बात साल 2009 की है. मुश्ताक सैय्यद रशीद इनामदार और उन की बेगम शाहीन को अब्बास ने गुप्त धन निकाल कर देने का लालच दिया था. इनामदार दंपति अब्बास की चिकनीचुपड़ी बातों के बुने जाल में फंस गए थे. धीरेधीरे गुप्त धन को ले कर उन से लाखों रुपए ऐंठ लिए थे. तांत्रिक अब्बास ने इनामदार दंपति के घर में धन हासिल करवाने के लिए एक पूजा अर्चना करवाई थी.
बताते हैं कि उस वक्त हजरत का हुकुम बोल कर इनामदार को करेले का रस पिलाया था. रस पी कर इनामदार तुरंत बेहोश हो गए थे. उस के बाद तांत्रिक ने उन की पत्नी शाहीन इनामदार को फांसी लगा लेने के आदेश दिए.
अब्बास के आदेश को अल्लाह का हुकुम मान कर शाहीन ने ऐसा ही किया और उस की फांसी लगने से मौत हो गई. बेहोश मुश्ताक जब होश में आए, तब उन की हालत बहुत नाजुक थी. अस्पताल ले जाया गया. कुछ समय में ही उन की भी मौत हो गई. इस मामले में इनामदार की 2 बेटियां बच गई थीं.
उन से मालूम हुआ कि मुश्ताक इनामदार ने भी साहूकारों से पैसे उधार ले रखे थे. जिस की तकलीफ से मुश्ताक इनामदार ने एक आत्महत्या करने की चिट्ठी लिख रखी थी. चिट्ठी में अब्बास के साथ साहूकार का नाम भी दर्ज था. पुलिस ने दोनों को हिरासत में ले लिया था और मामला अदालत में चला गया था. सबूत के अभाव में अब्बास सोलापुर अदालत से छूट गया था.
दोनों ही घटनाओं में एक जैसी बात क्यों
दरअसल, अब्बास ने इनामदार दंपति मामले में तांत्रिक पूजा से पहले ही उन की दोनों बेटियों को एक चिट्ठी दी थी, जिस पर साहूकार का नाम लिखा हुआ था.