राखी की जगह कोई और औरत होती तो क्रोध का ज्वालामुखी बन जाती. बेटी अन्नु की बात सुन कर कलेजा फट जाता उस का. लेकिन राखी के साथ ऐसा कुछ नहीं हुआ. वह पत्थर का बुत बनी सामने नजरें झुकाए शांत खड़ी बेटी को टुकुरटुकुर निहारती रही. उस की सांसों में तेजी और गरमी जरूर आई. आंखें भी क्रोध से चहकीं, लेकिन क्रोध होंठों के रास्ते लावा बन कर निकलने के बजाय आंखों के रास्ते आंसू बन कर बहा.

राखी और अन्नु के बीच सन्नाटा छाया था. आंसू दोनों की आंखों में थे. फर्क था तो सिर्फ इतना कि अन्नु के आंसुओं में दर्द था, दयनीयता थी, मजबूरी थी, जबकि राखी के आंसुओं में क्रोध और घृणा के मिलेजुले भाव थे.

पलभर की चुप्पी के बाद खामोशी राखी ने ही तोड़ी. वह साड़ी के पल्लू से आंसू पोंछ कर गहरी सांस लेते हुए गंभीर स्वर में बोली, ‘‘तो तू मेरी सौत बन गई. मुझे शक तो था, पर मैं यह सोचने की हिम्मत नहीं जुटा सकी कि ऐसा भी हो सकता है.’’

मां की बात सुन कर अन्नु खुद पर काबू नहीं रख सकी. आंसुओं के साथ उस का गला भी रुंध गया. फफक कर रोते हुए वह अंदर चारपाई पर जा कर लेट गई.

राखी का सिर चकरा रहा था. पैरों पर खड़े रहना मुश्किल हो गया तो वह दीवार का सहारा ले कर वहीं बैठ गई.

नरेश कुमार के लौटने तक घर में मरघट सा सन्नाटा छाया रहा. नरेश कुमार रोज की तरह उस दिन भी घर लौटा तो दारू के नशे में था. आंखों में क्रोध की चिंगारी समेटे राखी थोड़ी देर उसे ऐसे देखती रही, जैसे क्रोध की ज्वाला में भस्म कर देगी. लेकिन वह आग उगलती, इस से पहले ही नरेश कुमार ने लड़खड़ाते स्वर में पूछा, ‘‘ऐसे क्या देख रही हो? कभी पहले नहीं देखा क्या मुझे?’’

‘‘देख तो सालों से रही हूं. लेकिन मन में इंसानियत का भ्रम पाले थी. तुम्हारे अंदर का हैवान आज नजर आया है. दिल चाहता है या तो खुद मर जाऊं या तुम्हें मार डालूं. मैं ने कभी सोचा तक नहीं था कि तुम इतने जाहिल और कमीने निकलोगे.’’

‘‘ऐसा क्या किया मैं ने, जो इतना गुस्सा कर रही हो?’’ नरेश कुमार ने कहा तो राखी गुस्से में बोली, ‘‘किया तो तुम ने वो है, जिसे करने से पहले हैवान भी कई बार सोचता है. बेटी अन्नु को मेरी सौत बना दिया तुम ने. बिना यह सोचे कि इस का अंजाम क्या होगा?’’

नरेश कुमार दारू के नशे में जरूर था. लेकिन जब उसे पता चला कि पत्नी उस की हकीकत जान गई है तो उस का नशा काफूर हो गया. बात ही कुछ ऐसी थी. कुछ नहीं सूझा तो वह हथियार डालते हुए बोला, ‘‘जो हुआ, नशे में हो गया. मैं खुद अपनी नजरों में गिर गया हूं. तुम मेरी पत्नी हो, जो चाहे सजा दे सकती हो.’’

राखी गुस्से में थी. आंखें अंगारे की तरह दहक रही थीं. वह पति को देख कर घृणा भरे स्वर में बोली, ‘‘तुम ने बेटी के साथ जो कुछ किया है, उस के लिए अगर तुम्हें मौत की सजा भी दी जाए तो वह भी कम है.’’

‘‘मेरी मौत से अगर तुम्हे शांति मिलती है तो मुझे मौत दे दो, लेकिन सोचो मेरी मौत से तुम्हारी मांग तो उजड़ ही जाएगी, अन्नु भी अनाथ हो जाएगी.’’

