धर्म का दुरुपयोग रोजरोज और तरहतरह से हो रहा है जिस में धर्मगुरुओं के साथ राजनेताओं का बड़ा हाथ है. इन के डर से भगवान भी अवतरित नहीं हो पा रहा, इसलिए भक्तों ने इन्हें पार्टटाइम भगवान मानते खुद को तसल्ली दे रखी है और दानदक्षिणा में बदस्तूर जुटे हुए हैं.
यह सिलसिला टूटे नहीं, इस के लिए वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने धर्म और मौजूदा समस्याओं का संबंध उजागर करते एक पुरानी घिसीपिटी बात यह कही कि फिल्मों में हिंसा और अश्लीलता की वजह से बच्चों के मस्तिष्क पर बुरा असर पड़ रहा है. अब इन धर्मप्रचारकों को कौन बताए कि असल फसाद की जड़ धर्म ही तो है जो हिंसा और अश्लीलता से भरा पड़ा है. वेंकैया नायडू धार्मिक वास्तविकता से भाग तो सकते हैं पर उसे बदल नहीं सकते. चूंकि कुछ कहना है, इसलिए वे कह बैठे. समस्याओं के समाधान धर्म से इतर भी हैं, यह ये जानते ही नहीं और न ही जानना चाहते हैं.