पहली अप्रैल, 2017 की बात है. दिल्ली पुलिस के दक्षिणीपूर्वी जिले के इंचार्ज राजेंद्र कुमार अपने औफिस में सबइंसपेक्टर प्रवेश कसाना और अजय कटेवा से एक केस के बारे में विचारविमर्श कर रहे थे, तभी एक पुराना मुखबिर उन के पास आ पहुंचा. वह उन का विश्वसनीय मुखबिर था. वह जब भी आता था, कोई न कोई नई जानकारी लाता था. इसलिए उसे देखते ही इंसपेक्टर राजेंद्र कुमार ने उसे कुरसी पर बैठने का इशारा करते हुए पूछा, ‘‘कहिए, क्या नई खबर है?’’

‘‘सर, खबर इतनी दमदार है कि आप भी खुश हो जाएंगे.’’ उस ने कहा.

इतना सुनते ही इंसपेक्टर राजेंद्र कुमार और दोनों सबइंसपेक्टर उस के चेहरे की तरफ देखने लगे. इंसपेक्टर राजेंद्र कुमार ने कहा, ‘‘अब पहेलियां मत बुझाओ, जो भी हो सीधे बता दो.’’

‘‘ठीक है सर, बताता हूं.’’ कह कर उस ने बताना शुरू किया, ‘‘सर, सूचना ऐसे कार चोर गैंग की है, जो केवल औन डिमांड कारों को चुराता है. इस के अलावा इस गैंग की एक खास बात यह है कि वह कंप्यूटर, लेटेस्ट सौफ्टवेयर व अन्य हाईटेक उपकरणों से मिनटों में ही कार को ले उड़ता है. गैंग के सदस्य आज शाम 4-5 बजे के बीच सफेद रंग की वेरना कार से न्यू फ्रैंड्स कालोनी में आएंगे. उन का इरादा एस्कार्ट्स अस्पताल के आसपास से किसी कार पर हाथ साफ करना है.’’

उस ने उन की वेरना कार का नंबर भी बता दिया. सूचना महत्त्वपूर्ण थी, इसलिए इंसपेक्टर राजेंद्र कुमार ने एसीपी औपरेशन के.पी. सिंह और डीसीपी रोमिल बानिया को फोन से यह खबर दे दी. पिछले कुछ दिनों से दिल्ली में लग्जरी कारों की चोरी की वारदातें बढ़ती जा रही थीं. दक्षिणपूर्वी दिल्ली में ही कई लग्जरी कारें चोरी हो चुकी थीं, लेकिन उन का खुलासा नहीं हो पा रहा था.

29 मार्च, 2017 को ही न्यू फ्रैंड्स कालोनी से योगेश कुमार आनंद की फार्च्युनर कार नंबर डीएल3सीबी डी-5094 चोरी हो गई थी, जिस की उन्होंने रिपोर्ट दर्ज करा रखी थी. इस के अलावा जिले में इस से पहले भी कई गाडि़यां चोरी हो चुकी थीं.

पुलिस को चोरों के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पा रही थी. डीसीपी रोमिल बानिया ने एसीपी (औपरेशन) के.पी. सिंह के नेतृत्व में एक पुलिस टीम बनाई, जिस में इंसपेक्टर राजेंद्र कुमार, एसआई प्रवेश कसाना, अजय कटेवा, एएसआई हरेंद्र सिंह, फूल सिंह, दलीप सिंह, हैडकांस्टेबल विनोद कुमार, नरेश कुमार, अनिल, कांस्टेबल विशाल, विनीत, राहुल, दिनेश आदि को शामिल किया गया. डीसीपी ने टीम को निर्देश दिया कि वह मुखबिर द्वारा बताई गई जगह पर पहुंच कर जरूरी काररवाई करे.

निर्धारित समय से पहले ही पुलिस टीम न्यू फ्रैंड्स कालोनी पहुंच गई. टीम ने मीराबाई पौलिटेक्निक के पास बैरिकेड्स लगा कर रिंगरोड की तरफ से आने वाली कारों की जांच शुरू कर दी. पुलिस की नजर तो वेरना कार पर थी. उधर से जो भी वेरना कार आती हुई दिखती, पुलिस उस कार के कागजात बड़ी ही गंभीरता से चैक करती. यह काम करतेकरते पुलिस को करीब एक घंटा बीत गया, पर मुखबिर द्वारा बताए गए नंबर की वेरना कार नहीं आई.