नरेश कुमार की नीयत में बेशक फरेब था. लेकिन उस ने जो कहा, वह सोलह आने सच था. उस की मौत के बाद न राखी की जिंदगी में कुछ बचता और न उस की बेटी अन्नु का भविष्य सुरक्षित रह पाता.

पति की बात सुन कर राखी सोच में डूब गई. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि नरेश कुमार की नशेबाजी और अय्याशियों की वजह से अनायास जो स्थिति बन गई है, उस से कैसे निपटा जाए.

काफी सोचविचार के बाद राखी ने पति नरेश कुमार को इस हिदायत के साथ माफ कर दिया कि वह अब बेटी अन्नु पर बुरी नजर नहीं डालेगा.

उत्तर प्रदेश के कानपुर (देहात) जनपद के डेरापुर थाना क्षेत्र में एक कस्बा है मुंगीशापुर. इसी कस्बे की मसजिद वाली गली में नरेश कुमार अपने परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार में पत्नी राखी के अलावा एक बेटी अन्नु थी. नरेश कुमार मूलरूप से मुबारकपुर का रहने वाला था. लेकिन बरसों पहले मुंगीशापुर कस्बे में आ कर बस गया था.

नरेश कुमार प्रौपर्टी डीलिंग का काम करता था. जबकि उस की पत्नी राखी सिकंदरा स्थित आंगनबाड़ी केंद्र में काम करती थी.

नरेश कुमार प्रौपर्टी के काम में पैसा तो कमाता था, लेकिन वह घटिया दरजे का शराबी था. शुरूशुरू में वह कम शराब पीता था, लेकिन जब से राखी ने आंगनबाड़ी में काम करना शुरू किया, उस ने परिवार की सारी आर्थिक जिम्मेदारियां राखी के सिर लाद दीं और खुद रातदिन नशे में चूर रहने लगा.

नरेश की नजर पत्नी की कमाई पर भी रहती. वह उस से भी पैसे मांगता, मना करने पर पत्नी को जानवरों की तरह मारता, भद्दीभद्दी गालियां भी देता. राखी ने पति को कई बार समझाया. घर की सुखशांति व बेटी के भविष्य का वास्ता दिया. लेकिन उस पर कोई असर नहीं हुआ.

नरेश सिर्फ शराब ही पीता होता तो भी शायद राखी सहन कर लेती. लेकिन नशे में जो नंगापन वह दिखाता था, उसे बरदाश्त करना जहर का घूंट पीने के समान था. दारू पी कर रात भर घर में हुड़दंग मचाना, मारपीट करना, गुस्से में घर का सामान फेंकना उस के लिए साधारण बात थी.

नशे में वह नीचता की इस हद तक गिर गया था कि उसे उचितअनुचित, शर्महया और मानमर्यादा का खयाल भी नहीं रहता था. बेटी के सामने हवस शांत करने में भी उसे शर्म नहीं आती.

अन्नु भी अपने बाप नरेश से डरती थी. उसे न जाने क्यों बाप के चेहरे पर शैतानी छाया और आंखों में अजीब सी भूख नजर आती. उस की भावभंगिमा देख कर अन्नु का रोमरोम कांपने लगता. वह अकेले उस के सामने जाने का साहस भी नहीं कर पाती.

अन्नु समझदार और जवान हो चुकी थी. वह कुशाग्र बुद्धि वाली लड़की थी. पढ़ाईलिखाई में सब से आगे रहती. उस ने मुंगीशापुर स्थित राम जानकी इंटर कालेज से हाईस्कूल की परीक्षा पास कर ली थी. वह आगे की पढ़ाई जारी रखना चाहती थी. लेकिन उस के शराबी बाप ने उस की पढ़ाई बंद करा दी और उसे घर के काम में लगा दिया.

अन्नु की मां राखी आंगनबाड़ी केंद्र में काम करती थी. पिता नरेश भी सुबह ही प्रौपर्टी के काम से निकल जाता था. मांबाप के काम पर चले जाने के बाद घर की जिम्मेदारी अन्नु के कंधों पर रहती. सारे काम निपटाने के बाद जो वक्त मिलता, उस में सिलाई, कढ़ाई, बुनाई जैसे काम कर के वह घर बैठे ही कुछ रुपए कमा लेती. अन्नु के घर से चंद कदम की दूरी पर राजकुमार कठेरिया का मकान था. वह संपन्न किसान था.

