मेरे पीहर शाहपुरा (भीलवाड़ा, राजस्थान) में एक दिन दोपहर को एक ट्रक घर के पास वाले चौक पर आ कर रुका. ट्रक वाला कपड़े धोने के साबुन की टिकिया भर कर लाया था. वह बोला, ‘‘मैं ट्रक दिल्ली से लाया हूं और कंपनी ने कम कीमत की धोने की टिकिया बनाई है.’’ वह टिकिया तौल कर बेचने लगा. उस ने बालटी में पानी भर कर टिकिया से कपडे़ धो कर लोगों को दिखाए. इस तरह 50 रुपए किलो के हिसाब से साबुन बेच कर चला गया. शाम को लोगों ने साबुन की टिकिया से कपड़े धोने का प्रयास किया तो टिकिया में से झाग के बजाय रेत सा पाउडर बिखर कर कपड़े पर चिपकने लगा और पूरी टिकिया समाप्त हो गई, पर कपड़ा नहीं धुला.

ज्योति प्रभा शर्मा, अजमेर (राज.)

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एक बार मेरे भतीजे की दुकान पर एक आदमी 3-4 बोरे लपेट कर और 1 बोरा अलग से ले कर आया. लिस्ट में लिखा 50 किलो चावल, दाल, चीनी, आटा आदि सामान निकाल कर परचा बनाने के लिए कहा. एकाएक कुछ याद कर उस ने 50 किलो दाल को तोलने के लिए कहा और यह कह कर कि आप सब सामान निकाल कर तैयार कीजिए, मैं दाल पहुंचा कर आ रहा हूं. भतीजे ने सारा सामान बोरे में, थैले में पैक कर दिन भर इंतजार किया लेकिन वह ग्राहक नहीं लौटा. इस प्रकार वह लगभग 2 हजार रुपए का चूना लगा कर चला गया.

वैशाली श्रीवास्तव, वाराणसी (उ.प्र.)

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बेंगलुरु के एक बगीचे में हम घूमने गए थे. एक आदमी सामने आ कर बोला, ‘‘तुम्ही मराठी बोलता, कोणत्या गावाचे आहात?’’ हम ने कहा कि हम सोलापुर के रहने वाले हैं. वह बोला, ‘‘मैं लातूर से हूं. बीवीबच्चों के साथ बेंगलुरु देखने आया हूं. किसी ने मेरी जेब काट ली. मेरे पास एक भी पैसा नहीं है. आज ही मैं वापस लातूर जाना चाहता हूं. आप लोग दिलवाले नजर आते हैं. आप हमें जाने के लिए 800 रुपए दे दीजिए, मैं लातूर पहुंचने के बाद मनीऔर्डर कर के आप के पैसे लौटा दूंगा. अपना पता हमें दे दो. हमारा पता और फोन नंबर ले लो. 2 छोटे बच्चे और बीवी साथ हैं. मैं अकेला होता तो किसी भी तरह चला जाता. हाथ जोड़ कर मैं विनती करता हूं, मुझ पर दया करो. घर पहुंचने के लिए पैसे दे दो.’’ ‘‘दुनिया में ऐसे बहुत से लफंगे हैं,’’ मैं ने अपने बेटे से कहा. लेकिन बेटे को उस पर बहुत दया आई. थोड़ी पूछताछ कर के और तुरंत पैसे वापस भेजने को कह कर उस ने उसे 800 रुपए दे दिए. पैसे ले कर धन्यवाद देते हुए वह चला गया. आज तक हम पैसे का इंतजार कर रहे हैं. उस का दिया हुआ पता भी झूठा निकला.

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