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परिवार के सभी लोग थे शिक्षित

वह बच्चों को चित्रकला के साथसाथ बालमानस शास्त्र का भी पाठ पढ़ाते थे. उन्होंने शिवशंकर नगर के अपने बंगले का नाम ‘योग’ रखा था. उन की बेटी अर्चना 2 साल से बैंक औफ इंडिया में नौकरी कर रही थी. उन की नियुक्ति कोल्हापुर जिले के बाचनी स्थित शाखा में थी. जबकि बेटा शुभम स्नातक तक पढ़ाई कर ड्राइवर के रूप में नौकरी कर रहा था.

दूसरी ओर अंबिका नगर में चौक के करीब रह रहे 49 साल के माणिक याल्लाप्पा वानमोरे पशु चिकित्सक होने के साथसाथ एक समाजसेवी भी थे. वह पशुओं के इलाज के लिए पूरे म्हैसल पंचकोसी में मशहूर थे.

वह अपनी पत्नी रेखा वानमोरे, बेटी अनीता और बेटे आदित्य के साथ रहते थे. बेटी ने ग्रैजुएशन करने के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी, जबकि बेटा आदित्य पढ़ाई कर रहा था.

सुसाइड नोट के आधार पर पुलिस ने की कार्रवाई

घटनास्थल से मिले सुसाइड नोट के आधार पर पुलिस ने वैसे लोगों का पता लगा लिया, जिन्होंने वानमोरे बंधुओं को कर्ज दिए थे. फिर पुलिस ने इस मामले में उन से पूछताछ के लिए परिवार को पैसे उधार देने वाले 15 लोगों को हिरासत में ले लिया. हालांकि उन की संख्या और अधिक थी.

पूछताछ में मालूम हुआ कि वह परिवार स्टील के उत्पादों की एक मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाना चाहता था. उन्होंने लोगों से पैसे इसी के लिए उधार लिए थे.

यूनिट लगने में देरी होने पर उधार देने वाले ब्याज और मूल के पैसे मांगने लगे थे. पैसे मांगने के सिलसिले में वे लोग वानमोरे बंधुओं को परेशान करने लगे थे.

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