिंका के बीच हुए विवाद में फायरिंग हुई थी. इस में पिंका गोली लगने से घायल हो गया था. उस का दिल्ली के एक अस्पताल में इलाज चल रहा था. लालजी वर्मा का एक बेटा भी पैर में छर्रा लगने से घायल हुआ था.

पुलिस इस मामले में लालजी वर्मा, उन के 3 बेटों और पिंका के 2 गार्डों को जेल भेज चुकी थी. खबर मिलने पर मारहरा से विधायक वीरेंद्र सिंह लोधी, भाजपा जिलाध्यक्ष एटा संदीप जैन भी यहां पहुंच गए थे.

भाड़े के शूटरों ने की हत्या

हरदुआगंज क्षेत्र में नहर के किनारे शूटरों की वह कार भी लावारिस हालत में मिल गई, जो घटना में प्रयोग की गई थी. देर रात ही पुलिस फोरैंसिक टीम को ले कर उस कार की जांच के लिए मौके पर पहुंच गई.

जांच में पता चला कि यह बलेनो कार आगरा के एक व्यक्ति के नाम से पंजीकृत है. अक्तूबर 2021 में आगरा के सिकदंरा क्षेत्र से उस व्यक्ति का कार सहित अपहरण कर लिया गया था. बदमाश उस व्यक्ति को मथुरा के फरह क्षेत्र में फेंक कर उस की कार लूट कर ले गए थे. इस संबंध में थाना फरह में मुकदमा भी दर्ज है. इस से इस बात को और बल मिल रहा था कि भाड़े के शूटरों को बाहर से हायर कर यहां भेजा गया था.

इस घटना का संज्ञान खुद मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा लिया गया. देर रात तक डीआईजी व एसएसपी से डीजीपी, प्रमुख सचिव गृह व मुख्यमंत्री कार्यालय से इस घटना को ले कर अपडेट लिया गया.

चूंकि बड़े कारोबारी और सियासी संपर्क रखने वाले व्यक्ति की हत्या हुई थी, इसलिए अधिकारियों ने हर कदम फूंकफूंक कर रखना शुरू कर दिया था.

पुलिस ने सीसीटीवी कैमरों की मदद से खोज शुरू की. इस दौरान जांच में सामने आया कि घटना से पहले शूटरों की कार ने खैर रोड से खेरेश्वर चौराहे के रास्ते शहर में प्रवेश किया था. इस के बाद कार घूमते हुए दुबे पड़ाव हो कर रामघाट रोड पर आई थी.

इसी बीच शूटरों को संदीप गुप्ता की कार दिखाई दे गई और उस में सवार शूटरों ने घटना को अंजाम दिया. घटना को अंजाम देने के बाद बदमाशों की यह कार अतरौली की ओर भागी. इस के बाद एक अन्य सीसीटीवी कैमरे में यह कार क्वार्सी चौराहे पर कैद पाई गई. फिर हरदुआगंज की ओर निकली.

मगर तब तक चूंकि पुलिस ने सूचना प्रसारित कर नाकाबंदी करा दी थी. इस के चलते कार में सवार शूटर बचने के चक्कर में रास्ता भटक गए और फंसने पर कार हरदुआगंज क्षेत्र में नहर के किनारे छोड़ कर भाग गए. जांच में पता चला कि इस पर लगी नंबर प्लेट फरजी थी.

कारोबारी संदीप की गाड़ी चलाने वाला ड्राइवर रनवीर घटना के बाद घबरा गया. उस के अनुसार वह 25 साल से संदीप की गाड़ी चला रहा है. जब वह उतर कर पान मसाला खरीदने गया उसी समय बदमाशों ने

गोली चलाई थी. वह बदमाशों को देख नहीं पाया था.

रनवीर ने बताया कि संदीप गुप्ता ने अपने व्यापार में अलीगढ़ के अलावा बरेली, मेरठ, गाजियाबाद आदि जगहों पर अलीगंज के रहने वाले कर्मचारी लगा रखे हैं. वे सभी बेहद विश्वासपात्र हैं.

