गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) के लिए संविधान में संशोधन वाला विधेयक गुरुवार को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से अनुमति मिलने के बाद कानून बन गया है. इससे पहले 50 पर्सेंट से अधिक राज्य विधानसभाओं ने भी इसे मंजूरी दे दी थी. यह जीएसटी को लागू करने की दिशा में बड़ी उपलब्धि है. अब जीएसटी काउंसिल का गठन किया जाएगा जो इस टैक्स के रेट सहित अन्य डिटेल पर काम करेगी.
सरकार जीएसटी को 1 अप्रैल, 2017 से लागू करना चाहती है. फाइनेंस मिनिस्टर अरुण जेटली ने कहा था कि जीएसटी को अगले वर्ष एक अप्रैल से लागू करना एक मुश्किल लक्ष्य है, लेकिन वह निश्चित तौर पर इसके लिए कोशिश करेंगे.संसद ने आठ अगस्त को जीएसटी बिल पारित कर दिया था और उसके बाद इसे राज्यों के पास मंजूरी के लिए भेजा गया था. इस तरह के संविधान में संशोधन करने वाले बिल के लिए राष्ट्रपति की सहमति लेने से पहले कम से कम 50% राज्य विधानसभाओं से मंजूर करवाना जरूरी होता है. अब जल्द ही जीएसटी काउंसिल का गठन किया जाएगा.
फाइनेंस मिनिस्टर इसके अध्यक्ष होंगे और इसमें राज्यों के फाइनेंस मिनिस्टर सदस्यों के तौर पर शामिल होंगे. काउंसिल में केंद्र की एक-तिहाई और राज्यों की बाकी दो-तिहाई हिस्सेदारी होगी.इसमें फैसले तीन-चौथाई बहुमत से लिए जाएंगे. काउंसिल रेट, कानूनों, नियमों, प्रक्रियाओं और प्रशासनिक ढांचे जैसे महत्वपूर्ण फैसले लेगी जिससे सीजीएसटी कानून और आईजीएसटी कानून का आधार तैयार किया जाएगा.
केंद्रीय जीएसटी कानून को अंतिम रूप देने के बाद सरकार इसे संसद के शीतकालीन सत्र में पेश करेगी, जबकि राज्य अपनी विधानसभाओं में राज्य जीएसटी कानून को पारित करेंगे.जेटली का कहना है, ‘जीएसटी लागू होने के बाद देश में पहली बार बिना किसी रुकावट वाला एक नेशनल मार्केट बनेगा.’