मैं और मेरे पति रायबरेली से बड़ी बेटी की ससुराल अपनी गाड़ी से जा रहे थे. बेटी के बच्चे हमारे साथ थे. रास्ते में उन को भूख लगने पर हम ने सड़क के किनारे एक अच्छे रैस्टोरैंट के पास गाड़ी रोक ली. खाने का और्डर दे दिया. बच्चों ने लैमन सोडा पीने की फरमाइश की. खाना लाने वाले लड़के को 2 लैमन सोडा लाने को कह दिया. खाना मेज पर लग गया. ‘‘लैमन सोडा भी ले आओ,’’ हम ने कहा था.

‘‘जी साहब,’’ उस ने तुरंत एक प्लेट में 2 नीबू और कटोरी में खाने वाला सोडा दिखाते हुए कहा, ‘‘साहब, यह रहा लैमन सोडा.’’ यह देख कर हम खिलखिला कर हंस पड़े. बेचारा लड़का कुछ न समझ पाया.

कैलाश, गाजियाबाद (उ.प्र.)

*

बचपन में मैं और मेरा भाई एकसाथ स्कूल जाते थे. मैं कक्षा दूसरी में व भाई पहली कक्षा में पढ़ता था. हम रिकशा से आतेजाते थे. एक दिन हमारी छुट्टी हुई तो किसी बात पर मेरा व भाई का झगड़ा हो गया. हम लड़ते हुए इधरउधर हो गए. भाई तो सही रास्ते निकल गया लेकिन मैं दूसरी गली में चली गई. मैं काफी घबराई हुई थी. एक बुजुर्ग वहां से गुजर रहे थे. उन्होंने मुझे देखा तो मुझ से पूछा, ‘‘क्या बात है?’’ मैं ने उन्हें सबकुछ बता दिया. उन्होंने कहा, ‘‘आओ बेटी, मेरे साथ. तुम्हें सही रास्ता दिखा देता हूं.’’ यह अच्छा था कि रिकशा वाला इंतजार कर रहा था. भाई भी बैठा था. रिकशा वाले ने बताया कि यह बहुत घबरा रहा था कि मेरी बहन पता नहीं कहां रह गई, उसे आ जाने दो. फिर हम दोनों भाईबहन खुश हो कर झगड़े को भुला कर बड़े प्यार से मिले.     

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