मेरे एक रिश्तेदार सपरिवार बनारस से रेणुकूट जा रहे थे. रास्ते में दुर्घटना हो गई. उन की कार ट्रक से जा टकराई. 10 दिन हौस्पिटल में रहने के बाद वे लोग घर आए. घटना के बाद उन लोगों को अपनी पड़ोसिन की कही बात याद आई. पड़ोसिन ने कहा था, ‘‘दुर्गाजी की जिस भी मूर्ति में बाघ का मुंह खुला हो वह अशुभ होती है.’’ उन के घर में भी दुर्गा की चांदी की एक मूर्ति थी जिस में बाघ का मुंह खुला हुआ था. यह मूर्ति उपहार में किसी ने दी थी. उन लोगों ने मूर्ति को मंदिर में दान कर दिया. बाद में पता चला कि दुर्घटना का कारण मूर्ति नहीं, ड्राइवर को झपकी आना था. हमारे समाज की विडंबना है कि ज्यादातर पढ़ेलिखे लोग सब सोचतेसमझते हुए भी अंधविश्वास की बेडि़यों से बंध जाते हैं.      

नीरू श्रीवास्तव, मथुरा (उ.प्र.)

*

एक बार हमारे गांव राहमर, जनपद गाजीपुर में कामाख्या धाम (जो राहमर के नजदीक है) में 6-7 साधुमहात्मा जैसे लोग पधारे और लोगों की सुखशांति व धनसंपत्ति में बढ़ोतरी के लिए यज्ञ करने के लिए ऐलान किया. धर्मांध जनता उन के दर्शनों के लिए उमड़ी. जिस से जो कुछ बनता, उन के चरणों में चढ़ावा चढ़ाता. उन लोगों ने यज्ञ करने के नाम पर बहुत से धन की उगाही कर ली और एक दिन आधी रात के बाद सारा रुपयापैसा ले कर चंपत हो गए. जब सुबह लोगों को पता चला तो सब हाथ मलते रह गए.

कैलाश राम गुप्ता, इलाहाबाद (उ.प्र.)

*

गरमी के दिनों में हमारी भांजी का विवाह था. पहली भांजी थी, लिहाजा हम तीनों मामामामियां उत्साह के साथ ‘चीकट’ (भात) ले कर पहुंचे. ननद का औपरेशन हुआ था. वे नीचे नहीं बैठ पाती थीं. रस्में शुरू हुईं. हम सभी के लिए साडि़यां, पैंटशर्ट आदि ले कर गए थे. तभी उन की बुजुर्ग रिश्तेदार कहने लगीं कि मामामामी को भांजी के पैर धो कर पीना है. मैं ने विरोध किया पर जेठानीजी तैयार हो गईं. भांजी का अंगूठा धोया गया व हम सब को चरणामृतस्वरूप पीने को दिया गया. बात यहीं खत्म नहीं हुई. वह बुजुर्ग कहने लगीं, बहनबहनोई व भांजी की लटें धो कर उस का पान करना है. उन्होंने एक कटोरा ले कर तीनों के बाल धोए व हमें दिए. मैं ने तो फेंक दिया पर हमारे जेठजी ने पसीनेभरा गंदा पानी पी लिया. गरमी चरम पर थी. थोड़ी देर बाद उन्हें उल्टियां होने लगीं. छोटी जगह होने के कारण वहां डाक्टर भी नहीं था. उन्हें तुरंत गाड़ी में निकटतम शहर ले जाना पड़ा. एक मूखर्तापूर्ण रस्म के कारण हम शादी छोड़ अस्पताल में बैठे थे.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...