लेखक- कुणाल पांडे
भारतीय अस्तापतालों में संक्रमणे ग्रसित मरीजों के लिए, जिला अस्पताल में अलग से वार्ड बनाए गए है. जिसमें उन मरीजों को रखा जा रहा है.जो महामारी सेजूझ रहे हैं जो विदेशों से लोटकर आएं हैं., कल मुरादाबाद में भी ऐसे ही चार रिपोर्ट आएं हैं. एक मरीज का रिपोर्ट पॉजिटीव आने से तनाव बढ़ गया है. हॉस्पिटल के हाते में ही डॉक्टर्स क्वाटर है.
ग़नीमत रही कि तुरंत मलेरिया की दवा का छिड़काव करने वाली गाड़ी से, छिड़काव किया गया कि तुरंत राहत मिले. ओ पी डी को भी बंद कर दिया गया है.यहाँ के डॉक्काटर्स का कहना है कि यहाँ सबसे ज्यादा भीड़, ओ पी डी में ही रहती है.एक मरीज़ के साथ, चार संग में टहलते रहते हैं. नेतागिरी और उनके चमचे के रेल मची रहती है. जो मरीज वाड में भरती है उसे तो सावधानी बरतनी चाहिए. मगर ओपीडी में बिना मतलब के लोग आकर वायरस फैलाए जा रहे हैं. ऐसे में इससे कोई बचेगा ही नहीं.यदि उन्हें समझाएं तो वह समझने के लिए तैयार नहीं है.
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झगड़ा करने लगते है जचा बचा वाडर मे भी यही हाल है. जिनका बचा पेट में पॉटी कर दे या मूवमेट कम हो जाए. ऐसे में उनका ऑप्रेशन करना पड़ता है.सामान प्रसव तो यहां हमेशा चलते रहते हैं. यहां सीमित संसाधन जिस वजह से डॉक्टर्स भी परेशान रहते हैं. हए ,साल भर ,दिन रात की अपनी सेवाएँ प्रदान करते है.उनकी छुिटयाँ के सिलसिले है. वे अपने मरीजों को नजर अंदाज करते हैं.
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