परिजनों ने की हत्यारों की गिरफ्तारी की मांग

इस दुस्साहसिक घटना सें एक सवाल पुलिस के सामने यह भी खड़ा हो रहा था कि कोई अपना ही भेदिया तो नहीं, जो संदीप गुप्ता की पलपल की खबर शूटरों को दे रहा हो? क्योंकि संदीप डीआईजी कार्यालय से निकलने के बाद सीधे अपने दफ्तर पहुंचे थे और वहां से ग्रीन पार्क के लिए निकले थे.

पूछताछ में पुलिस को पता चला कि अल्ट्राटेक कंपनी के अधिकारी को अपनी कार में बैठाने के साथ ही संदीप गुप्ता ने ही सुरक्षा में लगे दोनों गनरों को कंपनी अधिकारी की स्कौर्पियो में बैठा कर उन से ग्रीन पार्क पहुंचने को कहा था. इस पर सरकारी व निजी सिक्योरिटी स्टाफ स्कौर्पियो में सवार हो कर संदीप की कार के आगेआगे चलने लगे. इसी बीच हत्याकांड हो गया.

शूटरों के पास अत्याधुनिक पिस्टल थीं और उन के हाथ भी बेहद सधे हुए थे. एक गोली गाड़ी के कौर्नर की चादर को भेदते हुए संदीप के बगल में जा घुसी थी. दूसरी शीशे को चीरते हुए कनपटी में घुसी थी. एक गोली और चलाई जो संदीप की जैकेट में गरदन के पास फंसी थी. घटनास्थल पर पुलिस को 4 खोखे मिले जो .32 बोर की पिस्टल के बताए जा रहे थे. पुलिस ने उन्हें फोरैंसिकजांच के लिए भेज दिया.

संदीप की सामाजिक कामों में पकड़ भी मजबूत थी. उन की लोकप्रियता का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि जैसे ही कारोबारी का शव एंबुलैंस से अलीगंज पहुंचा, जनसैलाब उमड़ पड़ा.

रास्ते के दोनों ओर खड़े लोग एंबुलैंस पर फूल बरसा रहे थे. 29 दिसंबर को दोपहर बाद भारी पुलिस फोर्स के बीच कस्बे के श्मशान घाट पर उन का अंतिम संस्कार किया गया.

पुलिस कई एंगल से करने लगी जांच

पुलिस संदीप की हत्या की वजह पुरानी या पारिवारिक रंजिश, सियासी, व्यापारिक प्रतिस्पर्धा को मानते हुए जांच आगे की दिशा में बढ़ रही थी. पुलिस ने 6 अदावतों (दुश्मनी) पर काम किया. इन में डेढ़ दशक पुरानी अलीगंज से जुड़ी एक अदावत परिवार के स्तर से पुलिस जानकारी में आई. हालांकि वह इतनी ज्वलंत नहीं थी.

गभाना में एक सीमेंट कंपनी की फैक्टरी संदीप गुप्ता के सहयोग से स्थापित की जा रही थी. उस में जमीन पर कब्जे को ले कर कुछ विवाद था. तीसरी राजस्थान के करौली क्षेत्र से क्ंिलकर रैक के ठेके पर हुआ विवाद. चौथा परिवार की एक बेटी दीप्ति सारसौल इलाके के ट्रांसपोर्टर परिवार में ब्याही थी, उस का रिश्ता टूटने के दौरान हुआ विवाद.

पांचवा कासिमपुर पावर हाउस पर क्ंिलकर की रैक और पावर हाउस की फ्लाईऐश की सप्लाई को ले कर आसपास के जिलों के रसूखदार ग्रुप अकसर टकराते रहते हैं. इस में भी संदीप की कंपनी का कब्जा हो गया था.

इस के अलावा सीमेंट व क्लिंकर सप्लाई से जुड़े यूपी के अन्य जिलों की किसी अदावत पर भी पुलिस ने काम शुरू कर दिया.

