गहलोत की गफलत
नरेंद्र मोदी, शीला दीक्षित, नीतीश कुमार, शिवराज सिंह चौहान, अखिलेश यादव, ममता बनर्जी और जे जयललिता जैसे मुख्यमंत्रियों के सुर्खियों में रहने की कुछ वजहें होती हैं. नहीं होतीं तो ये खुद ही पैदा कर लेते हैं. लेकिन इस मामले में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का दुख सहज समझा जा सकता है कि बेवजह मीडिया उन का बयान तक नहीं छापता. यह दीगर बात है कि छपने लायक बयान उन्होंने बीते 4 सालों में दिया ही नहीं.
अवसाद में डूबे सूखे प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश का बजट पारित करने के बाद उस का तकरीबन 5वां हिस्सा इश्तिहारों में ही फूंक डाला. देशभर के अखबारों में उन के फोटो सहित बजटीय उपलब्धियों के इश्तिहार छपे. इस का मतलब यह नहीं कि उन के खाते में कोई उपलब्धि दर्ज हो गई हो बल्कि उन की भड़ास पर जम कर चांदी उस मीडिया ने काटी जो तगड़ी रकम डकारने के बाद भी उन्हें भाव नहीं दे रहा.
नीतीश का भड़ास शो
हजारों बिहारियों की भीड़ दिल्ली ले जा कर नीतीश कुमार ने वाहवाही तो लूट ली पर हकीकत में उन के इस भड़ास शो की वजह नरेंद्र मोदी थे. लिहाजा, इस का श्रेय नरेंद्र मोदी को दिया जाना चाहिए. पिछले साल बिहार में ही नीतीश का जम कर सार्वजनिक विरोध हुआ था और इस साल गुजरात में मोदी को जबरदस्त समर्थन मिला.
यह लड़ाई अधिकारों की नहीं है, विकास के मौडल्स की भी नहीं है और न ही राजनीतिक है, बल्कि व्यक्तिगत है जिस में नीतीश मात खा रहे हैं. बेहतर तो तब होता जब नीतीश अपने और बिहार के संसाधनों के बूते पर बिहार को चमकाएं. दिल्ली जा कर हल्ला मचाने से कुछ नहीं होने वाला.