अग्रलेख ‘प्रचार और कर्मठता की चौंकाती जीत’ ने स्पष्ट कर दिया है कि इस बार के लोकसभा चुनाव में देश की जनता ने जाति, धर्म आदि के चक्रव्यूह को तोड़ दिया है. ‘बांटो एवं राज करो’ की नीति के बल पर सत्ता हथियाने वाले उन तमाम नेताओं के गढ़ों को धराशायी कर, जनता ने पूर्ण बहुमत की सरकार की डोर मोदीजी के हाथों में ऐसे थमाई कि विरोधी दलों के साथ सारी दुनिया भौचक रह गई.

बिना पेंदी के लोटे की तरह एवं कई नदी के संगम वाली सरकार से जनता भी थक गई थी. छीन कौन पतवार संभाले (कौन प्रधानमंत्री बने) की बीमारी से ग्रस्त भारतीय जनता पार्टी इस भ्रम में न रहे कि जनता ने वोटों के खजाने का मुंह उस के लिए खोला है क्योंकि जनता ने सारी पार्टियों के शासनकाल के चंगेज खां, नादिर शाह और गजनियों की लूट को देखा है. इसलिए उस ने पार्टी को नहीं बल्कि नमो नाम पर मुहर लगाई है.

भूखेनंगे बचपन ने, युवा वर्ग की निराशाओं एवं बेकारी ने, प्रौढ़ों की टूटी कमर ने, बुढ़ापे की धुंधली आंखों ने, आएदिन लूटी जा रही मां, बहन, बेटी एवं दुधमुंही बच्चियों की अस्मिता ने अपने असंख्य आसविश्वास की मशाल नरेंद्र मोदी को थमाई है. अब उस बुझी मशाल को प्रज्वलित कर के जनता की कसौटियों पर खरा उतरना उन का काम है.

रेणु श्रीवास्तव, पटना (बिहार)

 

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