बात मेरे मामा के लड़के की शादी की है. मेरी मामी को हर बात में यह कहने की आदत थी कि ऐसा तो मेरे मायके में भी होता है. उन की इस आदत से सभी परेशान थे. शादी की रस्में हंसीखुशी संपन्न हो रही थीं. फेरों के समय मामा ने मजाकिया अंदाज में कहा, ‘‘आज के समाचारपत्र में यह खबर छपी है कि दिल्ली में नईनवेली दुलहन ने सास को इतना प्रताडि़त किया कि सास घर छोड़ कर चली गई. देखोदेखो कैसा जमाना आ गया है.’’
इस बात पर सभी लोग अपनीअपनी टिप्पणी करने लगे. उधर, मेरी मामी बिना कुछ सुने अपनी आदत के मुताबिक बोलीं, ‘‘इस में ऐसी क्या बड़ी बात है, ऐसा तो मेरे मायके में भी होता है.’’
यह सुन कर मंडप में मौजूद सभी लोग जोरजोर से हंस पड़े और कहने लगे, वाहवाह, क्या खूब रही. उधर मामी अपनी कही बात समझ में आने पर वहां से खिसिया कर चली गईं.
राधा काल्या
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बैंक से पैसे निकलवाने गया था. चैक मेरे पर्स में था. मेरा स्वभाव है, घर पर ही चैक भर लेता हूं, हस्ताक्षर छोड़ देता हूं. वह मैं बैंककाउंटर पर ही करता हूं. आज काउंटर पर अधिक भीड़ नहीं थी. मेरे आगे 4 व्यक्ति थे. मैं ने पर्स से चैक निकाला, जेब में हाथ डाला. सदा की भांति वहां पैन नहीं था.
मैं ने आगे खड़े सज्जन से पैन मांगा. उन के पास भी पैन नहीं था. उन्होंने अपने आगे खड़ी युवती की ओर संकेत किया. मुझे कुछ संकोच हुआ. किंतु मांगने के सिवा कोई चारा नहीं था.
‘‘एक्सक्यूज मी, कैन आई हैव योर पैन प्लीज?’’ मैं ने युवती से अनुरोध किया.
उस ने मेरी ओर देखा, मुसकराई, फिर अपने पर्स से पैन निकाल कर मुझे दे दिया.
मैं ने एक कोने में खड़े हो कर हस्ताक्षर किया. फिर पैन लौटाने क लिए मुड़ा. युवती को पैसे मिल गए थे. वह काउंटर छोड़ कर बाहर जा रही थी. शायद, पैन वापस लेना भूल गई थी. मैं तेजी से उस की ओर बढ़ा, ‘‘थैंक्स फौर योर पैन.’’
वह फिर मुसकराई, ‘‘इट्ज ओके. इसे अपने पास ही रखिए. मैरा अदना सा गिफ्ट समझ कर सदा अपने पास रखिए. अन्यथा कभी परेशानी में पड़ जाएंगे.’’
वह बिना कुछ और बोले तेजी से आगे बढ़ गई. मैं उसे देखता रह गया पैन हाथ में लिए. यह गिफ्ट नहीं था,शायद सबक था.
सत्यस्वरूप दत्त