इन 6 अदावतों में हत्या का सुराग तलाश रही पुलिस को एक में हत्या का राज छिपा मिला. पारिवारिक विवाद और व्यापार सरीखे 6 मुद्दों के इर्दगिर्द घूमी जांच में हत्या के दूसरे दिन 28 दिसंबर की देर रात पुलिस को महत्त्वपूर्ण सुराग हाथ लगे.

एसपी (सिटी) कुलदीप सिंह गुनावत के नेतृत्व में पुलिस की 5 टीमें इस सनसनीखेज हत्याकांड के खुलासे में लगाई गई थीं, जिन में श्वेताभ पांडेय सीओ (तृतीय) भी शामिल थे. पुलिस ने हत्याकांड के खुलासे के लिए शहर के लगभग 200 से अधिक सीसीटीवी कैमरे खंगाले.

जांच के दौरान पुलिस को बदमाशों की बलेनो कार के साथ एक सफेद रंग की क्रेटा कार भी ट्रेस हुई. यह कार हत्यारों की गाड़ी के संग आगेपीछे हो कर साथसाथ चल रही थी.

जब इस का नंबर ट्रेस किया गया, तो पता चला कि यह साईं विहार सारसौल,अलीगढ़ निवासी ट्रांसपोर्टर अंकुश अग्रवाल पुत्र राजीव अग्रवाल के नाम पर रजिस्टर्ड है. वह उस समय गाड़ी में मौजूद था.

बारीकी से की गई जांच में इस परिवार का सीमेंट कारोबारी संदीप गुप्ता से संबंध भी सामने आ गया. संदीप के परिजनों से पता चला कि मृतक संदीप और अंकुश के बीच व्यावसायिक साझेदारी भी थी. संदीप की लौजिस्टिक फर्म में अंकुश के कई ट्रोला सीमेंट की आपूर्ति के लिए लगे थे.

पुलिस ने इस क्रेटा कार को रामघाट रोड तालसपुर स्थित दुष्यंत चौधरी के गैराज से घटना वाली रात ही बरामद कर लिया. गैराज में अंकुश की कार खुली हुई स्थिति में मिली. ऐसा पुलिस को भ्रमित करने के लिए किया गया था.

पुलिस को जांच में पता चला कि अंकुश और कार गैराज मालिक दुष्यंत दोनों दोस्त हैं. इस समय अंकुश दुष्यंत के साथ ही रह रहा था.

सीमेंट कारोबारी संदीप गुप्ता की सनसनीखेज हत्या का पुलिस ने दिनरात एक कर 24 घंटे में ही परदाफाश कर दिया. एसपी सिटी कुलदीप सिंह गुनावत के अनुसार हत्या की पृष्ठभूमि अलीगढ़ में ही लिखी गई थी.

संदीप गुप्ता की हत्या अलीगढ़ के ट्रांसपोर्टर राजीव अग्रवाल और उस के बेटे अंकुश अग्रवाल ने ही सुपारी दे कर कराई थी. पुलिस ने हत्या की साजिश में शामिल अंकुश के पिता राजीव अग्रवाल को गिरफ्तार कर लिया.

इस सनसनीखेज ब्लाइंड मर्डर का खुलासा करने वाली पुलिस टीम में एसपी (सिटी) कुलदीप सिंह गुनावत, सीओ (तृतीय) श्वेताभ पांडेय, सीओ (प्रथम) राघवेंद्र सिंह, इंसपेक्टर (सिविल लाइंस) अरविंद राठी, इंसपेक्टर (क्वार्सी)

विजय सिंह, इंसपेक्टर (सासनी गेट) पंकज मिश्रा, एसओजी प्रभारी संजीव सिंह, नगर सर्विलांस प्रभारी संदीप सिंह व उन की टीम शामिल थी.

