छप्परफाड़ बोनस
इस बार दीवाली सूरत के हीरा व्यापारी साबजीभाई ढोलकिया के नाम रही जिन्होंने अपने संस्थान के कर्मचारियों को 50 करोड़ रुपए के उपहार बांट दिए. इन में गहने, फ्लैट्स व नकदी शामिल रहे. इसे दान या उपहार कुछ भी कह लें, उन के इस कदम ने नौकरमालिक यानी कर्मचारीनियोक्ता के संबंधों को झकझोर दिया है जिस पर तय है कि लंबी बहस होगी.
बिलाशक करोड़ों का यह बोनस प्रचार के लिए नहीं था. साबजीभाई बहुत नीचे से ऊपर उठे हैं, लिहाजा उन के इस बयान का स्वागत किया जाना चाहिए कि इस से रत्नकारों, जिन में सुनार भी शामिल हैं, की छवि चमकेगी. दूसरी अहम बात उन का यह कहना था कि अगर मैं हार्वर्ड में पढ़ा होता तो इतनी दरियादिली नहीं दिखा पाता. व्यावसायिक क्रूरता किसी सुबूत की मुहताज नहीं, लेकिन कुछ व्यापारी, उद्योगपति ऐसे हैं जो अपने कर्मचारियों के योगदान को पुरस्कृत भी करते हैं.
सिद्धू का यज्ञ
पूर्व क्रिकेटर व भारतीय जनता पार्टी के नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने अमृतसर के होली सिटी स्थित अपने नए घर में अपने जन्मदिन यानी 20 अक्तूबर को 101 ब्राह्मण इकट्ठा कर रखे थे. सालभर से सिद्धू एक यज्ञ करवा रहे थे जिस का मकसद घर की सुख, शांति, स्वास्थ्य वगैरह थे. इन्हीं दिनों सिद्धू अपनी सुरक्षा व्यवस्था में कटौती किए जाने से भी चर्चा में थे.
अंधविश्वासों को बढ़ावा देते इस यज्ञ से धर्मों की वास्तविकता, जो दरअसल आपसी बैर है, भी उजागर हुई जब सिख धर्म के पैरोकारों ने इस बात पर एतराज जताया कि नवजोत सिद्धू को शिवलिंगों के बीच बैठ कर मंत्रोच्चार वगैरह नहीं करना चाहिए था. यानी पाखंड करने और फैलाने के लिए दूसरे धर्म का सहारा लेने की जरूरत नहीं, इस का इंतजाम तो हर धर्म में है.