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गिरधर एनक्लेव में एक के बाद एक पुलिस की गाडि़यां आने के कारण मुन्ना के मकान के बाहर कालोनी के लोगों की भीड़ जुट गई.

सीओ राकेश मिश्रा और एसडीएम के आने के बाद मोहल्ले के कुछ लोगों को गवाह बना कर उस जगह फर्श की खुदाई कराई गई, जहां ताजा प्लास्टर हुआ था.

करीब 4 फुट की खुदाई होते ही पुलिस की आंखें फटी रह गईं. 6 फुट गहरे और 2 फुट चौडे़ गड्ढे की मिट्टी निकाली तो वहां से एक लाश निकली. मजदूरों की मदद से वह लाश गड्ढे से बाहर निकाली. उस के चेहरेमोहरे से मिट्टी हटा कर देखा तो वह लाश पंकज की ही निकली. लाश देखते ही मनीष ‘मेरा भाई पंकज’ कहते हुए सिर पकड़ कर वहीं जमीन पर बैठ गया. पंकज के गले में रस्सी बंधी थी, जिस से जाहिर था कि उसी रस्सी से उस का गला दबाया गया था.

थोड़ी ही देर में पंकज का रूम पार्टनर संजय भी मौके पर आ गया. लाश के शरीर पर जो कपड़े थे, उन्हें देख कर संजय ने भी बता दिया कि पंकज यही कपड़े पहन कर 9 तारीख की सुबह घर से निकला था.

लाश मुन्ना के घर के बेसमेंट में मिली थी और मुन्ना अपने परिवार के साथ घर से लापता था. लिहाजा पहली नजर में यह शक हो रहा था कि कहीं न कहीं इस हत्या के पीछे मुन्ना और उस के परिवार का ही हाथ है.

सूचना पा कर एसएसपी सुधीर कुमार सिंह और एसपी (सिटी) मनीष कुमार मिश्रा भी घटनास्थल पर पहुंच गए.

जरूरी जांच करने के बाद पंकज का शव पोस्टमार्टम के लिए गाजियाबाद की मोर्चरी भिजवा दिया. पंकज का शव मिलने की बात सुन कर उस के पिता और दूसरे रिश्तेदार भी गाजियाबाद आ गए.

इस बीच एसएसपी ने पूरा मामला जानने के बाद पंकज सिंह हत्याकांड की जांच के लिए सीओ डा. राकेश कुमार मिश्रा के निर्देशन में एक विशेष जांच टीम का गठन कर दिया. टीम में इंसपेक्टर जे.के. सिंह के अलावा एसआई जितेंद्र कुमार, राजीव बालियान, हैडकांस्टेबल कृष्णवीर, रविंद्र, कांस्टेबल संजीव सिंह, विपिन, प्रवेश और महिला हैडकांस्टेबल सुमित्रा को शामिल किया गया. टीम का नेतृत्व इंसपेक्टर जे.के. सिंह कर रहे थे.

जांच का काम हाथ में लेते ही इंसपेक्टर जे.के. सिंह ने रिपोर्ट में भादंवि की धारा 302 और जोड़ दी. टीम ने सब से पहले गिरधर एनक्लेव में लगे सीसीटीवी कैमरे की जांच कराई. एक फुटेज में पंकज सुबह करीब सवा 9 बजे लोअर पहने हुए सेब खाता हुआ कालोनी के बाहर से भीतर आता हुआ दिखा था. लेकिन उस के बाद वह कालोनी से बाहर की तरफ निकलते नहीं दिखा. इलाके के कुछ प्रत्यक्षदर्शियों ने भी पंकज को मुन्ना के घर की तरफ जाते देखा था.

जांचपड़ताल की इसी कड़ी में जब पंकज के मोबाइल की काल डिटेल्स की छानबीन की गई तो पता चला कि सुबह सवा 10 बजे पंकज के मोबाइल की लोकेशन झंडापुर टावर की थी. यह टावर गिरधर एनक्लेव के पीछे बने रेलवे ट्रैक के आसपास है. जो मुन्ना के घर के काफी समीप है. इस से यह बात स्पष्ट हो गई कि जिस समय पंकज के साथ कोई हादसा हुआ, उस समय वह या तो मुन्ना के घर के आसपास था या घर के भीतर था.

अब तक आए सभी साक्ष्य इस बात की गवाही दे रहे थे कि पंकज की हत्या मुन्ना और उस के परिवार के किसी सदस्य ने मिल कर की है.

पंकज की काल डिटेल्स में यह बात भी सामने आई कि पंकज के फोन पर अकसर मुन्ना की काल आतीजाती थी. पंकज और मुन्ना के वाट्सऐप पर भी मैसेज का काफी आदानप्रदान होता था, लेकिन वाट्सऐप चैट में क्या था, इसे जानने के लिए दोनों के मोबाइल फोन का होना जरूरी था.