रिश्तेदारी से उपजी रंजिश में हुई हत्या

संदीप गुप्ता की हत्या उस बेटी की मदद और दामाद की बेइज्जती के बदले हुई, जिस शादी में वह बिचैलिया बने थे. संदीप की हत्या के बाद पुलिस ने इस सनसनीखेज ब्लाइंड मर्डर में कडि़यां जोड़ते हुए काम किया. इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर की टीम ने शहर के अलगअलग जगहों के सीसीटीवी खंगाले. इसी की मदद से क्रेटा कार को चिह्नित किया गया.

जैसे ही क्रेटा कार पकड़ी गई, बस यहीं से घटना खुलती चली गई. क्योंकि संदीप के परिवार ने घटना के बाद ही सारसौल निवासी ट्रांसपोर्टर राजीव अग्रवाल और उन के बेटे अंकुश से ताजा विवाद बता दिया था.

संदीप गुप्ता ने अलीगंज के ही दोस्त सुधीर गुप्ता, जिसे वे परिवार के सदस्य की तरह ही मानते थे, की बेटी दीप्ति की शादी खुद के साथ कासिमपुर सीमेंट फैक्टरी से जुड़े ट्रांसपोर्टर राजीव अग्रवाल के बेटे अंकुश अग्रवाल के साथ 17 फरवरी, 2016 में कराई थी. इस दौरान दीप्ति-अंकुश दंपति से एक बेटी भी पैदा हुई.

कोरोना में सुधीर गुप्ता दंपति की मौत के बाद दीप्ति को ससुराल में तंग किया जाने लगा. यह बात खुद दीप्ति ने संदीप को बताई कि उसे मारापीटा जाने लगा है. पानी जब सिर से ऊपर हो गया, तब 16 सितंबर, 2021 को संदीप दीप्ति और उस की बच्ची को अपने साथ अलीगंज ले आए.

21 सितंबर को दीप्ति की ओर से अलीगंज थाने में ससुरालीजनों अंकुश, राजीव, मीनाक्षी के अलावा अभिषेक अग्रवाल, चेतन खंडेलवाल और प्रीति को नामजद कर एक तहरीर दे कर रिपोर्ट दर्ज कराई.

इस में कहा गया था कि दीप्ति के मातापिता की कोरोना के दौरान मौत हो जाने के बाद ससुरालीजन उन से अर्जित संपत्ति का जबरन बैनामा कराना चाहते थे. विरोध करने पर दीप्ति के साथ मारपीट की जाने लगी.

रिपोर्ट में दहेज के लिए मारपीट करने के साथ ही दुष्कर्म का भी आरोप लगाया गया था. इस मामले में संदीप गवाह थे और दीप्ति की मजबूत पैरोकारी कर रहे थे.

राजीव व अंकुश अपने विरुद्ध मुकदमा दर्ज होने से परेशान हो गए थे. जब उन्हें पता चला कि संदीप और पिंका दोस्त होने के साथ ही कारोबार में भी सहयोगी हैं तो राजीव ने पिंका से मदद मांगी. इस पर पिंका ने हस्तक्षेप कर दोनों पक्षों में सुलह की बात शुरू की.

90 लाख रुपए में हुआ फैसला

इस संबंध में 11-12 नवंबर, 2021 को पूर्व जिला पंचायत सदस्य पिंका के अलीगढ़ स्थित घर सुलह बैठक हुई. बैठक के दौरान संदीप ने अंकुश की बेइज्जती कर दी थी.

इस सुलह बैठक में दीप्ति की ओर से डेढ़ करोड़ रुपए की मांग की गई. बाद में 90 लाख रुपए अंकुश की ओर से दीप्ति को देना तय हुआ और बतौर एडवांस 45 लाख रुपए का भुगतान कर दिया गया. जिस में राजीव ने संदीप को 20 लाख रुपए और शेष 25 लाख रुपए दीप्ति के बैंक खाते में ट्रांसफर किए गए. तय हुआ कि शेष 45 लाख रुपए अलीगंज में लिखा गया मुकदमा पुलिस स्तर से खत्म किए जाने और अदालत में अंतिम रिपोर्ट स्वीकार हो जाने के बाद दिया जाएगा.

