कभीकभी अपनी इज्जत की खातिर इंसान अविवेक में ऐसा खतरनाक कदम उठा लेता है, जिस के लिए उसे पूरी उम्र पछताना पड़ता है. कानून की पढ़ाई करने वाले छात्र पंकज कुमार सिंह की हत्या के मामले में कुछ ऐसा ही हुआ.
उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के थाना चितबड़ा के अंतर्गत फिरोजपुर गांव के रहने वाले नरेंद्र कुमार सिंह पेशे से डाक्टर हैं. नरेंद्र सिंह चितबड़ा में ही अपना क्लिनिक चलाते हैं. उन के परिवार में उन की पत्नी आशा सिंह के अलावा 3 बेटे हैं.
सब से बड़े बेटे मनीष कुमार सिंह ने ग्रैजुएशन की और वह दिल्ली आ गया. दिल्ली आ कर मनीष ने ट्रांसपोर्ट का काम शुरू कर दिया. वह टैक्सियां किराए पर चलवाने लगा. मनीष शादीशुदा है. मंझला बेटा पंकज 4 साल पहले गाजियाबाद आया और यहां जीटी रोड पर स्थित इंस्टीट्यूट औफ मैनेजमेंट एजुकेशन में एलएलबी में दाखिला ले लिया.
पंकज का एक छोटा भाई भी है, जो इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद बंगलुरु की एक निजी कंपनी में नौकरी कर रहा है. नरेंद्र सिंह की जिंदगी में सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन इस साल अक्तूबर महीने में अचानक ही उन की जिंदगी में भूचाल आ गया.
10 अक्तूबर, 2019 की सुबह करीब 10 बजे का वक्त था. पंकज का भाई मनीष साहिबाबाद थाने पहुंचा. उस वक्त ड्यूटी औफिसर के रूप में एसआई जितेंद्र कुमार मौजूद थे. मनीष ने उन्हें बताया कि उस का छोटा भाई पंकज गिरधर एनक्लेव स्थित नवीन त्यागी के मकान नंबर 109 में किराए पर रहता है. वह 9 अक्तूबर की सुबह करीब 10 बजे से लापता है.