सड़कें सूनी, गलियां सूनी, सूनी हैं दीवारें, हर ओर यही नजारा देखने को मिल रहा है. इतना ही नहीं, मन्दिर के कपाट बंद हैं, वहीं चर्च व मस्जिदों पर ताले लटके हैं. न मंदिरों में घण्टे बजे औऱ न पूजाआरती हुई, न ही मस्जिद में अजान. भगवान तो भगवान, अल्लाह भी चुप, इंसान भी लाचार.
सुबह जब दूध लेने के लिए बाहर निकला तो एक जान पहचान वाला बोला कि भाई बाहर मत निकलो, आज जनता कर्फ्यू लगा है. जब मैं घर में घुसा और बताया कि जनता कर्फ्यू लगने से बाजार बंद हैं. यह सुनकर
पत्नी खुश है कि आज कम से कम मेरे पति पास तो हैं. बच्चे खुश हैं कि आज पापा कहीं नहीं जाएंगे. वहीं बच्चे इसलिए भी खुश हैं कि 31 मार्च तक धमाचौकड़ी मचाएंगे क्योंकि तब तक स्कूल बंद रहेंगे. वहीं सीबीएसई की 10वी और 12वी की परीक्षा रद्द है.
परन्तु आज घर पर मन लगाने के कुछ उपाय खोजे जा रहे हैं कि करें तो क्या करें. कोई घर की सफाई में लगा है तो कोई किताबअखबार पढ़ने में. नया नहीं है तो कोई बात नहीं, पुराने अखबार या पत्रिका ही चल जाएगी. समय काटे नहीं कट रहा है.
यह सब हो रहा है कोरोना वायरस की महामारी के चलते.
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इस बीमारी को लेकर सरकार तो चिंतत है ही, घरपरिवार वाले भी परेशान हैं कि अगर यह बीमारी हो गई तो कोई इलाज नहीं है. कोई दवा नहीं.
सरकार भी अपने तरीकों से प्रचार के कामों में जुटी है वहीं अस्पताल भी इस बीमारी को मात देने में लगे हैं. तमाम डॉक्टर और वैज्ञानिक भी इस बीमारी का तोड़ खोज रहे हैं.
एक ओर जहां कोरोना की शुरुआत चीन से हुई वहीं इस कोरोना ने अमेरिका, इटली, जर्मनी, स्पेन, ईरान, पाकिस्तान जैसे देश को अपने लपेटे में ले लिया. इस बीमारी में पूरी दुनिया मे 13,000 से अधिक लोगों ने अपनी जान गवाई, वहीं भारत भी इस कोरोना महामारी की चपेट में आ गया है. यहां भी 341 से ज्यादा संक्रमित हैं और 6 लोग अब तक मारे जा चुके हैं.
इस कोरोना के बचाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील कि रविवार 22 मार्च 2020 को ‘जनता कर्फ्यू ‘ सुबह 7 बजे से रात 9 बजे तक रहेगा. लोग अपने घर पर रह कर ही बचाव करें.
इस अपील का लोगों ने भरपूर समर्थन किया और माना भी.
रेलें रुकी हुई हैं, मैट्रो बंद है, हवाई जहाज उड़ान नहीं भर रहे हैं, ऑटोबसें भी नदारद हैं और सड़कें सूनी हैं या कहें कि लोग अपने घरों में कैद होने को मजबूर हैं.
ऐसा पहली बार हुआ है कि पूरा देश ही जनता कर्फ्यू का हिस्सा बना.
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‘महल उदास और गालियां सूनी चुप चुप हैं दीवारें….’ 68 साल पहले साल 1952 में गाया गया फ़िल्म बैजू बावरा में मुहम्मद रफी का गाना आज के संदर्भ में बिलकुल सटीक बैठता है. वहीं साल 1952 में आई फ़िल्म ‘साकी’ में भी एक गाना इस ओर संकेत करता है. गाना है, ‘दूर दूर से… पास नहीं आइए हाथ न लगाइए कीजिये नज़ारा दूर दूर से…’ काफी फिट बैठता है.
एक ओर जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घर में रहने की अपील की हैं, वहीं सरकार भी आम लोगों को जागरूक करने में आगे आई है. इसी बीच उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कह रहे हैं कि लोग जनता कर्फ्यू में कृपया अपने घरों में रहें. इस दिन
मेट्रो, रोडवेज बसें, सिटी बसें बंद रहेंगी।”
योगी ने आगे कहा, ” घबराने की जरूरत नहीं है, व्यापारी जमाख़ोरी न करें. भीड़ न करें, संक्रमण न होने दें. दुकानों में लाइन न लगाए. जो ज़रूरी हो वहीं लेने जाएं.अनावश्यक जमा करने की प्रवृत्ति से बचिए. ”
वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी कहा है कि पैनिक होने की जरूरत नहीं है. दिल्ली में भी मैट्रो पूरी तरह से बंद है और बसें भी नहीं चल रही हैं. वहीं सोमवार के दिन यानी 23 तारीख को भी मैट्रो सुबह 10 बजे शाम 4 बजे तक नहीं चलेगी. आम जनता भी बहुत जरूरी होने पर मैट्रो में यात्रा करें.
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कोरोना वायरस बहुत तेजी से फैलता है और कइयों को बहुत जल्द अपनी चपेट में ले लेता है. इस बीमारी में जुकाम, बदन में ऐंठन, तेज बुखार, गले में दर्द, सांस लेने में तकलीफ होती है. अगर आप भी ऐसा महसूस करते हैं तो तुरंत डाक्टर से अपना इलाज लें और उनके द्वारा बताए तरीके अपनाकर अपने को सेहतमंद बनाएं.
छूत की इस बीमारी में खुद तो बचें ही, औरों को भी सचेत करें और कारगर उपाय अपनाने को कहें.
कोरोना न हो, इसके लिए नाक, कान,गले को पूरी तरह से ढक कर रखें और ठंडा पानी भूल कर भी न लें. कोल्ड ड्रिंक और फ़ास्ट फूड लेने से बच कर ही अपना बचाव करें.
कोरोना का रोना न रोइए, चलिए उठिए और इस महामारी को भगाइए…. अपने को साफ रखें यानी रोज नहाएं, अपने हाथों को साफ रखें, इसके लिए समय समय पर साबुन या सेनेटाइजर से रगड़ रगड़ धोएं और बार बार संक्रमण युक्त हाथ अपने चेहरे पर न रखें, इससे बीमारी होने का अंदेशा है.
जागरूक रह कर ही कोरोना से बचा जा सकता है.
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