मेरी मामी ने एक फेरी वाले से एक नामी कंपनी का जूसर मिक्सर लिया. फेरी वाला केवल 750 रुपए में उसे दे गया. मामी अपनी इस खरीदारी से बेहद खुश थीं. उन्होंने उस मशीन को चला कर देखा तो पहली बार तो वह ठीक चली पर जब दूसरी बार चलाई तो उस में कुछ खराबी लगी. उन्होंने उसे खोल कर चैक किया तो देखा कि उस के कुछ पार्ट्स खराब थे. इस तरह मामी को दिनदहाड़े 750 रुपए की चपत लग गई.  

आरती, भिवानी (राज.)

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मेरे 70 वर्षीय मौसाजी ने एटीएम से 5 हजार रुपए निकाले. एटीएम से बाहर आ कर अपने दामाद को फोन कर कहा कि वह स्कूटर से उन्हें ले जाए और रुपए एक छोटे बैग में डाल कर इत्मीनान से खड़े हो गए. उन की सारी बातें एक व्यक्ति सुन रहा था. कुछ देर बाद वह व्यक्ति बाइक ले कर उन के पास आया और बोला, ‘‘मैं आप के दामाद का पड़ोसी हूं. मैं इधर आ रहा था तो आप के दामाद ने मुझ से कहा कि बाबूजी को लेते आना.’’ मौसाजी उस की बाइक पर बैठ गए, रुपए का बैग उन के हाथ में था. थोड़ी दूर जाने के बाद उस व्यक्ति ने गाड़ी एक अनजाने रास्ते की ओर मोड़ी तो मौसाजी ने एतराज किया तो उस व्यक्ति ने मौसाजी से कहा कि मैं शौर्टकट से जा रहा हूं. कुछ दूर जाने के बाद गाड़ी को झटका लगा और मौसाजी नीचे गिर गए. वह व्यक्ति उन के हाथ से बैग छीन कर चंपत हो गया. वे सहायता के लिए चिल्लाए, पर वहां उन की पुकार सुनने वाला कोई न था.   

विद्यादेवी व्यास, रतलाम (म. प्र.)

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मेरे एक चचेरे भाई, जिन को घर पर सभी प्यार से ‘बुधवा’ कह कर पुकारते हैं, ट्रेन में सफर कर रहे थे. अचानक एक सज्जन सा दिखने वाला व्यक्ति आ कर बुधवा भैया के नजदीक बैठ गया और उन से बोला, ‘‘भैया, मेरी 15 हजार रुपए कीमत की सोने की गोली यहीं कहीं खो गई है. अगर आप उसे खोज देंगे तो मैं वह आप को सिर्फ 2 हजार रुपए में ही दे दूंगा. कृपया उसे खोजने में मेरी मदद कीजिए,’’ यह कह कर वह सोने की गोली को खोजने का नाटक करने लगा. बुधवा भैया ने इधरउधर देखा. संयोग से उन की नजरें पैर के पास गईं जहां वह गोली पड़ी मिली. उन्होंने उसे उठा कर उस व्यक्ति को दे दी. उस व्यक्ति ने कृतज्ञता जताते हुए कहा, ‘‘शर्त के मुताबिक मैं आप को यह 2 हजार रुपए में देने को तैयार हूं. अगर आप न रहते तो ये 2 हजार रुपए भी न होते.’’ मेरे बुधवा भैया ने खुशीखुशी 2 हजार रुपए में वह गोली ले ली. जब वे घर आए तो पता चला कि वह गोली सोने की नहीं, बल्कि तांबे की थी और उस पर सोने का पानी चढ़ाया गया था. इस तरह मेरे बुधवा भैया बुद्धू बना दिए गए.   

ओम प्रकाश झा, दरभंगा (बिहार)

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