तेरे श्रीमुख से फूल झरे
फूलों से आंगन महका
मन शीतल करती सुवास
आधार यही जीवन का
फूलों से कुछ रस ले कर
बैठा हूं मैं मधु रच कर
मेरे जीवन की शक्ति यही
जाना न कभी मुझ को तज कर
तेरे अधरों पर जब हास खिले
तब मुझ को मधुमास मिले
तुम छीनना न ये उत्सव
मेरा न कभी विश्वास हिले
प्रियंवदे! प्रियंवदे!!
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