एक अन्य घटनाक्रम के तहत राष्ट्रपति ने घर खरीदारों को फाइनैंशल क्रेडिटर्स के तौर पर मान्यता देने से संबंधित अध्यादेश पर भी मुहर लगा दी. इसके तहत अगर कोई रियल एस्टेट कंपनी दिवालिया होती है और उसकी संपत्ति नीलाम की जाती है तो नीलामी से मिलने वाली धनराशि का एक हिस्सा उन लोगों को भी मिलेगा जिन्होंने घर खरीदने के लिए कंपनी को बड़ी रकम दी थी.
रिजर्व बैंक ने एक बयान में कहा कि उसने PSL योग्यता वालों के लिए हाउसिंग लोन की सीमा 28 लाख से बढ़ाकर 35 लाख मेट्रो शहरों में और दूसरे शहरों में 20 लाख से बढ़ाकर 25 लाख रुपये करने का फैसला किया है. ऐसे में मेट्रोपौलिटन सेंटर (10 लाख और उससे अधिक की आबादी के साथ) में आवासीय यूनिट की कुल लागत 45 लाख और दूसरे सेंटर्स पर 30 लाख से अधिक नहीं होनी चाहिए.
वित्तीय मामलों के सचिव राजीव कुमार ने आरबीआई के इस बयान के बाद ट्वीट कर कहा, ‘सभी के लिए घर की दिशा में बड़ा कदम. PSL के तहत होम लोन की सीमा 35 लाख और दूसरे शहरों में 25 लाख बढ़ाने से ऐसे बैंक लोन सस्ते हो जाएंगे.’
Big boost to #Housing for all .Increase in Home loan limits under Priority sector lending to RS.35 lakh in cities & RS .25 lakh elsewhere to make such bank loans cheaper. @PMOIndia @FinMinIndia @PIB_India @DDNewsHindi @DDNational
— Rajeev kumar (@rajeevkumr) June 6, 2018
आपको बता दें कि PSL के तहत दिए जाने वाले लोन में सामान्य की तुलना में खर्च काफी कम आता है. RBI ने आगे कहा कि इस बाबत महीने के आखिर में एक सर्कुलर जारी किया जाएगा. एक आधिकारिक बयान के मुताबिक राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इन्सौल्वेंसी ऐंड बैंकरप्सी कोड (संशोधन) अध्यादेश 2018 को मंजूरी दे दी है. बयान में कहा गया है कि यह अध्यादेश घर खरीदारों को बड़ी राहत देता है क्योंकि उनका दर्जा फाइनैंशल क्रेडिटर्स का हो जाएगा. अब घर खरीदारी की पूरी प्रक्रिया में खरीदार का रोल बढ़ जाएगा और वह इस प्रक्रिया का अहम हिस्सा बन जाएंगे.
यह फैसला ऐसे समय में लिया गया है जब घर खरीदारों को कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. बिल्डर द्वारा समय पर घर नहीं देने की ढेरों शिकायतें मिल रही हैं. अब उन्हें काफी राहत मिलेगी. इससे उन्हें क्रेडिटर्स की कमेटी में उचित प्रतिनिधित्व मिलेगा और वे निर्णय करने की प्रक्रिया का हिस्सा बन जाएंगे. होम बायर्स गड़बड़ी करने वाले डिवेलपर्स के खिलाफ आईबीसी के सेक्शन 7 के तहत कदम उठा पाएंगे. सेक्शन 7 के तहत फाइनेंशियल क्रेडिटर्स को इनसौल्वेंसी रिजौल्यूशन प्रोसेस का ऐप्लिकेशन देने का अधिकार है.