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मोमिन हो गई घर से फरार

पलक झपकते ही उस की बाइक हवा से बातें करने लगी थी. मोमिन खातून को साथ ले कर सूरज कोई 5 मिनट में ही अपने गांव पहुंच गया. मोमिन खातून और सूरज के गांव आसपास ही थे. दोनों के गांव में मुश्किल से 2 किलोमीटर की ही दूरी थी. सूरज के घर आते ही उस ने अपने शरीर का वजन कुछ हलका किया. उस ने अपना बुरका उतार कर एक तरफ रख दिया.

मोमिन खातून ने सूरज के घर जाते ही उस के मम्मीपापा के पैर छू कर आशीर्वाद लिया. हालांकि सूरज के मम्मीपापा मोमिन के इस कदम से नाखुश थे. लेकिन अपनी औलाद की खुशी के लिए उन्हें यह जहर का प्याला पीने पर मजबूर होना पड़ा था.उन्हें मालूम था कि मोमिन खातून मुसलिम समुदाय से ताल्लुक रखती है. कन्हैयालाल की निर्मम हत्या के बाद वैसे ही देश में बवाल मचा पड़ा था. उन्हें डर था कि कहीं मोमिन खातून के घर छोड़ने की खबर पा कर उस के परिवार वाले उस के घर आ कर हंगामा खड़ा न कर दें.

इस बात को गहराई से लेते हुए सूरज के मम्मीपापा ने सूरज और मोमिन खातून को काफी समझाने की कोशिश की, लेकिन दोनों ही अपनी जिद पर अड़े थे.मोमिन खातून ने बताया कि उस ने अपने परिवार वालों से तो 2 साल पहले ही नाता रखना बंद कर दिया था. लेकिन उस घर में रह कर शरण लेना उस की बहुत बड़ी मजबूरी थी.मोमिन खातून ने सूरज के घर वालों को दिलासा दिलाया कि मेरे होते आप के परिवार पर किसी तरह की कोई परेशानी आने वाली नहीं. वह इस वक्त बालिग है. उसे अपनी जिंदगी अपने तरीके से जीने का पूरा अधिकार है.

मोमिन खातून को अपने घर से निकले हुए 2 दिन गुजर गए. उस के घर वालों की तरफ से कोई ऐसी बात सामने नहीं आई, जिस से सूरज का परिवार मुसीबत में फंसे. सूरज के घर वालों ने चुपकेचुपके से उस के परिवार वालों का जायजा लिया. लेकिन उस के परिवार वाले मोमिन खातून के जाने से एकदम सामान्य थे.मोमिन खातून के घर वाले पहले ही जानते थे कि एक न एक दिन यह लड़की समाज में उन की नाक कटवा कर ही रहेगी. फिर वही हुआ. उस की जो मरजी थी, उस ने वही किया. वह आगे भी उन की एक नहीं सुनने वाली थी. इसी कारण उन्होंने न तो उस के घर छोड़ कर जाने का गांव में ढिंढोरा ही पीटा और न ही पुलिस में उस के और सूरज के खिलाफ कोई रिपोर्ट ही दर्ज कराई.

मोमिन खातून के सूरज के घर आने के बाद से ही गांव में तरहतरह की चर्चाएं शुरू हो गई थीं. गांव वालों ने सूरज के पापा जोखू सिंह को कई बार समझाने की कोशिश की.उन्होंने कहा कि देश में पहले ही कन्हैयालाल की घटना से सांप्रदायिकता का माहौल पैदा हो गया है. फिर यह तो गांव के पास का ही मामला है. कहीं ऐसा न हो कि तुम्हारे बेटे के कारण गांव में किसी तरह का फसाद हो जाए.
लेकिन वह भी सूरज की जिद के आगे हार मान बैठे थे. सूरज के पिता ने हालात से संघर्ष करने के लिए गांव के कुछ बुजुर्गों को बैठा कर इस मसले पर बात की तो गांव के कुछ लोग इस मामले में उन का साथ देने के लिए आगे आए.

फिर योजना बनी कि जो होगा देखा जाएगा. मोमिन खातून और सूरज की शादी का निर्णय लेते ही शादी का दिन भी रख लिया गया था.13 जुलाई, 2022 के दिन आजमगढ़ के अतरौलिया स्थित सम्मो माता मंदिर में शादी होनी तय हुई. इस शादी को ले कर सूरज के घर वालों ने पूरी तरह से तैयारियां कर ली थीं. शादी के लिए एक पंडित को भी बुला लिया गया था.

सब तैयारियां पूरी होने के बाद घर वालों की तरफ से मोमिन खातून को तैयार होने के लिए कहा गया. शादी की बात सुनते ही मोमिन खातून का दिल बागबाग हो उठा. खुशी के मारे उस के पांव जमीं पर नहीं टिक पा रहे थे.नहाधो कर मोमिन खातून ने एक लाल साड़ी पहनी. गीले बाल सुखाने के बाद वह आईने के सामने खड़ी हुई और फिर हिंदू रीतिरिवाज के अनुसार उस ने भरपूर शृंगार किया.

मोमिन ने माथे पर दमकती बिंदिया, गुलाबी अधरों पर मनमोहक लिपस्टिक, नाजुक कलाइयों में लाललाल चूडि़यां पहनीं. फिर सोलह शृंगार करने के बाद वह सूरज के साथ ही सम्मो माता मंदिर में जा पहुंची. मंदिर पहुंचते ही हिंदू रीतिरिवाज से पंडित के मंत्रोच्चार के बीच दोनों परिणय सूत्र में बंध गए.

ढहा दी धर्म की दीवार

 

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