कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने पूरे देश में लागू किया गया  लाक डाउन एक महिला के लिए मौत की वजह बन गया.मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर जिले के साईंखेड़ा ब्लाक  में एक छोटा सा गांव बेलखेड़ी है. मूलतः खेती किसानी करने वाले इस गांव मेंगुंटू नौरिया का भरा पूरा रहता है. गांव के एक किसान के खेत में सब्जी भाजी उगाने वाले 50 साल के गुंटू नौरिया के तीन वेटो में से बड़े वेटे ओमप्रकाश की शादी सात साल पहले गाडरवारा में रिंकी नौरिया से हुई थी.  गुंटू की पत्नी रानी गांव के आंगनवाड़ी केंद्र में सहायिका का काम करती है.

3 अप्रैल 2020 को खेत पर  गुंटू अऔर उसकी पत्नी रानी खेत पर काम कर रहे थे कि दोपहर लगभग साढ़े ग्यारह बजे ओमप्रकाश का 5 साल का वेटा आकाशा रोते रोते खेत पर पहुंच गया. गुंटू ने प्यार से अपने पोते आकाश के सिर पर हाथ फेरते हुआ पूछा – “क्या हुआ वेटा रो क्यों रहे हो?”आकाश ने आंसू पोछते हुए कहा-“दादाजी पापा और मम्मी  घर पर लड़ रहे हैं और पापा ने मम्मी को मारा है”.दादा और दादी ने जब पोते के मुंह से बहू वेटे की लड़ाई-झगड़े की बात सुनी तो तुरंत ही काम धाम छोड़ कर अपने घर पहुंच गए.
घर पहुंच कर दादा और दादी ने जो मंजर देखा तो उनके होश उड़ गए. उनकी बहू रिंकी घर की दहलान पर खून से लथपथ पड़ी थी.  दादा और दादी भी दहाड़ मारकर रोने लगे तो आस पास के लोगों की भीड़ इकट्ठी होने लगी.

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घटना की जानकारी गांव के सरपंच और गांव कोटवार के माध्यम से नजदीकी पुलिस चौकी सालीचौका दी गई. जहां से गाडरवारा पुलिस थाना को सूचना देने के बाद टीआई विजय सिंह ठाकुर और एसडीओ पी सीताराम यादव पुलिस बल के साथ बेलखेड़ी गांव पहुंचे. घटना का मौका मुआयना कर लाश का पंचनामा तैयार कर पोस्ट मार्टम के बाद गाडरवारा सिविल अस्पताल भेजा गया पुलिस ओमप्रकाश की तलाश में जुट गई.

देश व्यापी लौक डाउन के कारण गांव कस्बों की सीमाओं पर बने चैक पोस्ट पर पूछताछ में पता चला कि ओमप्रकाश आया तो था, लेकिन उसे गांव से बाहर जाने से मना कर दिया गया था.पुलिस टीम ने गांव के निर्जन स्थानों पर दबिश दी तो ओमप्रकाश जल्द ही पुलिस के हत्थे लग गया.पूछताछ करने पर उसने पत्नी रिंकी की हत्या की बात कबूल करते हुए जो कहानी पुलिस को बताई वह इस प्रकार है-
बेलखेड़ी गांव के गुंटू नौरिया का 35 साल का बड़ा वेटा शादी के एक साल बाद से ही अपनी पत्नी रिंकी को लेकर गाडरवारा के जगदीश वार्ड में रहने लगा था.मेहनत मजदूरी करने वाले ओमप्रकाश की ग‌हस्थी की गाड़ी ठीक ठाक चल रही थी, परन्तु नरसिंहपुर जिले में 23 मार्च से ही लौक डाउन होने की वजह से काम धंधा न कर पाने के कारण ओमप्रकाश परेशान रहने लगा था. जमा पैसा धीरे धीरे खर्च होने लगा था. इसी दौरान चैत्र मास की नवरात्रि आ गई. गांव कस्बों में साल में दो वार चैत्र और क्वार के महिने में पड़ने वाली नवरात्रि में अष्टमी के दिन गांव के पैतृक घर में स्थापित कुल देवी की पूजन की जाती है. गांव के लोग आज भी यह मानते हैं कि यदि वहां जाकर  पूजन नहीं की तो कोई अनर्थ हो जायेगा. कुछ लोग तो कोरोना की महामारी को भी दैवीय प्रकोप बताने लगे थे.

कोरोना वायरस के डर से शहर के रास्तों पर पुलिस का पहरा था. यैसे में 1 अप्रैल को सुबह मुंह अंधेरे अष्टमी पूजन के लिए ओमप्रकाश पत्नी और बेटा आकाश को लेकर पैतृक गांव बेलखेड़ी पहुंच गया.
गांव के घर में  विधि विधान से कुल देवी की पूजा की .शहर की आवो हवा में रहने वाली रिंकी को दो दिन में गांव में बुरा लगने लगा तो उसने पति से शहर चलने की बात कही. 3 अप्रैल को ओमप्रकाश के माता-पिता घर से थोड़ी दूर खेत पर काम करने चले गए और ओमप्रकाश की पत्नी रिंकी और‌ वेटा आकाश घर पर ही थे . तभी रिंकी ओमप्रकाश से  अपने घर गाडरवारा जाने की कहने लगी .पति ओमप्रकाश लॉक डाउन के दौरान कुछ दिन अपने माता-पिता के यहां रूकना चाहता था, पर पत्नी जिद करने लगी कि शहर अपने घर चलो. इस पर पति-पत्नी में हुई नोक-झोंक से बात इतनी बढ़ गई कि गुस्साए पति ने पास में ही पड़े पलंग के पाये को सिर पर दे मारा. वेटा आकाश डर के मारे खेत की तरफ दौड़ पड़ा.  रिंकी के जमीन पर गिरने के बाद गुस्साए पति ने उस पाए से दो-तीन बार और प्रहार किए, जिससे रिंकी की मौत हो गई.पत्नी की हत्या कर ओमप्रकाश भागने की जुगत में था, परन्तु लौक डाउन के कारण चप्पे चप्पे पर पुलिस की मौजूदगी के कारण वह भागने में सफल न हो सका.

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जोश में आकर होश खो‌ देने वाले ओमप्रकाश को पत्नी रिंकी की हत्या के आरोप में धारा 302 के तहत मामला कायम कर जेल भेज दिया गया है. देवी देवताओं को लेकर समाज में फैले डर और अंधविश्वास ने रिंकी की न केवल जान ले ली ,बल्कि

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