सरकारी क्षेत्र के बैंक ग्राहकों को साइबर बीमा सुरक्षा कवर देने की योजना पर तेजी से काम कर रहे हैं. देश के सब से बड़े स्टेट बैंक औफ इंडिया पर पिछले साल हुए साइबर हमले के बाद से बैंकों के समक्ष इस संकट कैसे निबटना है, बड़ी चुनौती बन गया है. देश में पिछले साल साइबर अपराध के कारण आम लोगों को 4 अरब डौलर का नुकसान हुआ है. भारत जैसे देश में डिजिटल रूप से साक्षर लोगों की संख्या भले ही बहुत कम है लेकिन डिजिटल प्रक्रिया से लेनदेन का माहौल तेजी से बढ़ रहा है और इस प्रक्रिया में साइबर अपराधी मौज कर रहे हैं.
बैंकों की अपने ग्राहकों को किसी को भी खाता या एटीएम कार्ड संबंधी सूचना नहीं देने की हिदायत है, इस के बावजूद अपराधी लोगों को ठग रहे हैं और अर्थव्यवस्था अरबों का नुकसान को पहुंचा रहे हैं. भारत ही नहीं, दुनियाभर के विभिन्न हिस्सों में साइबर अपराधों की बाढ़ आई है. एक आंकड़े के अनुसार, वर्ष 2016 में विश्वस्तर पर साइबर अपराध के कारण लोगों को 45.5 अरब डौलर का चूना लगा. कमाल की बात यह है कि साइबर अपराधों की संख्या में हर साल 40 से 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो रही है.
साइबर अपराध से लोगों को सुरक्षा देने के लिए स्टेट बैंक औफ इंडिया ने अपने 30 करोड़ खाताधारकों को कड़ी सुरक्षा मुहैया कराने की तैयारी शुरू कर दी है. साइबर सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए सरकारी क्षेत्र के बैंक एकजुट हो कर काम करने पर विचार कर रहे हैं और बीमा क्षेत्र की तमाम कंपनियां उन्हें हर स्तर पर सहयोग करने पर विचार कर रही हैं.