हुआ यों कि दलित अत्याचारों पर चल रही बहस के दौरान राहुल गांधी संसद में ही सो गए तो खासा हल्ला मच गया. राहुल क्यों सोए, इस पर कांग्रेसियों ने सफाई यह दी कि वे तो सोच रहे थे, सोचने की यह अदा सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई और लोगों ने अपने हिसाब से कमैंट्स किए.

शायद ही कोई राहुल का दलितप्रेम समझ पाए जिन्हें घूमतेफिरते और दलितों को गले लगाते यह ज्ञान प्राप्त हो गया है कि कुछ भी कर लो, वर्णव्यवस्था मेें शूद्र के नाम से वर्णित दलितों की हालत नहीं सुधरने वाली. ये लोग अब कांग्रेस पर भरोसा नहीं करते, इसलिए बजाय बहस में पड़ने से बेहतर है कि एक झपकी मार ली जाए, वह भी शोरशराबे के बीच कुरसी पर बैठेबैठे, उसी तरह जैसे सरकारी दफ्तरों में बाबू और चैंबर्स में साहब सोते हैं.

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