उस का बड़ा बेटा अमित उर्फ सिंटू था. अमित जनरल स्टोर चलाता था. उस की दुकान पर अन्नु भी सामान खरीदने जाती थी. दुकान पर आतेजाते अमित और अन्नु में अकसर बातें होती रहती थीं.

अमित के सद्व्यवहार से जहां अन्नु प्रभावित थी, वहीं अन्नु की सादगी और हंसमुख स्वभाव से अमित भी प्रभावित था. दिन में जब तक दोनों एकदो बार एकदूसरे को देख न लेते और बतिया न लेते, तब तक उन को चैन न मिलता था.

अन्नु और अमित के दिलों में एकदूसरे के प्रति चाहत बढ़ी तो उन की धड़कनें तेज हो गईं. वे दोनों प्यार का इजहार करना चाहते थे, लेकिन हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे. अन्नु नारी सुलभ लज्जा के कारण जुबान नहीं खोल पा रही थी. वह चाहती थी कि पहले अमित ही प्यार का इजहार करे.

जबकि अमित इस डर से हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था कि कहीं अन्नु बुरा न मान जाए. कहीं वह नाराज हो कर बात भी करनी बंद न कर दे.

इस तरह कई माह बीत गए. आखिर जब अमित से न रहा गया तो एक दोपहर दुकान बंद कर वह अन्नु के घर पहुंच गया. अन्नु उस समय घर में अकेली थी. उस की मां आंगनबाड़ी केंद्र गई थी और पिता प्रौपर्टी के काम से डेरापुर तहसील गया था. अन्नु ने अमित को देखा तो लजाते हुए बोली, ‘‘अमित, तुम इस वक्त! मम्मीपापा तो घर में नही हैं.’’

अमित ने अकस्मात अन्नु का हाथ थाम लिया और बोला, ‘‘अन्नु, मैं तुम से मिलने आया हूं, तुम्हारे मम्मीपापा से नहीं.’’

‘‘मुझ से क्या काम है?’’ अन्नु हाथ छुड़ाते हुए बोली. अमित ने फिर उस का हाथ थाम लिया और बोला, ‘‘अन्नु, मैं तुम से बेइंतहा प्यार करता हूं. तुम्हारे बिना अब सब कुछ सूनासूना सा लगता है. तुम मेरा प्यार कुबूल कर लो. मैं तुम्हें वह सब कुछ दूंगा, जिस की तुम्हें चाह है.’’

अमित की बात सुन कर अन्नु के चेहरे पर शरमोहया छा गई. वह लजाते हुए बोली, ‘‘अमित, प्यार तो मैं भी तुम से करती हूं, लेकिन लाजशरम के कारण मैं अपनी बात होंठों पर नहीं ला पाई.’’

‘‘सच अन्नु!’’ कहते हुए अमित ने अन्नु को अपनी बांहों में समेट लिया.

उस दिन के बाद अन्नु और

अमित का प्यार दिन दूना और रात चौगुना बढ़ने लगा.

अन्नु सामान लेने के बहाने अमित की दुकान पर जाती और देर तक प्यार भरी बातें करती. अमित को भी जब मौका मिलता तो वह अन्नु के घर पहुंच जाता, फिर दोनों खूब हंसतेबतियाते और छेड़छाड़ करते. अमित ने अन्नु को एक मोबाइल फोन भी दे दिया ताकि वह रात में उस से बतिया सके. अपने दिल की लगी बुझा सके.

अमित और अन्नु का प्यार परवान चढ़ा तो दोनों के बीच दूरियां कम होने लगीं. वे शारीरिक सुख पाने के लिए लालायित रहने लगे.

ऐसे ही एक रोज प्यार के क्षणों में जब अमित ने अन्नु के शरीर से छेड़छाड़ शुरू की और प्रणय निवेदन किया तो अन्नु खुद को रोक न पाई और अमित की बांहों में झूल गई. इस के बाद वह सब कुछ हुआ, जो अमर्यादित था. जवानी के जोश में न अमित को होश रहा न अन्नु को. दोनों ने उस दिन अपनी हसरतें पूरी कर लीं.

अमित और अन्नु ने एक बार शारीरिक सुख पाया तो इस सुख को पाने के लिए बारबार लालायित रहने लगे. दोनों को जब भी मौका मिलता, मिलन कर लेते. किसी को कानोंकान उन के मिलन की भनक न लगती.

