योग की दुकान को फर्राटे से दौड़ाने के बाद रामदेव ने कारोबार की दुनिया में कदम रखा और दैनिक उपयोग का सामान बनाने वाली कंपनी पतंजलि आयुर्वेद का गठन किया. पतंजलि का सालाना कारोबार जबरदस्त प्रगति कर रहा है. हर घर में इस्तेमाल होने वाले तेल, साबुन, दंतमंजन, बिस्कुट आदि सभी उपयोगी सामान बनाने वाली रामदेव की कंपनी ने अब कारोबार जगत के अधिग्रहण का नुस्खा भी अपना लिया है और इस के लिए उस ने दिवालिया हो चुकी इंदौर की कंपनी रुचि सोया के अधिग्रहण के लिए अडाणी विल्मर, इमामी एग्रोटेक और गोदरेज एग्रोवेट जैसी प्रमुख कंपनियों से ज्यादा बोली लगाई है.

रामदेव ने इस कंपनी के लिए 4 हजार करोड़ रुपए की सर्वाधिक बोली लगाई है. रुचि सोया घाटे में चल रही है और उस पर 12 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज हो चुका है. रुचि सोया कंपनी के मालिकों के कई विनिर्माण संयंत्र हैं और न्यूट्रेला, महाकोष, सनरिच, रुचि स्टार आदि उस के प्रमुख ब्रैंड बाजार में ग्राहकों को लुभाते हैं.

रामदेव का यह पहला कारोबारी अधिग्रहण है. वे अपनी कंपनी के खुद ही ऐंबैसेडर हैं और अपने उत्पादों का प्रचार करते हैं.

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