हम लोग सपरिवार दिल्ली गए थे. एक दिन सुबह ही हमारे पति के मोबाइल फोन पर 30 रुपए के रिचार्ज का मैसेज आया जो हम ने नहीं कराया था. शायद किसी ने गलती से उन के फोन का रिचार्ज करा दिया था.

थोड़ी देर बाद उन के फोन पर किसी अनजान नंबर से मिस्डकौल आई. चूंकि फोन रोमिंग पर था, इसलिए नजरअंदाज कर दिया गया. लेकिन जब 3-4 बार लगातार उसी नंबर से कौल आई तो पति को उत्सुकता होने लगी. उन्होंने बेटे से उस नंबर पर कौल कर के देख लेने को कहा.

बेटे ने उस नंबर पर कौल कर के बात की. उस ने बताया कि एक आदमी अपने 30 रुपए वापस मांग रहा था जो उस ने गलती से हमारे फोन को रिचार्ज करा दिया था. उस की बात सुन कर हम सब को हंसी आई.         

नीता वर्मा

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बात 29 अगस्त, 2007 की है. सुबह 10 बज कर 9 मिनट और 49 सैकंड पर मेरे मोबाइल फोन पर मेरे 23 वर्षीय पुत्र लैफ्टिनैंट यश आदित्य का एक संदेश मिलता है, ट्रेन हैज स्टार्टेड मूविंग यानी  ट्रेन चल दी है. संदेश पा कर घर वालों को सुखद एहसास होता है कि 2 वर्षों की लेह की कठिन पोस्ंिटग के बाद बेटा घर आ रहा है.

मेरे बेटे की पलटन को रेलवे ने मिलिटरी स्पैशल ट्रेन उपलब्ध करा दी थी और इसे अपने गंतव्य बबीना रेलवे स्टेशन जानी थी. लुधियाना में सामान की चैकिंग के लिए गाड़ी को यार्ड में ले जाया गया. बेटे को ट्रेन की सुरक्षा का अतिरिक्त कार्यभार भी सौंपा गया था, सो ट्रेन पर लदे अत्याधुनिक टैंकों की जांच करने के लिए वह जब बोगी पर चढ़ने लगा तो अचानक ऊपर से गुजर रहे हाईटैंशन तार की चपेट में आ गया. उसे 60 प्रतिशत बर्न इंजरी हुई थी.

शाम 3 बज कर 15 पर मेरे मोबाइल फोन पर उस के सीओ कर्नल शर्मा का संदेश मिला, तुरंत चल दीजिए. यह दुर्घटना काल बन कर मेरे परिवार पर आई थी और आखिरकार 5 सितंबर को मेरे सैन्य कर्तव्यपरायण पुत्र के जीवन की ट्रेन अपने अंतिम पग की ओर रवाना हो गई.

जी हां, जीवन का ऐसा भी रंग होता है कि कुछ ही घंटे पहले हर्ष और उल्लास का आमंत्रण मिलता है तो कुछ ही घंटों बाद वह शोक, बेचैनी और संत्रास की पीड़ा में बदल जाता है.     

प्रफुल्ल कुमार त्रिपाठी

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