पता चला कि मुन्ना बिहार के नवादा जिले का रहने वाला है. किसी तरह पुलिस ने मुन्ना का पता हासिल कर लिया, जिस के बाद इंसपेक्टर जे.के. सिंह ने एसआई राजीव बालियान और जितेंद्र कुमार की अगुवाई में एक टीम नवादा (बिहार) के लिए रवाना कर दी.

20 अक्तूबर को पुलिस टीम जब नवादा में मुन्ना के घर पहुंची, तो पता चला कि मुन्ना अपने परिवार के साथ अपने गांव में आया जरूर था, लेकिन 2 दिन पहले ही वह घर जाने की बात कह कर वापस चला गया.

काफी कुरेदने के बावजूद भी पुलिस टीम को मुन्ना के रिश्तेदारों से यह बात पता नहीं चल सकी कि मुन्ना इस समय कहां गया है. थकहार कर साहिबाबाद थाने की पुलिस टीम वापस लौट आई.

इसी दौरान साहिबाबाद थाने में एसएसआई प्रमोद कुमार की नियुक्ति हुई तो इंस्पेक्टर जे.के. सिंह से ले कर पंकज हत्याकांड की जांच का काम उन के सुपुर्द कर दिया गया. प्रमोद कुमार ने जांच का काम हाथ में लेते ही अब तक हुई जांच के बारे में पूरा अध्ययन किया.

जांच अधिकारी प्रमोद कुमार ने टीम के साथ उन तमाम संभावित ठिकानों पर दबिशें देनी शुरू कर दीं, जहां मुन्ना या उस के परिवार के मिलने की संभावना थी. लेकिन मुन्ना चालाक था. पुलिस जहां भी पहुंचती, वह उस से पहले ही उस ठिकाने से निकल लेता.

पुलिस को मुन्ना के कुछ ऐसे करीबी लोगों के मोबाइल नंबर मिल गए, जिन से मुन्ना के न सिर्फ कारोबारी संबंध थे, बल्कि वह उन के साथ काफी उठताबैठता भी था.

पुलिस ने उन नंबरों को सर्विलांस पर लगा दिया. आखिर इस से पुलिस को 2 नवंबर, 2019 को जानकारी मिली कि मुन्ना अपने परिवार के साथ साहिबाबाद रेलवे स्टेशन पर मौजूद है और वहां से वह ट्रेन पकड़ कर कोलकाता जाने वाला है.  पुलिस टीम तत्काल साहिबाबाद रेलवे स्टेशन पहुंच गई और उसे दबोच लिया.

दरअसल हुआ यूं था कि मुन्ना ने नोएडा में अपने एक दोस्त, जिस के औफिस में वह प्रौपर्टी डीलिंग का काम देखता था, को फोन कर के अपने मुसीबत में होने की बात बताई. उस ने दोस्त से कुछ पैसे साहिबाबाद रेलवे स्टेशन पर भिजवाने के लिए कहा, जहां वह ट्रेन का इंतजार कर रहा था. पुलिस टीम ने जब मुन्ना के उस दोस्त से पूछताछ की तो उस ने सच उगल दिया और पुलिस मुन्ना तक पहुंच गई.

मुन्ना और उस के परिवार को थाने ला कर जब सीओ राकेश कुमार मिश्रा के समक्ष पूछताछ हुई तो कुछ ही देर में पंकज की हत्या का सच सामने आ गया. मुन्ना ने कबूल कर लिया कि उस ने अपनी पत्नी सुलेखा और छोटी बेटी अंकिता के साथ मिल कर पंकज की हत्या की थी.

मुन्ना, सुलेखा और अंकिता से पूछताछ के बाद पंकज हत्याकांड की जो कहानी सामने आई वह इस प्रकार निकली—

दिल्ली से सटे साहिबाबाद शहर में स्थित गिरधर एनक्लेव में रहने वाला हरिओम उर्फ मुन्ना कुछ साल पहले तक कबाड़ी का काम करता था. कबाड़ के काम से उसे खूब आमदनी हुई. जिस से उस ने गिरधर एनक्लेव में प्लौट खरीद कर उस पर 3 मंजिला मकान बना लिया. मकान के 2 मंजिल उस ने किराए पर दे दिए, जिस से अच्छीखासी आमदनी होने लगी.

3 साल पहले मुन्ना ने कबाड़ का काम बंद कर दिया और कुछ दिन खाली रहा. लेकिन 2 साल पहले उस ने नोएडा में अपने एक दोस्त, जो प्रौपर्टी डीलिंग का काम करता था, के दफ्तर पर जा कर बैठना शुरू कर दिया. जहां वह दोस्त के प्रौपर्टी डीलिंग के काम को संभालता था. प्रौपर्टी की जो डील वह खुद करता था उस में दोस्त को वह हिस्सा देता था.

मुन्ना के परिवार में पत्नी सुलेखा के अलावा 2 बेटे और 2 बेटियां थीं. मुन्ना की सब से बड़ी बेटी अनीशा (21) अंकिता (19) बेटा दीपक (17) और राकेश (15) साल के हैं.

