मैं दही लेने के लिए गुप्ताजी के चाय के स्टौल पर खड़ा था. इतने में एक 20 वर्र्षीय युवक ने भूखा होने की बात कहते हुए गुप्ताजी से 5 रुपए की मांग की. गुप्ताजी ने इस पर उस से कहा, ‘‘हट्टेकट्टे अच्छी कदकाठी के होते हुए भी तुम्हें भीख मांगते शर्म नहीं आती.’’
उस ने कहा, ‘‘क्या करूं? 2 दिनों से काम नहीं मिला.’’ गुप्ताजी ने कहा, ‘‘मेरे होटल पर काम करोगे, नाश्तापानी के साथ रोज डेढ़ सौ रुपए दूंगा.’’ वह काम पर लग गया. थोड़ी देर के बाद ही कुछ दूरी से 4 चाय का व अन्य सामान का और्डर आया. गुप्ताजी ने चाय पीतल की केतली में भर कर उस युवक को दे कर भेजा. चाय पीने के बाद ग्राहक ने 4 चाय के पैसे कटवाने और बाकी रुपए वापस लाने के लिए सौ रुपए का नोट उस युवक को दिया. नोट और केतली ले कर वह सब की आंखों से बच कर ऐसा फरार हुआ कि आज तक उस का कोई अतापता नहीं चला.
एस सी कटारिया
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मैं हरिद्वार में अपनी मम्मी व भैयाभाभी के साथ रहती थी. मां एक दिन भाभी के साथ गंगा जा रही थीं. रास्ते में एक युवक ने उन दोनों को पेपर पर लिखा नाम दिखा कर पता पूछने लगा.
उस कागज में लिखे पते को पढ़तेपढ़ते दोनों ही अर्धमूर्च्छित होने लगीं. इस बीच युवक ने दोनों के कान से कुंडल व गले की चेन निकाल लीं और नौदो ग्याहरह हो गया.
सरोजनी श्रीवास्तव
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मेरी दीदी का बेटा राजीव गुड़गांव में इंजीनियर है. एक दिन 9 बजे रात्रि में घर लौटते समय वह कैब में बैठा. कैब में 2 लड़के पहले से थे. तभी एक सुनसान जगह पर कैब रुक गई.
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