ऐसे में पुलिस को यह आशंका होने लगी कि कहीं उन कार चोरों को पुलिस चैकिंग की भनक तो नहीं लग गई. जिस के बाद उन्होंने अपनी योजना बदल दी हो. इंसपेक्टर राजेंद्र कुमार ने इस संबंध में एसीपी से बात की तो उन्होंने कहा कि वह शाम 6 बजे तक अपनी काररवाई जारी रखें. लिहाजा वाहनों की चैकिंग की काररवाई जारी रही.

शाम करीब सवा 5 बजे सफेद रंग की वेरना कार नंबर डीएल8सी एए-9035 आती दिखी. यह वही नंबर था, जो मुखबिर ने बताया था. जैसे ही वह कार नजदीक आई, पुलिस ने उसे रोक लिया. उस कार में पिछली सीट पर 2 युवक बैठे थे, जबकि आगे की सीट पर ड्राइवर के बराबर में एक युवक था. पुलिस ने उन से कार के पेपर दिखाने को कहा तो वे इधरउधर की बातें करने लगे.

पुलिस ने कार का चैसिस व इंजन नंबर नोट कर के जिपनेट पर चैक किया तो वह कार चोरी की निकली. पता चला कि वह 12 मार्च, 2017 को दिल्ली के नौर्थ रोहिणी से चुराई गई थी, जिस की चोरी की रिपोर्ट दर्ज थी. पुलिस ने कार को अपने कब्जे में ले कर उन चारों युवकों को हिरासत में ले लिया. पूछताछ में उन्होंने अपने नाम क्रमश: शोएब खान (32 साल) निवासी अनूपशहर रोड अलीगढ़, आमिर उर्फ अमन (27 साल) निवासी गांव किलोली, बुलंदशहर, सफर उर्फ सफरुद्दीन (28 साल) निवासी नंदनगरी दिल्ली और सगीर (32 साल) गांव इसलामपुर, जिला बदायूं, उत्तर प्रदेश बताए.

स्पैशल स्टाफ औफिस ले जा कर जब उन से सख्ती से पूछताछ की गई तो उन्होंने स्वीकार कर लिया कि उन्होंने इस वेरना कार के अलावा हाल ही में कई कारें और चुराई थीं, जो दिल्ली की अलगअलग जगहों की पार्किंग में खड़ी हैं. पुलिस टीम सब से पहले उन्हें ओखला के बटला हाउस ले गई. वहां शोएब की निशानदेही पर पब्लिक पार्किंग से सफेद रंग की होंडा सिटी कार, एक आई20 कार बरामद की. उस ने बताया कि होंडा सिटी कार 12 जून, 2016 को दिल्ली के रानीबाग से और आई20 कार इसी साल दिल्ली के गाजीपुर से चुराई गई थी.

एसआई प्रवेश कसाना अभियुक्त सगीर को ओखला के अबुल फजल एनक्लेव ले गए. उस की निशानदेही पर वहां की पार्किंग से सफेद रंग की 3 स्विफ्ट डिजायर कारें और एक हलके नीले रंग की सैंट्रो कार बरामद की गई. उस ने बताया कि स्विफ्ट डिजायर कारें उस ने अपने साथियों के साथ मिल कर दिल्ली के पश्चिम विहार, जहांगीरपुरी और विजय विहार, रोहिणी से तथा सैंट्रो कार ग्रेटर कैलाश से चुराई थी.

पुलिस ने सभी कारें अपने कब्जे में ले लीं. पुलिस को लगा कि ये अभियुक्त अभी भी कुछ छिपा रहे हैं. इसलिए इन से फिर सख्ती की गई. इस का नतीजा यह निकला कि उन की निशानदेही पर पुलिस ने दिल्ली की अलगअलग पार्किंग से 2 हुंडई क्रेटा, एक स्विफ्ट डिजायर, एक फार्च्युनर और एक मारुति ईको कार और बरामद कर ली. फार्च्युनर कार उन्होंने 29 मार्च, 2017 को न्यू फ्रैंड्स कालोनी क्षेत्र से, मारुति ईको अमर कालोनी से और हुंडई क्रेटा दिल्ली के रूपनगर से और नोएडा से चुराई थीं. पुलिस ने ये कारें भी कब्जे में ले लीं.

