भारतीय शेयर बाजार में इस बार पंख लग गए. पंख लगने की वजह विदेशी बाजार की अच्छी स्थिति है. अमेरिका में कर्ज की अवधि बढ़ाने के संसद में पारित प्रस्ताव से कोषागार में भुगतान का संकट छा गया और एक पखवाड़े से अधिक समय तक रही तालाबंदी के कारण सरकारी दफ्तरों की फाइलों पर जमी धूल साफ करने का काम शुरू हुआ तो उस का असर पूरी दुनिया के बाजारों में देखने को मिला.

इसी बीच, चीन में आर्थिक विकास का आंकड़ा सामने आया. भारत में रिजर्व बैंक ने वित्तीय स्थिति दुरुस्त करने के लिए महत्त्वपूर्ण कदम उठाने के जो संकेत दिए उस का बाजार पर सकारात्मक असर देखने को मिला और 18 अक्तूबर को बाजार 3 साल के उच्चतम स्तर पर बंद हुआ. बाजार के जानकारों का कहना है कि इस की बड़ी वजह कंपनियों के तिमाही परिणाम बेहतर रहना है. आसियान देशों के शिखर सम्मेलन के साथ ही संयुक्त राष्ट्र महासभा के सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की आर्थिक विकास के लिए वैश्विक मंच पर दिखाई गई सक्रियता भी महत्त्वपूर्ण है.

बड़ी बात यह है कि पिछले दिनों महंगाई की दर में इजाफा हुआ है और ओडिशा में चक्रवाती तूफान के चलते कई हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है. यही नहीं, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने देश की आर्थिक विकास दर को बहुत कम बताया है तथा रेटिंग एजेंसी ने भारत की साख को कम कर के दिखाया है. इन विपरीत स्थितियों में भी बाजार में तेजी रहने को महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है. कहा जा रहा है कि आने वाले दिनों में बाजार में मजबूती का माहौल रहेगा. शेयर बाजार सूचकांक के 21 हजार की तरफ बढ़ने और नैशनल स्टौक ऐक्सचैंज में भी तेजी रहने की एक वजह रुपए में 3 माह में सब से अधिक मजबूती को बताया जा रहा है.

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