अभिनय के विविध आयामों में थिएटर की प्रतिष्ठा सब से ज्यादा होती है. इसी माध्यम के जरिए ओम पुरी, नसीरुद्दीन से ले कर पीयूष मिश्रा व शबाना आजमी जैसे कलाकारों ने अभिनय की मिसालें कायम कीं. थिएटर को इसीलिए अभिनय का सब से अच्छा स्कूल कहा जाता है. थिएटर ऐक्टर मयंक गुलाटी भी पिछले 8 सालों से थिएटर की दुनिया में अपने नाट्य मंचनों से ध्यान आकर्षित कर रहे हैं.
पारंपरिक इंजीनियर की नौकरी छोड़ अभिनय में रमे मयंक गुलाटी कौशिक बोस के साथ ‘कंपंक्शन’व बैस्टसेलर लेखक देवदत्त पटनायक की किताब पर आधारित नाटक ‘फ्लेश’ से सुर्खियों में हैं. उन के ‘क्या करेगा काजी’ व ‘रंग रह जाता है’ भी लोकप्रिय नाटक रहे. उम्मीद है थिएटर की कठिन डगर में वे खुद को अपनी कला के दम पर किसी खास मुकाम तक ले जा पाएंगे.