पहले के समय में एक रूपये का नोट बड़े काम का था, उस समय इस नोट का ज्यादातर इस्तेमाल शगुन के पैसे देने के लिए किया जाता था. वैसे एक रुपये के नोट से जुड़े किस्से तो आप सभी को याद ही होंगे.

शादियों का मौसम चल रहा है, इस मौसम में शगुन देने के लिए अब तो एक रुपये के सिक्के लगे लिफाफे आने लगे हैं लेकिन एक दौर ऐसा था जब परिवार के सदस्य एक रुपये के नोट को ढूंढते फिरा करते थे और एक रूपये का नोट लगाकर ही शगुन दिया करते थे. लेकिन क्या आप जानते हैं कि यही एक रुपये का नोट अब 100 साल का हो चुका है और इसकी शुरुआत का इतिहास भी बड़ा दिलचस्प है.

हुआ यूं कि जब एक रुपये का नोट आया तो उस समय पहले विश्वयुद्ध का दौर था और देश में अंग्रेजों की हुकूमत थी. उस दौरान एक रुपये का चांदी का सिक्का चला करता था, लेकिन युद्ध के चलते सरकार चांदी का सिक्का ढालने में असमर्थ हो गई और इस प्रकार 30 नवंबर 1917 में पहली बार एक रुपये का नोट लोगों के सामने आया. इसने उस चांदी के सिक्के का स्थान लिया

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शुरू में ये नोट इंग्लैंड में प्रिंट हुए थे. इस पर किंग जार्ज पंचम के चांदी के सिक्के की तस्वीर बाएं कोने पर छपी थी. नोट पर लिखा था कि 'मैं धारक को किसी भी कार्यालयी काम के लिए एक रुपया अदा करने का वादा करता हूं, लेकिन बाद के सभी एक रुपये के नोटों पर ऐसा वाक्य नहीं लिखा जाता था, बल्कि उसके पीछे आठ भारतीय लिपियों में एक रुपया लिखा होता है.

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