हम लोग घर के लौन में बैठे थे. पौधे बेचने वाले 2 आदमी आए. उन की साइकिल पर अमरूद के पौधे रखे थे. हम ने उन से अमरूद व अशोक वृक्ष के पौधे लगाने की बात की तो उन्होंने बताया कि अमरूद का पौधा 50 व अशोक का पौधा 60 रुपए का है. उन्होंने दोनों पौधे 100 रुपए में लगाने की बात कह कर हमारे यहां पौधे लगा दिए. हम ने उन से पूछा कि पौधों में खाद व पानी कैसे देना है तो उन्होंने कहा कि जो खाद आप के पास है, वही काम आ जाएगी. पौधों को पानी 2 दिन बाद ही देना. हमारे पड़ोसियों ने भी उन से पौधे लगवाए. उन्होंने लाल अमरूद का पौधा लगवाया जिस के लिए उन्होंने 100 रुपए दिए. उन्होंने खाद व पानी देने की बात की तो उन्होंने हमें कही बात दोहराई. इस के अलावा उन्होंने अपनेआप को जयपुर का रहने वाला बताया. पौधे वाले आजतक पलट कर नहीं आए. कोई भी पौधा हमारे यहां नहीं पनपा, न पड़ोसियों के घर पर पनपा. इस तरह हम दिन दहाड़े ठगे गए.

गुलाब सिंह राजपूत, चूरू (राज.)

*

गरमी का मौसम था. एक दिन मेरा देवर उन्नाव से दोपहर को मोटरबाइक द्वारा कानपुर आ रहा था. धूप काफी तेज थी. तभी रास्ते में 2 लड़के चले जा रहे थे. तुरंत मोटरबाइक के सामने आते हुए बोले, ‘‘अंकलजी, अंकलजी, हमें भी मोटरबाइक पर बैठा कर वहां मोड़ पर छोड़ दो. धूप बहुत तेज है.’’ मोटरबाइक धीरे करते हुए  मेरे देवर ने कहा, ‘‘बेटे, मैं 2 जनों को नहीं बैठा सकता,’’ तुरंत उन में से एक बोला, ‘‘अंकल, कृपया मुझे ही बिठा लें. मेरी तबीयत खराब है.’’ देवरजी ने गाड़ी रोक दी. इस से पहले वे कुछ बोलते, दोनों लड़के लपक कर गाड़ी पर बैठ गए और उन्हें धक्का दे कर सड़क पर गिरा दिया. एक लड़का मोटरबाइक पर बैठा रहा. दूसरे ने कहा, ‘‘बाबूजी, सबकुछ जेब से निकाल कर हमें दे दो.’’ उन से घड़ी, मोबाइल, फोन, अंगूठी पर्स सबकुछ छीन लिया. इस के बाद भी दोनों ने देवर की खूब पिटाई की और पास ही के एक गड्ढे में गिरा दिया. और तुरंत मोटरबाइक ले कर भाग गए. मेरे देवर किसी तरह गड्ढे से बाहर निकले. उस सुनसान रास्ते पर एक पुरुष दिखाई दिया. उन्हें सब किस्सा सुना कर उन के साथ पास ही की एक पुलिस चौकी पर पहुंच कर एफआईआर लिखवाई. कई दिनों की दौड़धूप के बाद उन को पुलिस ने उन की गाड़ी मिल जाने की सूचना दी. गाड़ी को देख कर उन्हें रोना आ गया क्योंकि मोटरबाइक के ओरिजनल पार्ट्स गायब थे.

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