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11जुलाई, 2022 ज्योंज्यों शाम की रंगत ढलती जा रही थी, वैसेवैसे मोमिन खातून की आंखों में किसी
के प्यार की गुलाबी आभा गहराती जा रही थी. उस दिन उस ने दृढ़ निश्चय कर लिया था कि आज की रात उस की जिंदगी की अहम रात होगी. आज रात उस की हसीन दुनिया की पहली सीढ़ी होगी. यही कारण था कि आज उस की आंखों से नींद कोसों दूर और मन प्रफुल्लित था.

मोमिन खातून की अम्मी रजिया खातून बच्चों को खाना खिलाने के बाद घर के कामकाज निबटा कर अपने कमरे में चली गई थी. उस के बाद मोमिन खातून भी भाईबहनों के साथ बिस्तर पर जा लेटी थी.
थोड़ी ही देर बाद घर के सभी सदस्य गहरी नींद में डूब चुके थे. लेकिन मोमिन खातून की आंखों में नींद की खुमारी नहीं, बल्कि न जाने कितने जानेअनजाने सपनों के रंग मचल रहे थे.सब के सो जाने के बाद मोमिन खातून आहिस्ता से उठी. उस ने चारों ओर नजर डाली. सब को सोया देख उस के होंठों पर मुसकान उभरी. वह दबे पांव अलमारी की ओर बढ़ी. फिर उस ने अलमारी में रखा पैकेट बाहर निकाला और बैड के नीचे रखे बैग में सरका दिया. बैग में उस ने पहले ही अपने कुछ कपड़े डाल रखे थे.

बैग को तैयार कर उस ने बैड पर सोए अपने भाईबहनों पर एक सरसरी निगाह डाली. फिर उस ने दीवार पर टंगी घड़ी से टाइम का जायजा लिया. रात के 12 बजने वाले थे.उस के मोबाइल पर काफी समय से सूरज की मिसकाल आ रही थी. लेकिन उस वक्त उस ने अपना मोबाइल साइलेंट मोड में कर रखा था, ताकि उस की घंटी सुन कर उस के परिवार वाले जाग न जाएं.फिर बड़ी फुरती से हाथ में एक नया लाल सूट थामे वह बाथरूम की ओर बढ़ गई. लाल सूट के ऊपर उस ने काला बुरका डाल लिया था, ताकि रास्ते में गांव का कोई भी इंसान उसे पहचान न पाए.

बाथरूम में थोड़ा फ्रैश होने के बाद वह सामने लगे आईने के सामने अपने चेहरे को निहारने लगी थी. उस वक्त उस के चेहरे पर 2 रंग उभरे हुए थे. एक तरफ उदासी और दूसरी तरफ खुशी की लालिमा उभर रही थी. वहीं उस की हिम्मत भी साथ छोड़ रही थी. उस के शरीर का तापमान ऐसे बढ़ गया था, जैसे उसे काफी तेज बुखार चढ़ आया हो.कारण था, जो राह उस ने आज पकड़ी थी, वह जातिमजहब की सीमा लांघ कर जाती थी. उसे यह भी डर सता रहा था कि अचानक उस के परिवार वाले उठ गए तो उस का बुरा हाल हो जाएगा.

तभी उस के मोबाइल पर फिर से सूरज की मिसकाल आ गई. सूरज की मिसकाल आते ही उस ने फुरती से अपना बैग कंधे पर लटकाया और दबे पांव घर के बाहर आ गई. उस ने दरवाजा बाहर से ही बंद कर दिया था.घर से निकलने के बाद उस ने चारों ओर निगाहें दौड़ाईं. चारों तरफ सन्नाटा पसरा था. घर को आखिरी बार अलविदा कहते हुए वह अपनी मंजिल की ओर रवाना हो गई.

गांव के बाहर कुछ ही दूरी पर सड़क के किनारे सूरज अपनी बाइक लिए उस का इंतजार कर रहा था. मोमिन खातून के आते ही उस ने अपनी बाइक स्टार्ट कर ली थी. मोमिन ने उस के बैठते ही बाइक आगे बढ़ा दी.

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