अन्नु के मातापिता को भी दोनों के प्यार व मिलन की बात पता न चल सकी. क्योंकि राखी और नरेश दोनों ही सुबह काम पर चले जाते थे और शाम को ही वापस आते थे. लेकिन पाप के घड़े को चाहे कुएं में छिपा दो, उस का भांडा फूट ही जाता है.

अन्नु और अमित के साथ भी ऐसा ही हुआ. एक दोपहर अमित अन्नु के घर पहुंचा और अन्नु के साथ कमरे में मौजमस्ती करने लगा. जल्दबाजी में वह घर का मुख्य दरवाजा बंद करना भूल गया था.

अभी दोनों मौजमस्ती कर ही रहे थे कि अचानक अन्नु का बाप नरेश आ गया. वह नशे में धुत था. उस ने कमरे में पड़ोसी युवक अमित को अपनी बेटी अन्नु के साथ आपत्तिजनक स्थिति में देखा तो उस का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया.

वह गुस्से से बोला, ‘‘मादर… कमीने, मेरे ही घर में मेरी बेटी के साथ कुकर्म कर रहा है. आज तुझे सबक सिखा कर ही रहूंगा.’’ कहते हुए वह अमित की ओर लपका. लेकिन अमित सिर पर पैर रख कर भाग गया. लेकिन अन्नु भाग कर कहां जाती. रंगेहाथ पकड़े जाने के कारण वह थरथर कांप रही थी. वह सोचने लगी कि उस का बाप आज उस की हड्डीपसली एक कर देगा.

पर उस का सोचना गलत साबित हुआ. नरेश ने जेब से सिगरेट निकाल कर सुलगाई और गहरेगहरे कश ले कर अजीब सी निगाहों से बेटी को घूरने लगा.

भयभीत हो कर अन्नु कमरे से बाहर को भागी. अभी वह कुछ कदम ही बढ़ी थी कि नरेश बाज की तरह अन्नु पर टूट पड़ा. अपनी बांहों में भरते हुए वह उसे पागलों की तरह चूमने लगा.

अन्नु बाप के चंगुल से छूटने के लिए जोरों से कसमसाई. लेकिन नरेश ने उसे उठा कर चारपाई पर पटक दिया और एक हाथ से उस का मुंह बंद कर के दूसरे हाथ से उस के कपड़े उतारने लगा. अन्नु हिम्मत जुटा कर भागने को हुई तो उस ने पकड़ लिया और 2-3 थप्पड़ अन्नु के गाल पर जड़ दिए. फिर वह उसे घसीटता हुआ दूसरे कमरे में ले गया. अपने बचाव में अन्नु चीखने लगी तो उस ने उस के मुंह में कपड़ा ठूंस दिया, साथ ही दोनों हाथ बांध दिए. अन्नु बिलकुल बेबस और लाचार हो गई.

अन्नु रोई, गिड़गिड़ाई लेकिन उस का बाप नरेश लेशमात्र भी नहीं पसीजा. शराब के नशे और वासना के जुनून में वह हैवान बन गया. बेटी से हवस की भूख मिटाने के बाद नरेश चला गया. उस के जाने के बाद अन्नु घंटों तक अपनी हालत पर आंसू बहाती रही. इतना बड़ा जुल्म होने के बाद भी वह किसी से शिकायत नहीं कर सकती थी.

कहती भी तो किस मुंह से? अन्नु ने बाप के कुकर्म की शिकायत अपनी मां राखी से भी नहीं की. घर में कलह व बदनामी से बचने के लिए शायद उस ने ऐसा किया.

अन्नु की इस खामोशी से बाप नरेश का हौसला बढ़ गया और वह आए दिन अपनी बेटी अन्नु के शरीर से खेलने लगा. वासना में डूबा नरेश भूल गया कि अन्नु उस की सगी बेटी है.

रंगेहाथ पकड़े जाने के बाद अमित और अन्नु का मिलनाजुलना तो बंद हो गया था. नरेश भी सख्त था, जिस से वे दोनों नहीं मिल पाते थे. एक रोज किसी तरह अन्नु और अमित का आमनासामना हुआ. अन्नु अपने प्रेमी के समक्ष अपने दर्द को छिपा न सकी और सारा दर्द बयां कर दिया.