इस के बाद राजीव व अंकुश जल्दी मुकदमा खत्म कराने का संदीप पर दबाव बनाने लगे. संदीप कह रहे थे कि परेशान होने की जरूरत नहीं है. कानूनी प्रक्रिया है, मामला खत्म करा दिया जाएगा.

उस समझौता बैठक में हुई बेइज्जती को अंकुश मन में पाले बैठा था. संदीप और अंकुश के बीच व्यवसायिक साझेदारी भी थी. संदीप ने लौजिस्टिक फर्म में अंकुश के कई ट्रोला सीमेंट की आपूर्ति के लिए लगे थे.

दीप्ति का पति से विवाद होने और मुकदमा दर्ज होने के बाद संदीप ने ये ट्रोला हटा दिए और अंकुश से संबंध भी खत्म कर लिए थे. इस के चलते अंकुश को काफी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा था. इस के साथ ही वह शेष 45 लाख रुपए भी नहीं देना चाहता था. कई जगह राजीव ने भी इस बात का जिक्र किया था कि बेइज्जती का बदला संदीप से लिया जाएगा.

पुलिस ने अंकुश के पिता राजीव अग्रवाल को गिरफ्तार कर लिया. घटना के आरोपी दुष्यंत और अंकुश घर पर नहीं मिले. दोनों स्कौर्पियो कार से भागे थे. वे अपने मोबाइल घर पर ही छोड़ गए थे.

3 किशोरों ने संदीप की कार की रेकी की थी. सीसीटीवी कैमरों की जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि संदीप की कार की रेकी 3 किशोरों से कराई गई थी. संदीप के दोस्त सुधीर के दामाद अंकुश व उस के ट्रांसपोर्टर पिता राजीव ने साजिश रच कर ये हत्या कराई थी.

हत्या के समय रेकी व शूटरों की कार को गाइड करते समय अंकुश अपने दोस्त दुष्यंत, एटा चुंगी निवासी साहिल यादव व 3-4 अन्य लोगों के साथ मौजूद था. इसी तलाश में एक बाइक सीसीटीवी कैमरे में कैद पाई गई, जिस के सहारे धनीपुर इलाके के 3 किशोर पहली जनवरी, 2022 को पकड़े गए.

इन्होंने जानकारी दी कि उन्हें साहिल, जो एक दबंग व्यक्ति है, ने फोन कर कार की रेकी के लिए बुलाया था. रेकी के लिए कहते हुए गाड़ी नंबर व कलर बताया. इस के साथ ही 250 रुपए दिए, जिस में से 50 रुपए पैट्रोल के लिए और 200 रुपए नाश्तापानी के खर्च के लिए दिए थे. ये नहीं बताया कि हत्या होनी है. मगर हत्या के बाद वे लोग डर गए थे.

तीनों नाबालिग हैं, इसलिए पुलिस ने तीनों को रिमांड मजिस्ट्रैट के समक्ष पेशी के बाद बाल सुधार गृह, आगरा भेज दिया.

अलीगंज के लौजिस्टिक व सीमेंट कारोबारी संदीप गुप्ता हत्याकांड के मुख्य आरोपी कथा लिखने तक पुलिस के हाथ नहीं लगे थे. मगर उन की तलाश में जुटी पुलिस को एक और सफलता मिल गई.

रेकी कराने में गांधीपार्क धनीपुर निवासी मनीष शर्मा को हिरासत में ले कर पूछताछ की गई. यह बात सामने आई कि मनीष शर्मा व साहिल यादव अच्छे दोस्त हैं. मनीष से पूछताछ के बाद उसे गिरफ्तार कर 4 जनवरी को जेल भेज दिया गया.

