शेयर बाजार में उतारचढ़ाव के बीच मजबूती का रुख है. अप्रैल में बाजार लगातार 5वें सप्ताह हलके उतारचढ़ाव के बीच तेजी पर बंद हुआ. अप्रैल के दूसरे और तीसरे सप्ताह के दौरान बाजार में अवकाश का माहौल रहा. 7 से 20 अप्रैल के बीच बाजार में सिर्फ 7-8 दिन ही कारोबार हुआ. इस दौरान जम कर मुनाफावसूली हुई और उतारचढ़ाव का दौर भी जारी रहा. बाजार में जो गिरावट दिखी उस की वजह मार्च में महंगाई के 3 माह के उच्चतम स्तर पर पहुंचने, बैंक ऋण दरों में कटौती होने की धूमिल संभावनाओं के साथ ही रुपए पर दबाव की स्थिति रही.
थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति की दर मार्च में 5.70 प्रतिशत रही जो 3 माह में सर्वाधिक थी जबकि फरवरी में यह दर 4.86 फीसदी के साथ 9 माह के न्यूनतम स्तर पर थी. बाजार में गिरावट भी जम कर हुई और 16 अप्रैल को 208 अंक की गिरावट के साथ सूचकांक 3 सप्ताह के निचले स्तर पर जा पहुंचा. रुपया भी उस दिन 3 सप्ताह के न्यूनतम स्तर पर बंद हुआ. इस से बाजार में मुनाफावसूली का दौर तेज हुआ और दिग्गज कंपनियों के शेयरों में गिरावट का रुख रहा.
उधर, कंपनियों के तिमाही परिणाम आने शुरू हुए तो बाजार में फिर रौनक बढ़ने लगी और सूचकांक 23 हजार अंक के स्तर की तरफ बढ़ने लगा. 22 अप्रैल को कारोबार के दौरान सूचकांक नए स्तर पर पहुंचा लेकिन बाद में गिर कर बंद हुआ. अगले कारोबारी सत्र में सूचकांक ने फिर नया स्तर कायम किया और यह 22,877 अंक पर जा पहुंचा. रुपया हालांकि कमजोर पड़ा लेकिन बीएसई और निफ्टी नए स्तर की तरफ छलांग लगाते रहे.

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