पीएफओ ने एक मई को ‘एक कर्मचारी, एक ईपीएफ खाता’ पेश करने की योजना बनाई है ताकि समय से पहले भविष्य निधि की निकासी को हतोत्साहित किया जा सके और राज्य सरकारों को इसकी पेंशन प्रणाली से जुड़ने के लिए प्रेरित किया जा सके.
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने 21 अप्रैल को हुई एक आंतरिक बैठक में यह फैसला किया है. इससे पहले सरकार 19 अप्रैल को भविष्यनिधि निकासी के संबंध में अपना फैसला वापस ले चुकी है. इसमें सरकार ने निकासी को सख्त बनाने और अंशधारकों को 58 साल की उम्र से पहले भविष्य निधि में नियोक्ता के योगदान (मूल वेतन का 3.67 प्रतिशत) को निकालने के संबंध में मानदंडों को सख्त बनाया था.
गुरवार को हुई बैठक में ईपीएफओ के केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त वी पी जॉय ने भविष्य निधि निकासी के मानदंडों के संबंध में विवाद पर चर्चा की. जॉय ने कहा कि कर्मचारियों और नियोक्ताओं के बीच प्रभावी संवाद की जरूरत है. उन्होंने कहा कि कर्मचारियों द्वारा हर बार नौकरी बदलने पर निकासी से जुड़े मुद्दे का समाधान अच्छी सेवा और आसान माध्यम के जरिए किया जाए. उनका मानना है कि नियोक्ताओं और कर्मचारियों को अपने व्यक्तिगत प्रोफाइल से जुड़ी राशि देखने की सुविधा होनी चाहिए.
जॉय ने कहा कि सेवा में सुधार और बेहतर पेंशन प्रणाली का अर्थ होगा कि हम पेंशन सेवाओं के लिए एक अतिरिक्त चैनल खोल सकते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि यदि ईपीएफओ सेवाएं और योजनाएं ज्यादा कर्मचारी अनुकूल बनाई जाती हैं तो राज्य सरकारों के लिए ईपीएफ पेंशन प्रणाली से जुड़ने की वजह तैयार की जा सकती है.
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