4 आरोपियों की ईनाम की हुई घोषणा

एसएसपी कलानिधि नैथानी ने अंकुश व दुष्यंत के बाद अब साहिल यादव व उस के सहयोगी उत्कर्ष चौधरी पर भी 50-50 हजार रुपए के ईनाम घोषित कर दिए. मामले में आरोपियों पर गिरफ्तारी के साथ ही रासुका के तहत काररवाई की जाएगी. 4 आरोपियों के गैरजमानती वारंट पुलिस ने न्यायालय से प्राप्त कर लिए हैं. इस के साथ ही कुर्की की काररवाई के नोटिस भी उन के घरों पर चस्पा कर दिए.

फरार अंकुश, दुष्यंत, साहिल व उत्कर्ष के अलावा शूटरों व 2 अन्य साथियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस टीमें दूसरे राज्यों में डेरा डाल दिया. इस का नतीजा यह निकला कि पुलिस ने आरोपी दुष्यंत चौधरी को भलौला पुल के पास से और प्रमुख साजिशकर्ता उत्कर्ष को खैर रोड से फौरच्युनर कार सहित गिरफ्तार कर लिया. उत्कर्ष ने पुलिस को बताया कि शूटर साहिल की मदद से अंकुश ने उपलब्ध कराए थे.

वहीं साहिल यादव व अन्य की तलाश में लगी पुलिस ने गोवा से साहिल के एक भाई को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया.

प्लान एक महीने में हुआ तैयार

संदीप की हत्या एक सुनियोजित साजिश थी. एक महीना पहले यह प्लान तैयार हुआ था. पुलिस जांच के अनुसार अंकुश अग्रवाल अपने परिवार से अलग दोस्त दुष्यंत के साथ रह रहा था. एक दिन शराब पी कर दुख दर्द बयां करते समय दोनों दोस्तों के बीच संदीप को ले कर प्लानिंग पर चर्चा हुई तो उन्होंने अपने सोनीपत कनेक्शन के जरिए शूटरों से किसी जरिए संपर्क किया.

प्लानिंग के तहत नवंबर में शूटर अलीगढ़ आए. यहां आ कर उन के पास मौजूद मथुरा से लूटी गई नीली बलेनो कार पर दुष्यंत के मोटर गैराज में नंबर प्लेट बदली गई और फरजी नंबर प्लेट लगाई गई.

इस बात की पुष्टि मोटर गैराज में लगे सीसीटीवी से हुई. दुष्यंत और अंकुश के अलावा 3 अन्य लोग इस प्लान में शामिल किए गए. इन के चेहरे उजागर हो गए हैं.

इस बीच सिविललाइंस इंसपेक्टर अरविंद राठी को इस मामले में न्यायालय से मुख्य आरोपियों के अभी तक गैरजमानती वारंट न ले पाने के चलते हटा दिया गया है.

उधर मृतक व्यापारी संदीप गुप्ता के पिता, भाई, पत्नी और बेटी ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लखनऊ में मुलाकात कर हत्यारोपियों के खिलाफ कड़ी काररवाई करने की मांग की. मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने परिजनों को हरसंभव मदद करने का भरोसा दिया.

इस बात में कोई दो राय नहीं है कि अपराधी किसी भी घटना को अंजाम देने से पहले खुद के बच निकलने का हर रास्ता अपनी समझ से तैयार करता है. मगर जानेअनजाने या जल्दबाजी में शातिर से शातिर अपराधी कोई न कोई ऐसा सबूत जरूर छोड़ जाता है, जिस के जरिए पुलिस उन तक पहुंच जाती है.

यानी अपने द्वारा छोड़े हुए मूक गवाह की चाल में फंस कर आरोपी कानून के शिकंजे में अपनी गरदन खुद ही फंसा लेता है.

अंकुश ने अपनी बेइज्जती को मूंछ का सवाल बना लिया था. उस ने अपने अपमान पर चुप्पी साध ली थी. लेकिन अंदर ही अंदर उस के बदले की आग दहक रही थी. बदले की आग उस ने संदीप के खून से बुझा तो ली, लेकिन अपना घर उजाड़ कर.

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