इन से पूछताछ में जो बात पता चली, वह यह थी कि यह कोई आम कार चोर नहीं थे, बल्कि हाईप्रोफाइल थे. कार चुराने में सहयोग करने वाले महंगे उपकरणों से लैस यह गैंग खाली समय में यूट्यूब पर कार चुराने वाले वीडियो देखता था. ऐसा भी नहीं था कि जिस कार को चुराने का मौका मिलता था, उसे ले जाते थे, बल्कि हकीकत यह थी कि जिन लोगों को यह चुराई हुई कारें बेचते थे, वहां से इन के पास डिमांड आती थी. जिस कंपनी की कार की इन के पास डिमांड आती थी, उसी कार को यह चुराने की कोशिश करते थे.

आसपास की रैकी करने के बाद ये अपने लैपटौप में मौजूद सौफ्टवेयर से सब से पहले यह पता लगाते थे कि उस कार में कौनकौन से सेफ्टी डिवाइस लगे हैं. अपने पास मौजूद उपकरण से वे यह भी पता लगा लेते थे कि उस कार में जीपीएस सिस्टम है या नहीं. जिस कार में जीपीएस लगा होता था, वे उसे चुराने से बचते थे.

कुछ कारों में सेंसर अलार्म लगा होता है, जो गाड़ी के टच करने पर बज जाता है. अपने पास मौजूद कंप्यूटर सौफ्टवेयर से वे इस का पता लगा लेते थे. फिर किसी तरह उस का बोनट खोल कर अलार्म सिस्टम के तार काट देते थे.

टारगेट की गई कार का लौक वे मास्टर की से खोलने की कोशिश करते थे. यदि लौक नहीं खुलता तो स्कैनर की सहायता लेते थे. इस तरह चंद मिनटों में वे कार ले कर उड़नछू हो जाते थे. चुराई हुई कारों को वे कुछ दिनों तक कहीं फ्री पार्किंग में खड़ी करते, फिर आगे सप्लाई कर देते थे.

गैंग के सदस्य आमिर और सफर अच्छे मोटर मैकेनिक थे. इस के बावजूद भी वे कार चोर कैसे बन गए और किस तरह वे गैंग बना कर चोरी की वारदातों को अंजाम देने लगे, इस की कहानी बड़ी दिलचस्प है.

आमिर उर्फ अमन उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के गांव किलोली के रहने वाले नसरुद्दीन का बेटा था. 9 भाईबहनों में वह दूसरे नंबर का था. पिता की कोशिश के बाद भी वह 7वीं जमात से आगे नहीं पढ़ सका. तब पिता ने उसे एक मोटरसाइकिल मैकेनिक के पास लगा दिया. वहां करीब 5 साल काम सीखने के बाद आमिर एक अच्छा मैकेनिक बन गया. उस ने कुछ दिनों तक नोएडा की एक कंपनी में नौकरी की. पर नौकरी में उस का मन नहीं लगा.

तब उस ने नोएडा में एक वर्कशौप खोल ली. उस का काम चलने लगा. इसी दौरान आमिर की मुलाकात सफर उर्फ सफरुद्दीन से हुई, जो बदायूं के इसलामपुर गांव का रहने वाला था. इस के भी 7 भाई थे. 12वीं पास करने के बाद इस ने अपने पिता के साथ चूडि़यां बेचनी शुरू कर दीं. बाद में इस ने मोटरसाइकिल मैकेनिक का काम सीख लिया.

सफर की मुलाकात राजू नाम के एक युवक से हुई, जो वाहन चोर था. राजू ने लालच दिया तो वह उस के साथ काम करने को तैयार हो गया. राजू ने उसे सगीर अहमद से मिलवाया. सगीर उत्तर प्रदेश के जिला बदायूं का रहने वाला था. सगीर ने उसे अपने अन्य दोस्तों से मिलवाया. तभी उन सब की मुलाकात आमिर से हुई.

इन सब ने मिल कर दिल्ली से एक कार चुराई. कार चुरा कर ये दिल्ली से गाजियाबाद लौट रहे थे, तभी गाजियाबाद पुलिस ने उन से गाड़ी के कागज मांगे. इन के पास कागज थे नहीं, सो उन्होंने सच्चाई बता दी. तब पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर डासना जेल भेज दिया. उस समय उनके साथ सुलेमान, सगीर भी थे.