उस की सब से बड़ी बेटी अनीशा शारीरिक रूप से थोड़ी कमजोर थी और अकसर बीमार रहती थी. यही कारण रहा कि 2-3 साल पहले 10वीं पास करने के बाद उस की पढ़ाई छूट गई. उस से छोटी बेटी अंकिता स्वस्थ होने के साथ बेहद खूबसूरत भी थी. लेकिन बड़ी बहन के बीमार होने के कारण मुन्ना ने उस की तीमारदारी के लिए अंकिता की पढ़ाई भी 10वीं के बाद छुड़वा दी.

हालांकि दोनों बेटों की पढ़ाई लगातार जारी रही. बड़ा बेटा दीपक इस बार 12वीं कक्षा में था. पिछले साल जब अनीशा स्वस्थ हो गई तो मुन्ना ने अनीशा और अंकिता का एक साथ 11वीं कक्षा में एडमिशन करा दिया.

क्योंकि मुन्ना के चारों ही बच्चे पढ़नेलिखने में थोड़ा कमजोर थे. संयोग से सत्यम एनक्लेव में अपने साइबर कैफे में ट्यूशन पढ़ाने वाला पंकज सिंह एक दिन मुन्ना के संपर्क में आया. पता चला कि मुन्ना ने पंकज से अपने चारों बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने के बारे में बात की.

करीब 5 महीने पहले मुन्ना के चारों बच्चे ट्यूशन पढ़ने के लिए पंकज के साइबर कैफे पर जाने लगे. पंकज सुबह करीब साढ़े 9 बजे तक साइबर कैफे खोल लेता था. इस के बाद वह साढ़े 12 बजे तक बच्चों को ट्यूशन पढ़ाता था. इस दौरान अगर कोई टाइपिंग का वर्क ले कर दुकान पर आ जाता, तो वह उस का भी काम कर देता था.

कुल मिला कर पंकज वकालत की पढ़ाई करने के साथसाथ अपना खर्च चलाने के लिए साइबर कैफे और ट्यूशन पढ़ाने का काम करता था, जिस से उस की जिंदगी आराम से गुजर रही थी. जब से मुन्ना के चारों बच्चे पंकज से ट्यूशन पढ़ने लगे थे, तब से उस के कालेज जाने के बाद चारों बच्चों में से ही कोई उस के साइबर कैफे पर बैठ कर उस का संचालन करते थे. शाम को कालेज से आने के बाद पंकज फिर साइबर कैफे संभाल लेता था.

पंकज पढ़ालिखा और आकर्षक व्यक्तित्व का नौजवान था. अंकिता यूं तो पंकज से उम्र में काफी छोटी थी लेकिन डीलडौल और अपने सुडौल बदन की वजह से वह एकदम जवान दिखती थी. न जाने कब और कैसे अंकिता ट्यूशन पढ़तेपढ़ते पंकज के करीब आती चली गई.

यही कारण था कि पंकज से जब भी एकांत में वह मिलती तो गाहेबगाहे पंकज से कुछ ऐसी निजी बातें करने लगती, जिस से धीरेधीरे पंकज भी उस की तरफ आकर्षित हो गया. जल्द ही उन दोनों की नजदीकियों ने प्रेम का रूप धारण कर लिया.

अब कुछ ऐसा होने लगा कि जब भी दोनों को थोड़ा सा एकांत मिलता तो वे एकदूसरे से प्यार भरी बातें करते. कभीकभी झूठ बोल कर अंकिता पंकज के साथ पिक्चर देखने भी चली जाती और पंकज उसे रेस्टोरेंट्स में लंच या डिनर कराने भी ले जाता.

इसी दौरान 3 महीने पहले अचानक पंकज के मकान मालिक ने रिपेयर कराने के लिए जब अपना फ्लैट खाली कराया तो अंकिता के कहने पर मुन्ना के तीसरे फ्लोर पर स्थित कमरे में आ कर रहने लगा. मुन्ना के घर में आ कर पंकज की अंकिता के साथ नजदीकी और ज्यादा बढ़ गई. दोनों के बीच कुछ ऐसे रिश्ते भी बन गए जो शादी से पहले एक लड़की और लड़के के बीच नहीं होने चाहिए.

हालांकि अभी तक मुन्ना या उस के परिवार के किसी सदस्य को दोनों के संबंध की भनक नहीं लगी थी. लेकिन 15 दिन बाद अचानक पंकज ने मुन्ना का मकान छोड़ दिया. वह नवीन त्यागी के मकान में जा कर रहने लगा.

मुन्ना के परिवार में मुन्ना के अलावा किसी के पास भी एंड्रायड मोबाइल फोन नहीं था. मुन्ना की पत्नी सुलेखा के पास मोबाइल फोन जरूर था, लेकिन वह भी साधारण फोन था. अगर परिवार में बच्चों को किसी से बात करनी होती थी तो वह अपने पिता या मां सुलेखा का फोन ही इस्तेमाल करते थे.

जानें आगे क्या हुआ अगले भाग में…

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