मेरी एक सहेली है जो निसंतान है. एक दिन अचानक उस के पति को दिल का दौरा पड़ा. उन्हें तुरंत सरकारी अस्पताल में दाखिल कराया गया. डाक्टरों ने जांच के बाद कहा कि 12 घंटे के भीतर एक औपरेशन करना पड़ेगा. इस के लिए रुपए जमा करा दें. उस दिन इतवार था सो बैंक बंद होने के कारण मदद के लिए हमारी मित्र ने अपने पति के बड़े भाई को फोन किया. उन से कहा कि अगले दिन वे रुपए निकाल कर दे देंगी. पर पति के बड़े भाई ने रुपए होते हुए भी इनकार कर दिया. बहुत दौड़धूप के बाद भी रुपए का इंतजाम नहीं हो सका और उस के पति की मौत हो गई. कोई संतान न होने के कारण अंतिम क्रिया के लिए फिर से मदद मांगने पर पति के भाई ने जवाब दिया कि पहले मकान हमारे नाम करो, तब साथ देंगे. उस ने ऐसे स्वार्थी लोगों के नाम मकान करना उचित नहीं सम झा. इसलिए उस ने आसपास के लोगों की मदद से सारे काम निबटाए. यह सुन कर मैं दंग रह गई कि क्या ऐसा भी होता है कि मौत के गम में डूबी अकेली महिला से उस के रिश्तेदार सौदेबाजी करते हैं? लोगों में मानवता क्या एकदम मर चुकी है?

उषा शर्मा, कोलकाता (प.बं.)

*

मेरी नईनई नौकरी लगी थी. कालेज तक की पढ़ाई घर पर रह कर की थी और अकेला कभी बाहर नहीं रहा था. सो, दुनियादारी का ज्यादा ज्ञान नहीं था. दीवाली आने में 3 दिन थे. छुट्टी ले कर मैं अपने घर, जोकि दूसरे शहर में था, जाने के लिए बस अड्डे पर पहुंचा. उसी दिन मेरे अकाउंट में बोनस की रकम आई थी. सो, वहां एक एटीएम से बोनस के सारे रुपए निकाल कर बस का इंतजार करने लगा. कुछ देर बाद एक नवयुवक, जिस की उम्र 16-17 साल रही होगी, गेरुआ वस्त्र पहने और हाथ में सांप पकड़े हुए आया. उस ने मु झ से 1-2 रुपए मांगे. मैं ने पर्स से निकाल कर उसे 2 रुपए देने की कोशिश की. उस की नजर मेरे पर्स के पैसों पर पड़ गई. सो, पता नहीं कैसे उस ने मु झे सम्मोहित कर पैसे लूटने शुरू किए. लोग देख कर हंस रहे थे, बस. इतने में मेरी कंपनी का सुपरवाइजर, जो वहां अपने रिश्तेदारों को छोड़ने आया था, ने देखा तो उस लड़के को पकड़ कर 2-3 थप्पड़ रसीद कर दिए और लूटे गए पैसे वापस ले कर मु झे दे दिए. अब  मैं सांप वालों या ऐसे ठग लोगों से दूर रहता हूं.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...