हम सब गोआ की एचपीसीएल कालोनी में रहते थे. मैं, मेरे 2 बच्चे और दीदी के 2 बच्चे सब साथ में हंसीमजाक कर रहे थे. मेरी बेटी कुछ बातों से नाराज हो कर दूसरे कमरे में चली गई. उसे मनाने के लिए हम ने चौकीदार अरुण को बुलाया जो कभी भी पूरी बात सुनने से पहले काम करने को तत्पर हो जाता था. हम ने अरुण को कहा, ‘‘जाओ, नीचे दुकान से पर्क चौकलेट ले कर आओ.’’ वह गया और वापस आ कर बोला, ‘‘वहां फ्रौक नहीं मिलता.’’ मैं बोली, ‘‘अरे फ्रौक नहीं पर्क चौकलेट लाओ.’’
अरुण ने कहा, ‘‘तभी मैडम मैं ने सोचा 10 रुपए में फ्रौक कहां से मिलेगा. अभी लाता हूं.’’ गया और आ कर बोला, ‘‘मैडम, पर्क नहीं है.’’ मैं बोली, ‘‘ठीक है, कैडबरी का एक पैकेट ले आओ.’’ वापस आ कर बोला, ‘‘मैडम वह भी नहीं है.’’ मैं गुस्से से बोली, ‘‘ठीक है, जो भी पैकेट हो, ले आओ.’’ वह गया और ले आया सिगरेट का पैकेट. हम सब हंसतेहंसते बेदम हो गए.
मंजू दंडापत, कोयंबटूर (तमिलनाडु)
मेरी दूर की चाची की बेटी की सगाई थी. कार्यक्रम होटल में था. खाने के बाद मैं आइसक्रीम लेने पहुंची तो बहुत भीड़ थी क्योंकि एक ही वेटर डब्बे से धीरेधीरे एकएक स्कूप आइसक्रीम निकाल रहा था. वक्त ज्यादा लग रहा था. कुछ लोग उसे ताना मारने लगे. शुरू में तो वह सुनता रहा परंतु 5 मिनट बाद 2 मिनट में लौटने का बहाना कर के वह चला गया. फिर क्या था, सभी अपनेअपने चम्मच घुसा कर अपनी प्लेटें भरने लगे. लोगों के चेहरे देखने लायक थे. हम अपनी हंसी रोक न पाए.
सुमन डेंबला, जयपुर (राज.)
मैं राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद, उ.प्र. का प्रदेश अध्यक्ष हूं. मेरा कार्यालय विधायक निवास, दारूलशफा, लखनऊ में आबंटित है. एक नया चपरासी रखा गया, जो इंटर पास था. आंदोलन कार्यक्रमों के कुछ पत्र (सर्कुलर) प्रदेश के सभी जनपदों में जाने थे. एक पत्र में माह में कई अवकाश पड़ने के कारण बारबार बदलाव करना पड़ा था. अंतिम बदलाव व हर पत्र के पीछे फोटोस्टेट करने की संख्या लिखने के बाद भी 5 दिन तक जब पत्र नहीं भेजे गए तब मैं ने चपरासी को डांटते हुए कहा कि अभी तक पत्र क्यों नहीं गए. वह बोला कि आप लोग बारबार करप्शन में लगे थे, इसी कारण मैं ने फोटोकापी नहीं की, क्योंकि वे बरबाद हो जातीं. करेक्शन को करप्शन कहते सुन हम लोग हंसतेहंसते लोटपोट हो गए.
हरि किशोर तिवारी, लखनऊ (उ.प्र.)