सरकार अपने कर्मचारियों को अत्यधिक सुविधा देती है, इसलिए देश में हर युवा का सपना सरकारी नौकरी हासिल करना होता है. कर्मचारियों की कार्यक्षमता बढ़ाने के नाम पर सरकार उन्हें खुश करने के सभी प्रयास करती है. नीतियां बनाने वाले भी तो सरकारी कर्मचारी ही होते हैं. उन्हें भी उन नीतियों का फायदा मिलता है, इसलिए वे लाभकारी नीतियां क्रियान्वित कराने तक सक्रिय रहते हैं. उन्हें फायदा नहीं होता तो फिर इस काम की योजना भी पंचवर्षीय होती और लाभ अर्जित करने वाले सिर्फ इंतजार ही करते रहते. इधर, सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के इश्यू अपने कर्मचारियों को आवश्यक रूप से देने की योजना बनाई है.
यह भी घोषणा गहो चुकी है कि इस योजना के तहत कुल बिकने वाले शेयरों के 5 प्रतिशत शेयर कर्मचारियों को छूट की दर पर मिलेंगे. मतलब यह कि शेयर की जो बाजार दर तय की जाएगी उस पर भी कर्मचारियों को छूट मिलेगी. सार्वजनिक क्षेत्र के सभी कर्मचारियों के लिए इस छूट की मंजूरी भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड यानी सेबी से भी ली जा चुकी है.
नियम के तहत नाल्को, औयल इंडिया, राष्ट्रीय कैमिकल्स व फर्टिलाइजर सहित सभी कंपनियां विनिवेश की स्थिति में 5 प्रतिशत शेयर कर्मचारियों को देंगी. इन कंपनियों के सब से छोटे कर्मचारी का वेतन भी बहुत ज्यादा है जबकि बीटैक, एमटैक वाले हजारों बच्चे बेरोजगार घूम रहे हैं या 4-5 हजार रुपए प्रतिमाह की नौकरी कर रहे हैं. वे बहुत कम वेतन पर काम करने को तैयार हैं.
सरकारी नौकरी मिलते ही कर्मचारी जीवनभर के लिए निश्चिंत हो जाता है. उसे सब काम से बचने और मोटी तनख्वाह जेब में रख कर ऐश करने का सिद्धांत अपनाना होता है. उस की चिंता सरकार का सिरदर्द बन जाता है. उसे काम करना है अथवा नहीं, यह सब उस के विवेक पर छोड़ दिया जाता है. सरकार तो रामभरोेसे चलती ही है.
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