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इस बीच 16 दिसंबर, 2015 को तत्कालीन एएसपी गुरइकबाल सिंह सिद्धू के नेतृत्व में पुलिस ने एसआईटी का गठन किया. इस से पहले 14 अक्तूबर, 2015 को सिप्पी के घर वालों ने चंडीगढ़ उच्चन्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को रिप्रजेंटेशन दी थी. इस के करीब डेढ़ महीने बाद 29 नवंबर 2015 को मृतक के घर वालों और दोस्तों ने सेक्टर-4 में पूर्व आईजीपी के आवास के बाहर प्रदर्शन किया. इस के एक दिन बाद फिर हत्या की जांच सीबीआई से कराने की मांग की.

बावजूद इस के कोई काररवाई न होते देख 24 दिसंबर, 2015 को घर वालों ने नई दिल्ली जा कर प्रधानमंत्री आवास के बाहर प्रदर्शन किया.

जिप्पी और उस के मामा नपिंदर न्याय के लिए ठोकरें खाते रहे, तब जा कर इतनी लड़ाई लड़ने के बाद केस सीबीआई को ट्रांसफर हुआ. यह बात 16 जनवरी, 2016 की है.

सीबीआई के एसपी नवदीप सिंह बराड़ के नेतृत्व में नए सिरे से काररवाई शुरू की गई, जिस की जिम्मेदारी उन्होंने डीएसपी आर.एल. यादव को सौंपी थी.

बेहद कड़क स्वभाव और कर्तव्यपरायण पुलिस अधिकारी यादव ने सिप्पी हत्याकांड में नए सिरे से कल्याणी सिंह और अन्य लोगों के खिलाफ हत्या, सबूत मिटाने, आपराधिक साजिश रचने और आर्म्स एक्ट के तहत आईपीसी की विविध धाराओं में मुकदमा दर्ज कर 13 मार्च, 2016 को जांच शुरू कर दी थी.

सीबीआई ने शुरू की जांच

26 अप्रैल, 2016 को सीबीआई ने घटना की जांच अधिकारी पूनम दिलावरी को चंडीगढ़ सीबीआई औफिस में तलब किया था. उन से पूछताछ करने और हत्याकांड की जांच की केस डायरी, मौके से बरामद सामान और पोस्टमार्टम रिपोर्ट की कापी अपने कब्जे में ले ली.

जांच अधिकारी डीएसपी आर.एल. यादव ने विवेचना के दौरान कल्याणी की भूमिका संदिग्ध पाई. लेकिन उस के खिलाफ हत्या का कोई सबूत नहीं मिला. यादव ने उस से पूछताछ भी की थी. हर बार वह खुद को निर्दोष बताती हुई गोलमोल जवाब दे कर बच निकलती थी.

चूंकि वह हाईकोर्ट की जज की बेटी थी, इसलिए सीबीआई फूंकफूंक कर कदम रख रही थी. वह जानती थी कि उस से हुई एक गलती उस के गले की हड्डी बन सकती है, बदनामी होगी सो अलग. सबूतों के अभाव में सीबीआई कल्याणी सिंह को गिरफ्तार करने से कतरा रही थी.

5 सितंबर, 2016 को सीबीआई ने सिप्पी के हत्यारों को पकड़वाने के लिए 5 लाख रुपए का ईनाम घोषित किया और यह विज्ञापन स्थानीय प्रमुख अखबारों और इलैक्ट्रौनिक मीडिया में दिया ताकि ईनाम के लालच में सिप्पी के हत्यारों का पता मिल सके.

सीबीआई का यह पैंतरा नाकाम रहा. 4 साल तक चली जांच में सीबीआई हाथ पर हाथ धरे बैठी रही. सिप्पी हत्याकांड में कल्याणी के अलावा और कौन शामिल था, हत्या की असल वजह क्या रही, सीबीआई यह पता लगाने में असफल रही. और अंतत: 7 दिसंबर, 2020 को सीबीआई ने अदालत में अनट्रेस रिपोर्ट दायर कर के अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर दी.

पीडि़त परिवार ने जस्टिस सबीना सिंह का कराया ट्रांसफर

सीबीआई के इस कदम से पीडि़त सिद्धू परिवार हैरान रह गया. उन्हें पता था कि यह सब कल्याणी की मां सबीना सिंह के प्रभाव से हो रहा था. उन्होंने केंद्रीय मंत्रालय में एप्लीकेशन दे कर उन का तबादला राजस्थान हाईकोर्ट में करवा दिया. खुद अदालत ने सीबीआई को फटकार लगाते हुए फिर से जांच कर रिपोर्ट कोर्ट में जमा करने को कहा.

सीबीआई इस बार कोई गलती नहीं करना चाहती थी और न ही अब उस पर दबाव बनाने वाला ही कोई था. एक बार फिर से सीबीआई ने सेक्टर-27 के नेबरहुड पार्क से जांच शुरू की. जांच के दौरान पता चला कि गोली चलने की आवाज सुन कर पास के एक मकान की महिला बालकनी में आई, जहां से गोली की आवाज आई थी.

वह महिला कौन थी, इस का पता नहीं चला. फायरिंग की आवाज सुन कर लोगों ने पुलिस को सूचना दी. सूचना पा कर सेक्टर-26 थाने की पुलिस मौके पर पहुंची थी और घायल सिप्पी सिद्धू को अस्पताल पहुंचाया, जहां उस की मौत हो गई थी.

आखिरकार सीबीआई ने उस महिला को ढूंढ निकाला. महिला ने सीबीआई को बताया कि जब वह पहली मंजिल पर मौजूद थी, तब उस ने गोलियों के साथ एक लड़की की चीख सुनी थी. इसलिए वह बालकनी की तरफ गई.

वहां से देखा तो घर के नजदीक एक सफेद रंग की कार खड़ी थी. फिर उसी कार की तरफ तेजी से आ रही लड़की को भी देखा था, पर वह उसे पूरी तरह से पहचान नहीं पाई थी.

महिला ने मौकाएवारदात पर जिस लड़की को देखा था, वह सिप्पी की प्रेमिका कल्याणी ही थी. कोर्ट में पड़ी फटकार के बाद शक के आधार पर सीबीआई ने कल्याणी से पूछताछ की. पौलीग्राफ टेस्ट भी कराया, लेकिन कोई जानकारी नहीं मिल पाई. सीबीआई यहां भी मात खा गई.

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