खांसी से खासा परेशान रहे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अब बेंगलुरु में गले की सर्जरी करवा कर आराम कर रहे हैं यानी बीमारी गंभीर है जिस का इलाज वे दिल्ली से दूर इसलिए भी करा रहे हैं कि वहां गुलदस्ता ले कर अस्पताल आने वाले कथित शुभचिंतकों की भीड़ नहीं होगी और पार्टी में अफरातफरी भी नहीं मचेगी. इस के अलावा वे वहां सुकुन से सोच भी पाएंगे कि इश्क और मुश्क जैसे शाश्वत विकार किस पद्धति से छिपाए जा सकते हैं. हां, उन्होंने सिद्ध कर दिया कि नैचुरोपैथी और विपश्यना बेकार की बातें हैं. उन से उन की खांसी नहीं छूटी है.

नेताओं की बीमारियां हमेशा ही चर्चा का विषय रही हैं. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की बीमारी भी कम रहस्यमय नहीं मानी जा रही. प्रतिस्पर्धा का दूसरा नाम हो चला राजनीति करना कभी सरल नहीं रहा. इस में जो शीर्ष पर पहुंच जाता है उस के लिए रोजमर्राई जिंदगी दुश्वार होती जाती है. ऐसे में तनाव और तनावजन्य रोग होना स्वाभाविक बातें हैं जिन से बचने के लिए तमाम नेता योग वगैरा किया करते हैं और खानपान में परहेज करते हैं. अब इसे सुखों का सिमटता दायरा कहने में हर्ज क्या है.

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