रिजर्व बैंक ने नए बैंकों के लिए लाइसैंस के द्वार खोल कर बैंकिंग क्षेत्र में नए खिलाडि़यों को भूमिका निभाने का मौका दिया है. लाइसैंस देने में यह भी शर्त है कि बैंक अपनी 25 फीसदी शाखाएं 1 हजार से कम आबादी वाले गांव में खोलेंगे और ग्रामीण युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करेंगे.

रिजर्व बैंक के इस निर्णय पर उद्योग मंडल फिक्की ने बैंकों, औद्योगिक व कौर्पोरेट घरानों को शामिल कर के एक सर्वेक्षण किया है. सर्वेक्षण में शामिल लोगों ने बैंक लाइसैंस के लिए रखी शर्तों पर खुशी जताई है और कहा है कि इस से छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों के लोगों को बैंक सुविधाएं हासिल हो सकेंगी. गौरतलब है कि विकासशील अर्थव्यवस्था वाले देशों में 45 फीसदी लोगों के पास बैंक खाते हैं जबकि भारत में सिर्फ 35 प्रतिशत आबादी के पास ही बैंक खाते हैं. देश की 70 प्रतिशत आबादी गांव में रहती है. देश में करीब साढ़े 6 लाख गांव हैं और ज्यादातर गांवों में बैंक की कोई शाखा नहीं है. ग्रामीण क्षेत्रों में साढ़े 37 हजार से अधिक बैंक शाखाएं हैं जबकि बैंकिंग आउटलेट यानी जहां पैसे का बैंकिंग आधार पर लेनदेन होता है, ऐसी शाखाएं 2 लाख से भी कम हैं.

सर्वेक्षण में कहा गया है कि रिजर्व बैंक के इस निर्णय से बैंकिंग बाजार में प्रतिस्पर्द्धा बढ़ेगी और नई तकनीक का इस्तेमाल होगा व गांव के उपभोक्ताओं को भी बेहतर सेवा और सुविधाएं मिलेंगी. सर्वेक्षण में शामिल 53 फीसदी लोगों ने कहा है कि उन्हीं कंपनियों या औद्योगिक घरानों को लाइसैंस मिलने चाहिए जिन की वित्तीय स्थिति अच्छी हो और जिन का वित्तीय रिकौर्ड भी बेहतर रहा हो जबकि 29 फीसदी लोगों का कहना है कि अच्छी वित्तीय समझ और अनुभवी कंपनियों को यह अवसर दिया जाना चाहिए. इसी तरह से 69 प्रतिशत लोगों ने कहा कि सिर्फ औद्योगिक व कौर्पोरेट घरानों को लाइसैंस मिलने चाहिए जबकि 31 प्रतिशत ने यह भी कहा है कि औद्योगिक घरानों और कौर्पोरेट को बैंकों का संचालन नहीं करना चाहिए.

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