डासना जेल से जमानत पर बाहर आने के बाद सफर मोटर मैकेनिक का काम करने लगा. उसी दौरान सफर की मुलाकात नांगलोई के चरनप्रीत से हुई. चरनप्रीत एक कार चोर था. सफर ने चरनप्रीत के साथ कारों की चोरी शुरू कर दी. सन 2015 में वह दिल्ली क्राइम ब्रांच के हत्थे चढ़ गया. उस के गिरफ्तार होने पर चोरी की 15 वारदातों का खुलासा हुआ.

जेल में ही उस की मुलाकात सगीर उर्फ सत्ता से हुई, जो उत्तर प्रदेश के जिला संभल का रहने वाला था. सगीर चोरी की कारें खरीद कर उन्हें पूर्वोत्तर के राज्यों में सप्लाई करता था. एक मामले में वह दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया.

जेल से जमानत पर बाहर आने के बाद सगीर, सफर उर्फ सफरुद्दीन, आमिर ने अपना अलग गैंग बनाया. गैंग में उन्होंने अलीगढ़ के शोएब को भी मिला लिया. फिर चारों ने दिल्ली और एनसीआर से कारों की चोरी शुरू कर दी. चुराई गई कारें वह संभल, दीपा सराय के रहने वाले सगीर उर्फ सत्ता को बेच देते थे. सत्ता चोरी की कारें सस्ते दाम पर खरीद कर उन्हें असम, गुवाहाटी, दार्जिलिंग आदि जगहों पर भेज देता था. कुछ कारें वह मेरठ के असरार, परवेज और गुलफाम को भी बेचता था, जो कारों को काट कर कबाड़ में बेच देते थे.

शोएब, सफर, आमिर और सगीर की जब मोटी कमाई होने लगी तो उन्होंने भी बनठन कर रहना शुरू कर दिया. सत्ता के पास जैसे ही लग्जरी कारों की डिमांड आती, वह इन लोगों से लग्जरी कारों की मांग करता.

लग्जरी कारों की सुरक्षा लोग तरहतरह के लौकिंग सिस्टम लगवा लेते हैं. वे लौकिंग सिस्टम कैसे खोले जाएं, इस के लिए इन लोगों ने यूट्यूब पर वीडियो देखनी शुरू कर दी.

बदलते समय के साथ इन्होंने खुद को भी मोडिफाइ कर लिया. लैपटौप ले कर इन्होंने उस में ऐसे सौफ्टवेयर लोड कराए, जिन की सहायता से कार के अंदर से लौकिंग सिस्टम की जानकारी मिल सके. लौकिंग प्रणाली जानने के लिए इन्होंने एक स्कैनर भी खरीद रखा था. महंगे उपकरण खरीदने के बाद इन्हें कार चुराना आसान हो गया. उन की सहायता से ये मिनटों में ही कार को उड़ा लेते थे.

पुलिस ने बताया कि औन डिमांड कार चुराने वाला यह गिरोह पिछले 2 सालों से राजधानी और आसपास से करीब 500 कारें चुरा चुका है.

गिरोह के सदस्य शोएब का काम टारगेट निश्चित करना था. जो कार चुरानी होती थी, शोएब अपने मोबाइल से उस के फोटो खींच कर अपने साथियों को वाट्सऐप करता था. रैकी करने के बाद उस कार को चुरा कर दिल्ली में ही कहीं पार्किंग में खड़ी कर देते थे. फिर कुछ दिनों बाद उसे संभल में सत्ता के पास पहुंचा देते. फिर सत्ता उन्हें पूर्वोत्तर के राज्यों में या मेरठ में गुलफाम, परवेज, असरार के पास पहुंचा देता था. 29 मार्च, 2017 को दिल्ली के न्यू फ्रैंड्स कालोनी इलाके से योगेश कुमार आनंद की जो फार्च्युनर कार चोरी हुई थी, वह भी इसी गैंग ने चुराई थी.

पुलिस ने इन चारों कार चोरों की निशानदेही पर संभल से सत्ता और मेरठ से परवेज, असरार व गुलफाम के ठिकानों पर दबिशें दीं, लेकिन वे सभी फरार मिले. इन रिसीवरों की गिरफ्तारी के बाद पुलिस को बड़ी कामयाबी मिल सकती थी.

बहरहाल, पुलिस ने सगीर, सफर, आमिर और शोएब को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया है. इन के कब्जे से पुलिस ने चोरी में प्रयोग होने वाले कई उपकरण भी बरामद किए हैं. मामले की तफ्तीश सबइंसपेक्टर प्रवेश कसाना कर रहे हैं.

– कथा पुलिस सूत्रों और जनचर्चा पर आधारित

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