मैं अमेरिका में अपनी बेटी के यहां गई थी. हम सब लोग एकसाथ लंच कर रहे थे. हमारी 7 साल की नातिन भी खा रही थी. वह बहुत हाजिरजवाब है. खाने में बिरयानी बनी थी जिस में कुछ साबुत मसाले भी डाले थे. खाते समय उसे दांतों तले कुछ कठोर चीज महसूस हुई. उस ने उस वस्तु को मुंह से बाहर निकाल कर हाथ में रख अपनी मां से पूछा कि यह लकड़ी खाने में कैसे आई. दरअसल, वह एक लौंग थी. हम ने कहा कि बेटे, यह लकड़ी नहीं, बल्कि एक मसाला ‘लौंग’ है.

इस पर मेरी नातिन हंस कर इंग्लिश में बोली, ‘‘कितनी फनी है नानी, देखने में कितनी शौर्ट है और आप इसे लौंग कैसे कहती हैं.’’ इस पर हम सब हंस पड़े थे. नातिन का जन्म अमेरिका में ही हुआ है, इसलिए उसे हिंदी न के बराबर आती है.

- शकुंतला सिन्हा, बोकारो (झारखंड)

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मैं अपने भाई के घर गई थी. उन का 8 साल का बेटा रोतेरोते मेरे पास आया, पूछने पर बोला, ‘‘स्कूल में एक लड़की ने मेरा पैंसिल बौक्स तोड़ दिया और धक्का भी दिया.’’ मैं ने उस से कहा, ‘‘तू भी धक्का दे देता, उसे कुछ कहा क्यों नहीं.’’ बड़ी मासूमियत से उस ने जवाब दिया, ‘‘बूआ, पापा कहते हैं ‘लड़कियों पर हाथ नहीं उठाना चाहिए, उन की इज्जत करनी चाहिए.’’’ मैं ने गद्गद हो कर उसे गले से लगा लिया. अगर हम सभी बचपन से ही अपने बेटों को लड़कियों की इज्जत करना सिखाएं तो लड़कियों के साथ होने वाली अभद्रता को कम कर सकते हैं.

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