अन्नु का दर्द सुन कर अमित अवाक रह गया. उस ने अन्नु को सलाह दी कि वह सारी बात अपनी मो को बताए. वह जरूर कोई न कोई उपाय खोजेगी और नरेश के जुल्मों से मुक्ति दिलाएगी.

अन्नु उदास व खोईखोई सी घर में रहती थी. राखी ने कई बार बेटी को कुरेदा और उस के दर्द को समझने की कोशिश की. लेकिन अन्नु ने कुछ नहीं बताया. राखी की समझ में नहीं आ रहा था कि बेटी को कौन सा गम खाए जा रहा है.

आखिर एक दिन जब राखी ने प्यार से उसे कुरेदा तो अन्नु फूट कर रो पड़ी. फिर उस ने मां के सामने अपना सारा दर्द बयां कर दिया.

अन्नु का दर्द सुन कर राखी अवाक रह गई. उस के मन में पति के प्रति घृणा भर गई. देर शाम पति नशे में धुत हो कर घर आया तो राखी ने बेटी की आबरू लूटने के संबंध में उस से सवालजवाब किया तो वह गिड़गिड़ाते हुए बोला कि जो कुछ भी उस ने किया, होशोहवास में नहीं किया. आज के बाद कभी भी ऐसी घटिया हरकत नहीं करेगा. राखी ने सीने पर पत्थर रख कर पति पर विश्वास कर लिया. नरेश कुछ समय तक तो अपनी बात पर कायम रहा. उस के बाद वह फिर नीच और कमीनेपन पर उतर आया. वह

फिर बेटी को अपनी हवस का शिकार बनाने लगा.

लेकिन इस बार अन्नु चुप नहीं रही. उस ने मां को सारी बात बताई और अपने प्रेमी अमित को भी. इस के बाद मांबेटी व उस के प्रेमी ने नरेश को सबक सिखाने की ठान ली.

17 मार्च, 2022 की सुबह 8 बजे थाना डेरापुर प्रभारी निरीक्षक अखिलेश कुमार जायसवाल को सूचना मिली कि मुंगीशापुर कस्बे में मसजिद वाली गली में नरेश कुमार की किसी ने हत्या कर दी है.

सूचना पाते ही वह सहयोगी पुलिसकर्मियों के साथ घटनास्थल की तरफ रवाना हो गए. उन्होंने वारदात के संबंध में पुलिस अधिकारियों को भी अवगत करा दिया.

अखिलेश कुमार जब घटनास्थल पर पहुंचे तो वहां भीड़ जुटी थी. एक महिला व एक युवती शव के पास दहाड़ मार कर रो रही थी. पूछने पर पता चला कि महिला मृतक की पत्नी राखी है और युवती मृतक की बेटी अन्नु है. इंसपेक्टर जायसवाल ने दोनों को धैर्य बंधाया और फिर निरीक्षण में जुट गए.

मृतक नरेश की उम्र 40-42 साल के आसपास थी और उस की हत्या किसी धारदार हथियार से गला काट कर की गई थी. देखने से ऐसा लग रहा था कि हत्या कहीं और की गई थी और शव को वहां फेंका गया था. कारण घटनास्थल पर न तो संघर्ष का कोई निशान था और न ही खून फैला था. हत्या बीती रात ही की गई थी.

थानाप्रभारी अखिलेश कुमार अभी निरीक्षण कर ही रहे थे कि सूचना पा कर एसपी स्वप्निल ममगाई, एएसपी घनश्याम चौरसिया तथा सीओ शिव ठाकुर आ गए.

पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया, फिर मौके पर मौजूद मृतक की पत्नी राखी व बेटी अन्नु से पूछताछ की. मांबेटी ने पुलिस अधिकारियों को बताया कि नरेश बीती रात 8 बजे घर आए थे. वह नशे में थे. उन्होंने खाना भी नहीं खाया और गैलरी में पड़ी चारपाई पर लुढ़क गए. इस के बाद वे दोनों भी दरवाजा बंद कर कमरे में जा कर सो गईं.

सुबह उठी तो वह चारपाई पर नहीं थे और मुख्य दरवाजा खुला था. कुछ देर बाद पता चला कि उन की किसी ने हत्या कर दी और शव घर के पिछवाड़े पड़ा है. उस के बाद वे दोनों वहां पहुंचीं.

‘‘तुम्हारे पति की हत्या किस ने की? तुम्हें किसी पर शक है?’’ सीओ शिव ठाकुर ने राखी से पूछा.

‘‘साहब, वह प्रौपर्टी का काम करते थे. शराब भी खूब पीते थे. उन के एक नहीं, कई दुश्मन थे. उन्ही में से किसी ने उन की हत्या कर दी. लेकिन हम उन को जानतेपहचानते नहीं.’’

पूछताछ के बाद पुलिस अधिकारियों ने शव पोस्टमार्टम हेतु माती भिजवा दिया. साथ ही थानाप्रभारी अखिलेश कुमार को आदेश दिया कि वह रिपोर्ट दर्ज कर जल्द से जल्द हत्या का परदाफाश करें.

आदेश पाते ही थानाप्रभारी ने मृतक की पत्नी राखी की तहरीर पर अज्ञात हत्यारों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली और जांच शुरू की. उन्होंने सब से पहले राखी व उस की बेटी अन्नु से पूछताछ की तथा उन के मोबाइल फोन सुरक्षित कर लिए.

पड़ोसियों की पूछताछ से पता चला कि राखी और उस के पति के बीच किसी बात को ले कर तनाव रहता था और अकसर दोनों में झगड़ा होता रहता था. मांबेटी के पेट में ही नरेश की हत्या का राज छिपा है.

मांबेटी शक के दायरे में आईं तो जांच अधिकारी अखिलेश कुमार ने राखी और अन्नु के मोबाइल फोन नंबरों की काल डिटेल्स निकलवाई. दोनों के मोबाइल फोन में एक नंबर कौमन था, जिस पर घटना वाली रात 9 बजे बात की गई थी. इस नंबर की जांच की गई तो पता चला कि यह नंबर राखी के पड़ोसी युवक अमित कठेरिया का है.

21 मार्च, 2022 की रात 10 बजे पुलिस ने अमित कठेरिया को उस के घर से उठा लिया. थाने ला कर जब उस से सख्ती से पूछताछ की गई तो अमित टूट गया. उस ने बताया कि नरेश की हत्या में उस की पत्नी राखी व बेटी अन्नु भी शामिल थीं.

यह पता चलते ही पुलिस ने राखी व अन्नु को भी गिरफ्तार कर लिया. थाने में उन दोनों ने भी नरेश की हत्या का जुर्म कुबूल कर लिया. यही नहीं, उन्होंने घर में छिपा कर रखा गया आलाकत्ल फावड़ा भी बरामद करा दिया.

अन्नु ने पुलिस पूछताछ में बताया कि वह अमित से प्यार करती थी. दोनों के बीच शारीरिक संबंध भी थे. एक रोज उस के बाप नरेश ने हम दोनों को आपत्तिजनक हालत में देख लिया. उस के बाद उस की नीयत में खोट आ गई और वह उसे अकसर अपनी हवस का शिकार बनाने लगा.

डर व बदनामी के कारण उस ने यह बात किसी को नहीं बताई. लेकिन जब आजिज आ गई तो मां व प्रेमी को सब कुछ बता दिया. मां ने उस के बाप को समझाया पर वह नहीं माना. उस के बाद तीनों ने मिल कर उसे सबक सिखाने की ठानी.

16 मार्च, 2022 की रात 8 बजे वह नशे की हालत में आया. आते ही वह उस पर हावी हो गया. मां ने उसे किसी तरह बचाया. उस के बाद मां ने फोन कर अमित को बुला लिया. उस ने भी अमित से बात की थी.

रात 10 बजे जब बाप नरेश गहरी नींद में सो गया तब राखी, शिवांगी और अमित ने मिल कर उसे फावड़े से हमला कर मौत के घाट उतार दिया और उस के शव को घर के पीछे कूड़ा डालने वाली जगह पर फेंक दिया.

चूंकि राखी, अन्नु तथा उस के प्रेमी अमित ने हत्या का जुर्म कुबूल कर लिया था और आलाकत्ल फावड़ा भी बरामद करा दिया था, अत: थानाप्रभारी अखिलेश कुमार ने भादंवि की धारा 302/201 के तहत राखी, अन्नु व अमित को नामजद कर दिया तथा उन्हें विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया.

22 मार्च, 2022 को पुलिस ने आरोपी राखी, अन्नु तथा अमित कठेरिया को कानपुर (देहात) की माती कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

   —कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित  कथा में अन्नु परिवर्तित नाम है.

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